नई दिल्ली: केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में बड़े बदलाव करने की तैयारी में है. इसको लेकर सरकार संसद में दो बिल लाने जा रही है. पहले बिल के जरिए सरकार मुसलमान वक्फ कानून 1923 को समाप्त करेगी, जबकि दूसरे बिल के जरिए वक्फ कानून 1995 में महत्वपूर्ण संशोधन होंगे. बिल विधेयक को पेश किए जाने से पहले मंगलवार रात को लोकसभा सांसदों को इसकी कॉपी वितरित की गई. इसके जरिए पता चला है कि विधेयक पेश होने के बाद वक्फ बोर्ड अधिनियम में क्या-क्या बदलाव होंगे.
बिल के प्रावधान मुसलमानों के हित में होंगे: अल्पसंख्यक आयोग
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा ने सदन में वक्फ बोर्ड बिल पेश किए जाने के संबंध में बताया कि हर व्यवस्था में समय के साथ सुधार की जरूरत होती है. सरकार देश और समाज के हित में ही काम करती है. उन्होंने कहा कि बिल में जो भी प्रावधान होंगे, वह इस्लाम के अनुयायियों के हितों को ध्यान में रखकर किए जाएंगे. वक्फ बोर्ड की संपत्ति को लेकर कई शिकायतें आ रही हैं. शैक्षणिक स्थलों और कब्रिस्तानों का दुरुपयोग किया जा रहा है. सरकार इस्लाम के अनुयायियों के व्यापक हितों को ध्यान में रखकर फैसला लेगी.
वक्फ बोर्ड अधिनियम में क्या-क्या होंगे बदलाव?
वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन बिल 2024 के जरिए केंद्र सरकार पुराने कानून में 44 संशोधन करने जा रही है. वक्फ कानून में संशोधन के लिए विधेयक में व्यापक बदलाव और अधिनियम का नाम बदलने का प्रस्ताव है. वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है. लोकसभा में पेश करने के लिए निर्धारित वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करना है.
अपने उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, विधेयक यह तय करने के लिए बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रयास करता है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं. यह केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की व्यापक आधार वाली संरचना प्रदान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है. विधेयक में बोहरा और आगाखानियों के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड की स्थापना का भी प्रस्ताव है. मसौदा कानून मुस्लिम समुदायों के बीच शिया, सुन्नी, बोहरा, आगखानी और अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान करता है.
विधेयक का उद्देश्य ‘वक्फ’ को कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन करने वाले और ऐसी संपत्ति का स्वामित्व रखने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा वक्फ के रूप में स्पष्ट रूप से परिभाषित करना है. इसका एक उद्देश्य केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस के साथ राजस्व कानूनों के अनुसार उत्परिवर्तन के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया स्थापित की जाती है. वक्फ अधिनियम, 1995, एक ‘वकीफ’ (वह व्यक्ति जो मुस्लिम कानून द्वारा धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए संपत्ति समर्पित करता है) द्वारा ‘औकाफ’ (दान की गई और वक्फ के रूप में अधिसूचित संपत्ति) को विनियमित करने के लिए लाया गया था.
विपक्ष के विरोध पर अल्पसंख्यक आयोग की सफाई
विपक्ष द्वारा विरोध जताए जाने पर इकबाल सिंह ने कहा कि सरकार जो भी विधेयक लाती है, उस पर राज्यसभा और लोकसभा में चर्चा होती है. कोई भी विधेयक सदन की मर्यादा के अनुसार ही पारित होता है. किसी पर कोई विधेयक थोपा नहीं जाता. सदन की मर्यादा के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी कर वक्फ बोर्ड अधिनियम में किसी भी प्रकार के संशोधन को अस्वीकार किया गया है. पिछले दिनों बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा था कि विश्वसनीय जानकारी के अनुसार, भारत सरकार वक्फ एक्ट 2013 में लगभग 40 संशोधनों के माध्यम से वक्फ की संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति को बदलना चाहती है, ताकि उन पर कब्जा करना और उन्हें हड़पना आसान हो जाए. इस प्रकार का विधेयक अगले सप्ताह संसद में पेश किया जा सकता है.