देहरादून : हाल ही में अंकिता भंडारी हत्या कांड में राजस्व पुलिस की कार्यवाही की पोल खोल कर रख दी है। एक खबर के मुताबिक उत्तराखंड के 61 फीसदी हिस्से में न कोई थाना है, न कोई पुलिस, रेवेन्यू डिपार्टमेंट करता है पुलिस का काम। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मूलतः पौड़ी जिले से दिल्ली के रहने वाले एक पत्रकार अर्जुन सिंह ने 26 सितम्बर को केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली द्वारा प्रधानमंत्री को रेवेन्यू डिपार्टमेंट से पुलिस का काम हटाने के लिए शिकायत की थी। जिसपर 29 सितम्बर को राज्य सरकार द्वारा दिए जवाब में शासन स्तर से सम्बन्धित बताकर शिकायत को बंद कर दिया गया। इसपर शिकायतकर्ता करता का कहना है कि आज भी अंग्रेजों की बनाई वह व्यवस्था जारी है जहां पुलिस का काम राजस्व विभाग के कर्मचारी और अधिकारी ही करते हैं। 2018 में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भी इस व्यवस्था को समाप्त करने के आदेश दिए थे, लेकिन चार वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
उत्तराखंड क्रांति दल महिला प्रदेश अध्यक्ष प्रमिला रावत का कहना है कि अंकिता भंडारी हत्या कांड ने राज्य की महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किये है। देश सहित कई राज्यों की पुलिस महकमा मज़बूत किया गए और देश के कोने-कोने में लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस चौकियां खोली गईं। महिला पुलिस की तैनाती की गई। अलग-अलग तरह की हेल्पलाइन शुरू हुई। वक्त के साथ पुलिस विभाग को लगातार मॉडर्न ट्रेनिंग और तकनीक से समृद्ध किया जा रहा है। लेकिन उत्तराखंड का ज्यादातर क्षेत्र इन तमाम चीजों से अछूता है। यूकेडी देहरादून जिला कार्यकारी अध्यक्ष किरण रावत बताती है, राजस्व पुलिस में पटवारी, लेखपाल, कानूनगो और नायब तहसीलदार जैसे कर्मचारी और अधिकारी ही यहां रेवेन्यू वसूली के साथ-साथ पुलिस का काम कर रहे है। अपराध की स्थिति में लोगों को एफआईआर भी लिखनी होती है, मामले की जांच-पड़ताल भी करनी होती है और अपराधियों की गिरफ्तारी भी इन्हीं के जिम्मे है। वही पार्टी से पौड़ी की पूर्व प्रतियाशी पूनम टम्टा ने भी रेवेन्यू डिपार्टमेंट से पुलिस प्रशाशन को सौपे जाने की वकालत की है.
पौड़ी जिला प्रधान संगठन अध्यक्ष कमल रावत ने बताया ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस का हस्तक्षेप न होने से ग्रामीण इलाको में बने अवैध रिसोर्ट, गतिविधियों पर छानबीन होती ही नहीं या सही प्रकार से नही होती है। जिस कारण अपराधियों के हौसले बुलंद है। जबकि राज्यस्व पुलिस में किसी भी काम को करने के लिए इनके पास न तो कोई संसाधन होते हैं और न ही इन्हें इसकी ट्रेनिंग मिलती है। वही उत्तराखंड राज्य में अपराध और बाहरी लोगो का आना जाना बढ़ने लगा है। यह देवीभूम के लिए चिंता का विषय है. लिहाज़ा समूचे राज्य में पुलिस की जरूरत और पुलिस थाने खुलने से पहाड़ों में बढ़ते अपराध को नियंत्रण करने में मदद मिलेगी।