प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते हाल के वर्षों में मजबूत हुए हैं, लेकिन स्टील और एल्यूमिनियम पर अमेरिकी टैरिफ ने दोनों देशों के बीच तनाव पैदा कर दिया है। अमेरिका ने 2018 में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के तहत भारतीय स्टील पर 25% और एल्यूमिनियम पर 10% टैरिफ लगाया था, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर उचित ठहराया गया। इसके जवाब में, भारत ने अब विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है। यह कदम न केवल भारत के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार में भारत की मजबूत स्थिति को भी दर्शाता है।
स्टील और एल्यूमिनियम उद्योग पर गहरा प्रभाव
अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का भारतीय स्टील और एल्यूमिनियम उद्योग पर गहरा प्रभाव पड़ा है। विश्व व्यापार संगठन को दी गई जानकारी के अनुसार, इन टैरिफ के कारण भारत से 7.6 बिलियन डॉलर के निर्यात प्रभावित हुए हैं, जिससे अमेरिका को लगभग 1.91 बिलियन डॉलर की ड्यूटी प्राप्त हुई। भारतीय स्टील और एल्यूमिनियम उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ा, जिसके चलते कई कंपनियों ने अपनी उत्पादन क्षमता को कम किया। इसके जवाब में, भारत ने पहले भी कुछ अमेरिकी कृषि उत्पादों जैसे बादाम और अखरोट पर जवाबी शुल्क लगाए थे। हालांकि, हाल के घटनाक्रमों में भारत ने इन टैरिफ को हटाने की पेशकश की है, बशर्ते अमेरिका स्टील और एल्यूमिनियम पर अपने टैरिफ में छूट दे। लेकिन अमेरिका ने अब तक इस मामले में कोई रियायत नहीं दी है।
भारत का अमेरिका पर बड़ा फैसला !
9 मई, 2025 को, भारत ने डब्ल्यूटीओ के ट्रेड इन गुड्स काउंसिल को सूचित किया कि वह अमेरिकी स्टील और एल्यूमिनियम टैरिफ के जवाब में चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने की योजना बना रहा है। भारत का यह कदम डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुरूप है और इसका उद्देश्य अमेरिकी टैरिफ से हुए नुकसान की भरपाई करना है। भारत ने कहा कि वह 1.91 बिलियन डॉलर के बराबर ड्यूटी अमेरिकी मूल के उत्पादों से वसूलने का लक्ष्य रखता है।
भारत ने डब्ल्यूटीओ को यह भी स्पष्ट किया कि वह 30 दिनों की अधिसूचना अवधि के बाद इन जवाबी शुल्कों को लागू करने का अधिकार सुरक्षित रखता है। इसके अलावा, भारत ने द्विपक्षीय बातचीत के जरिए इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन अमेरिका की ओर से कोई ठोस प्रगति नहीं हुई।
भारतीय उद्योगों पर प्रभाव !
जवाबी शुल्क से भारतीय स्टील और एल्यूमिनियम उद्योग को राहत मिलेगी, क्योंकि यह अमेरिकी टैरिफ से हुए नुकसान की भरपाई करेगा। उद्योग जगत के नेताओं ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है।कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि “जवाबी शुल्क से भारत के इंजीनियरिंग निर्यात पर असर पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिका पहले से ही भारतीय निर्यात पर उच्च शुल्क लगा रहा है।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंध !
यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव को बढ़ा सकता है, लेकिन भारत ने डब्ल्यूटीओ नियमों का पालन करके अपनी स्थिति को मजबूत किया है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत चल रही है, जिसमें भारत ने स्टील, ऑटो पार्ट्स और फार्मास्यूटिकल्स पर शून्य-के-लिए-शून्य टैरिफ की पेशकश की है। जवाबी शुल्क इस बातचीत में भारत की सौदेबाजी की स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
वैश्विक व्यापार पर प्रभाव
भारत का यह कदम अन्य देशों को भी प्रेरित कर सकता है, जो अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित हैं। उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 100 बिलियन डॉलर से अधिक के जवाबी शुल्क की सूची तैयार की है। वैश्विक स्टील और एल्यूमिनियम बाजार में कीमतों और आपूर्ति श्रृंखला पर भी असर पड़ सकता है।
भारत की रणनीति में क्या शामिल ?
भारत की रणनीति में कुछ बिंदु शामिल हैं डब्ल्यूटीओ नियमों का पालन भारत ने जवाबी शुल्क को डब्ल्यूटीओ के नियमों के तहत वैध ठहराया है, जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता बनी रहे। भारत ने अमेरिका के साथ बातचीत के दरवाजे खुले रखे हैं और टैरिफ छूट के बदले कुछ कृषि उत्पादों पर अपने शुल्क हटाने की पेशकश की है। भारत ने उच्च-मूल्य वाले अमेरिकी निर्यात, जैसे कृषि उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, और प्रौद्योगिकी सामान, को लक्षित करने की संभावना जताई है, जिससे वह अपनी रणनीति को बदलते परिदृश्य के अनुसार ढाल सकता है।
भारतीय स्टील और एल्यूमिनियम पर विशेषज्ञ !
भारतीय स्टील और एल्यूमिनियम उत्पादकों पर अर्थशास्त्र मामलों के जानकार प्रकाश मेहरा का मानना है कि “जवाबी शुल्क अल्पकालिक राहत दे सकते हैं, लेकिन लंबे समय में व्यापार युद्ध से दोनों देशों को नुकसान हो सकता है। हालांकि यह कदम भारत की “आत्मनिर्भर भारत” नीति और वैश्विक मंच पर उसकी मुखरता को दर्शाता है।”
टैरिफ के खिलाफ जवाबी शुल्क लगाने का फैसला !
भारत का अमेरिकी स्टील और एल्यूमिनियम टैरिफ के खिलाफ जवाबी शुल्क लगाने का फैसला एक साहसिक और रणनीतिक कदम है। यह न केवल भारतीय उद्योगों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि वैश्विक व्यापार में भारत की बढ़ती ताकत को भी दर्शाता है। हालांकि, इस कदम से भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ तनाव आ सकता है, लेकिन भारत ने डब्ल्यूटीओ नियमों का पालन करके और द्विपक्षीय बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखकर अपनी स्थिति को मजबूत किया है। आने वाले महीने इस बात को तय करेंगे कि क्या यह विवाद बातचीत के जरिए सुलझेगा या व्यापार युद्ध की ओर बढ़ेगा।