पालमपुर: सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर ने 9-13 अक्टूबर, 2023 के दौरान मेघालय के किसानों के लिए “कृषि औरप्रौधोगिकी, सुगंधित और औधोगिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों का मूल्य संवर्धन और विपणन” पर कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किया गया । मेघालय के चार जिलों पूर्व खासी, पश्चिम खासी, दक्षिण खासी और पूर्वी पश्चिमी खासी के किसानों के साथ-साथ मेघालय बेसिन विकास प्राधिकरण (एमबीडीए) के प्राकृतिक संसाधन संस्थान, शिलांग, मेघालय के कर्मचारियों ने भी इस कार्यक्रम में प्रतिभागिता की। वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिकतथा कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत का पहाड़ी राज्य मेघालय में अनिश्चित मौसम और अत्यधिक बारिश के कारण पारंपरिक खेती अलाभकारी होती जा रही है।
सुगंधित फसलें और महत्वपूर्ण औधोगिक फसलें एक उपयुक्त विकल्प बनकर उभरी हैं। इन फसलों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है। सुगंधित फसलों से सगंध तेल प्राप्त होता है जो इसे आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता हैं। ये कम मात्रा वाली, उच्च मूल्य प्रदान करने वाली फसलें हैं। जिनका उपयोग इत्र, अरोमाथेरेपी, भोजन, सौंदर्य प्रसाधन और दवा आदि उधोग मे उपयोग होता है। वर्ष 2016 मे वैश्विक सगंध तेल बाजार मूल्य 6.63 बिलियन यू एस डॉलर था, जिसका 2030 तक 40.12 बिलियन यू एस डॉलर होने का अनुमान है।
प्राकृतिक संसाधन संस्थान, मेघालय के वरिष्ठ तकनीकी सहायक श्री मार्कशील्ड वारजरी अपने संस्थान के अन्य सदस्यों एवं किसानों के साथ आए। उन्होंने कहा कि भारत के अधिकांश राज्यों की तरह मेघालय भी एक कृषि प्रधान राज्य है,जहां की 83% आबादी कृषि पर निर्भर है। कृषि को अपने करियर के रूप में अपनाने के इच्छुक युवाओं की संख्या में गिरावट एक बड़ी चिंता का विषय है। इन युवाओं को कृषि को आजीविका के रूप में अपनाने और पारंपरिक कृषि ज्ञान और प्रथाओं को बनाए रखनेतथा इसेआगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। मेघालय में सुगंधित तथा औधोगिक फसलों की खेती के लिए आदर्श स्थितियाँ हैं।
इन औषधीय और सुगंधित पौधों की उपज की वैश्विक बाजार में भारी मांग और उत्पादकों तथा उधमियों के व्यापक हित के लिए खेती के क्षेत्रों में सतत विस्तार के लिए राज्य में अपार अवसर हैं। सीएसआईआर-आईएचबीटी के कृषि प्रौधोगिकी प्रभाग के प्रमुख डॉ. सनत सुजात सिंह ने कहा कि सुगंधित गेंदा, सिट्रोनेला, कैमोमाइल, रोजमेरी, दमस्क गुलाब, नींबू घास, पुदीना आदि प्रजातियां मेघालय की जलवायु परिस्थितियों के लिए महत्वपूर्ण फसलें होंगी।
इस कार्यक्रम के दौरान, किसानों को मेघालय के लिए उपयुक्त महत्वपूर्ण सुगंधित और पुष्पव खेती वाली फसलों की उन्नत कृषि और प्रौधोगिकी प्रक्रिया पर प्रशिक्षण दिया गया। सगंध तेल निष्कर्षण परचांदपुर फार्म में एक व्यावहारिक प्रदर्शन किया गया तथा औषधीय और सुगंधित फसलों के खेतों का भ्रमणऔर फसलोंपरांत प्रसंस्करण और भंडारण की जानकारी भी दी गई। इंजीनियर मोहित शर्मा और इंजीनियर विवेश सूद ने किसानों को संस्थान में स्थापित आसवन इकाइयों के माध्यम से उचित प्रबंधन, प्रसंस्करण और संगध तेल निष्कर्षण के बारे में विस्तार से बताया। किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और सुगंधित फसलों की खेती और प्रबंधन में जिज्ञासाओं और समस्याओं पर चर्चा की।
किसानों ने पुष्पध खेती के फार्मों का भी दौरा किया और खेती की तकनीकों का व्यावहारिक प्रदर्शन देखा । उन्होंने व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों के विपणन के लिए संपर्क स्थापित करने के बारे में भी सीखा, किसानों को सीएसआईआर-आईएचबीटी में विभिन्न सुविधाओं जैसे हाइड्रोपोनिक, एरोपोनिक, टिशू कल्चर सुविधा, खाद्य/फल प्रसंस्करण, मधुमक्खी पालन, शीटाके मशरूम और बांस संग्रहालय आदि से भी अवगत कराया गया। इन किसानों द्वारा प्रगतिशील किसान के खेत का भी दौरा किया तथा सुगंधित पौधों की खेती और मूल्य संवर्धन के बुनियादी चरणों को सीखा।
सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने कहा कि हमारा संस्थान कृषक समुदाय की आर्थिकी को पुनर्जीवित करने और सगंधित एवं औधोगिकमहत्व के पादपों की खेती के माध्यम से उनकी आय को दोगुना करने के लिए सीएसआईआर मिशन परियोजनाओं केअंतर्गत क्षमता निर्माण और कौशल विकास कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से किसानों को सक्षम बना रहा है। किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, फसल कटाई के बाद प्रसंस्करण और इन फसलों के मूल्य संवर्धन के बारे में जागरूक करने और इन उत्पादों के लिए विदेशों पर निर्भरता कम करने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।
प्राकृतिक संसाधन संस्थान, शिलांग के टीम लीडर श्री मार्कशील्ड वारजरी ने वैज्ञानिकों को धन्यवाद दिया और किसानों से फसल की पैदावार में सुधार के लिए सगंधित फसलों की खेती की उन्नत कृषि तकनीक का पालन करने का आग्रह किया। किसानों ने प्रशिक्षण को बहुत उपयोगी, ज्ञानवर्धक और इस कार्यक्रम से सीखी गई प्रथाओं को आज़माने के लिए इच्छा जताया। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि मेघालय के 22 अन्य किसानों का दूसरा दल 16 से 20 अक्टूबर, 2023 को संस्थान का दौरा करेगा।