नई दिल्ली। भारत और रूस दिसंबर में होने वाले अपने वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले पांचवीं पीढ़ी के सुखोई Su-57 लड़ाकू विमान के संयुक्त उत्पादन के लिए बातचीत कर रहे हैं। भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने बृहस्पतिवार को रूसी समाचार एजेंसी TASS को दिए एक साक्षात्कार में कहा-Su-57E प्लेटफॉर्म सहित कई क्षेत्रों में गहन काम चल रहा है, जिसका इस्तेमाल भारत के अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट (AMCA) विकसित करने के कार्यक्रम को लागू करने के लिए किया जा सकता है।
तकनीकी ट्रांसफर और लोकल प्रोडॅक्शन
अलीपोव ने कहा कि रूस का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ अभूतपूर्व स्तर के तकनीकी ट्रांसफर और लोकल लेवल पर उत्पादन में निहित है, जो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहलों के मुताबिक है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर बातचीत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत यात्रा से पहले हुई है।
हर तरह के स्टील्थ विमानों से मुकाबला करने में सक्षम
अक्टूबर में भारत और रूस के रक्षा अधिकारियों ने सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज के लिए एक विचार-मंथन सत्र आयोजित किया था। रूसी सरकारी हथियार निर्यातक रोसोबोरोनएक्सपोर्ट ने कथित तौर पर हाल ही में संपन्न दुबई एयरशो में Su-57 की कार्यात्मक क्षमताओं के बारे में एक प्रस्तुति दी। रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया है कि दुनिया के गिने-चुने स्टील्थ-लैस विमानों में से एक Su-57 को चौथी और पांचवीं पीढ़ी के सभी विमानों को मात देने के लिए डिजाइन किया गया है।
एयरो इंडिया शो में Su-57 और F-35 का प्रदर्शन
इस साल की शुरुआत में, बेंगलुरु के येलहंका एयरफोर्स स्टेशन पर एशिया के सबसे बड़े एयरशो-एयरो इंडिया-में Su-57 का प्रदर्शन किया गया था। अमेरिकी लॉकहीड मार्टिन F-35 ने भी इसमें हिस्सा लिया था। रूस ने लगभग 42 Su-57 का उत्पादन किया है और 30 और का निर्माण पाइपलाइन में है।
F-35 से काफी सस्ता पड़ेगा Su-57
एक रूसी अधिकारी के अनुसार, इसकी अनुमानित लागत 3.5-5 करोड़ डॉलर है, जो स्थानीय उत्पादन के साथ संभावित रूप से 6.0-7.5 करोड़ डॉलर हो सकती है, जो अभी भी F-35 से सस्ता है। रूसी सरकारी रक्षा समूह रोस्टेक के सीईओ सर्गेई चेमेज़ोव ने दुबई एयरशो में कहा-हम भारत को आवश्यक कोई भी हथियार उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं। सैन्य उपकरणों के संबंध में भारत की मांगों को पूरा करने के लिए हम हाल के वर्षों में अपनाए गए उसी दृष्टिकोण को बनाए रखेंगे।
बिना शर्त दे रहा है फाइटर की तकनीक
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस भारत को बिना किसी शर्त के पांचवीं पीढ़ी के Su-57 स्टेल्थ फाइटर जेट्स और तकनीक देने को तैयार है। रूसी Su-57 लड़ाकू विमानों को अमेरिकी F-35 का प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। भारत में Su-57 के उत्पादन को लेकर भी रूस ने आश्वासन दिया है। रक्षा क्षेत्र में रूस और भारत का सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है। यह कदम भारत की सैन्य ताकत को और बढ़ाएगा।
रूस ने चीन को भी नहीं दी है ये तकनीक
चीन भी रूस का सबसे बड़ा रक्षा साझीदार है, लेकिन उसने उसे भी Su-57 की तकनीक नहीं दी है। रूस ने चीन को सिर्फ Su-35 लड़ाकू विमान दिए हैं, लेकिन उसके इंजन की तकनीक हस्तांतरण नहीं की।
अमेरिका किसी को नहीं देता तकनीक
अमेरिका किसी भी देश को तकनीक का ट्रांसफर नहीं करता। इससे खरीदार देश को कई तरह के नुकसान होते हैं। तकनीक नहीं मिलने से खरीदार देश को रखरखाव, मरम्मत, कलपुर्जों एवं अपग्रेडेशन के लिए हमेशा आपूर्तिकर्ता देश पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में रूस भारत का असली पक्का दोस्त साबित हो रहा है।
जब भारत को तकनीक ट्रांसफर नहीं होने का उठाना पड़ा नुकसान
पिछली सदी के नौवें दशक में भारत ने फ्रांस से मिराज-2000 लड़ाकू विमान खरीदे थे। लेकिन इंजन, रडार, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि किसी की भी तकनीक नहीं मिली। तीन दशक बाद मिराज के इंजन और एवियोनिक्स पुराने होने लगे थे। लिहाजा भारत को अपग्रेडेशन के लिए कई हजार करोड़ रुपये चुकाने पड़े थे।







