नई दिल्ली : आयुर्वेद, भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में से एक है, जिसका उपयोग वर्षों से कई प्रकार के गंभीर रोगों के उपचार के लिए किया जाता रहा है। मेडिकल साइंस ने भी तमाम अध्ययनों में इस बात की पुष्टि की है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा कई रोगों के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने भी एक हालिया शोध में बताया है कि आयुर्वेद की दवा मौजूदा समय में तेजी से बढ़ते मोटापे और डायबिटीज के खतरे को कम करने में भी सहायक हो सकती है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में आयुर्वेदिक दवा BGR-34 को शुगर और मोटापे को कंट्रोल करने में प्रभावी होने का दावा किया है।
एम्स के शोधकर्ताओं की टीम ने अध्ययन में पाया कि यह दवा मोटापे और मेटाबॉलिज्म को लक्षित करती है जिससे डायबिटीज के जोखिम को भी कम किया जा सकता है। एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग में एडीशनल प्रोफेसर डॉ सुधीर चंद्र सारंगी के नेतृत्व में तीन साल तक किए गए अध्ययन के आधार पर विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे हैं।
गौरतलब है कि मोटापा और मेटाबॉलिज्म दोनों को डायबिटीज के प्रमुख कारक के तौर पर देखा जाता रहा है। किसी व्यक्ति में मोटापा बढ़ने या मेटाबॉलिज्म से संबंधित विकार उसमें मधुमेह के जोखिमों को बढ़ा सकती है। आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से समझते हैं।
BGR-34 दवा डायबिटीज में पाई गई है असरदार
शोधपत्र के मुताबिक, AIMIL फार्मास्यूटिकल्स और काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के विशेषज्ञों द्वारा गहन शोध के बाद कुछ वर्षों पहले ही BGR-34 दवा तैयार की थी। इस दवा को तैयार करने के लिए औषधीय पौधों के तत्वों को शामिल किया गया है। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की है कि क्या मोटापे और डायबिटीज में यह दवा अकेले प्रभावी है या फिर सर्वोत्तम परिणामों के लिए इसे एलोपैथी दवाओं के साथ शामिल किया जाना चाहिए?
निष्कर्ष में पता चलता है कि यह दवा अकेले रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में सफल है और यह मोटापे को जोखिम को कम करने में भी लाभकारी हो सकती है। हृदय रोग के कई कारकों को भी नियंत्रित करने में इसे प्रभावी पाया गया है।
लिपिड प्रोफाइल और ट्राइग्लिसराइड भी रहता है संतुलित
अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसर, गुडमार, मजीथ और मैथिका आदि काफी लाभकारी हो सकती हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट स्तर को भी बढ़ाती हैं, जिससे शरीर को कई प्रकार से लाभ मिल सकता है। शोध में पाया गया कि इस दवा का सेवन हार्मोन प्रोफाइल, लिपिड प्रोफाइल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर भी संतुलित करने में सहायक है, जिससे शरीर में वसा को नियंत्रित किया जा सकता है। ट्राइग्लिसराइड्स और बैड कोलेस्ट्रॉल में भी यह कमी कर सकती है, जिससे हृदय की सेहत को लाभ मिलता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
शोधकर्ताओं का कहना है कि आयुर्वेदिक दवाओं से साइड-इफेक्टस का जोखिम कम होता है। वहीं पाया गया है कि बीजीआर-34 केवल तीन महीनों के भीतर रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है। इस दवा को मधुमेह से संबंधित जटिलताओं को रोकने के लिए एक मजबूत एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव वाला भी पाया गया है। डॉक्टर की सलाह पर इसका सेवन करके वैश्विक स्तर पर बढ़ती मधुमेह की समस्या को कम करने में इससे मदद मिल सकती है। हालांकि ध्यान रखें, बिना डॉक्टरी सलाह के इसका सेवन न करने की भी सलाह दी गई है।