स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली। ईरान और इजराइल के बीच तनाव हाल के वर्षों में चरम पर पहुंच गया है, खासकर 2023-2025 के बीच हुए सैन्य टकरावों के कारण। आइए दोनों देशों की सेनाओं की ताकत और हालिया संघर्षों की स्थिति का विशेष विश्लेषण एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
ईरान और इजराइल की सैन्य ताकत
मानव संसाधन (Manpower) ईरान के पास कुल सैन्य बल 11.8 लाख, जिसमें 6.1 लाख सक्रिय सैनिक और 3.5 लाख रिजर्व सैनिक शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, 2.2 लाख अर्धसैनिक बल (बासिज) हैं, जो आंतरिक सुरक्षा और युद्ध में सहायता करते हैं। ईरान की बड़ी आबादी (5 करोड़ युवा) इसे विशाल मानव संसाधन प्रदान करती है।
इजराइल के पास कुल सैन्य बल ~6.7 लाख, जिसमें 1.7 लाख सक्रिय सैनिक और 4.65 लाख रिजर्व सैनिक हैं। अर्धसैनिक बल ~35,000 । इजराइल में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य है, जो इसे चुस्त और प्रशिक्षित सेना प्रदान करता है।
ईरान की सेना संख्याबल में इजराइल से कहीं आगे है, लेकिन इजराइल की सेना तकनीकी और प्रशिक्षण में अधिक कुशल मानी जाती है।
वायुसेना (Air Force)
ईरानी वायुसेना में ~37,000 कर्मी और 550+ विमान हैं, लेकिन अधिकांश पुराने (मिग-29, F-14) हैं। ईरान ने स्वदेशी ड्रोन (जैसे शाहेद-136) और बैलिस्टिक मिसाइलों पर ज्यादा ध्यान दिया है। इसके पास 15,000+ एयर डिफेंस सिस्टम हैं, लेकिन ये इजराइल के आयरन डोम जितने उन्नत नहीं।
इजराइली वायुसेना (IAF) में ~34,000 कर्मी और 600+ आधुनिक विमान हैं, जिनमें F-15, F-16, और F-35 स्टील्थ जेट शामिल हैं। आयरन डोम और एरो-3 डिफेंस सिस्टम 90% मिसाइल हमलों को निष्क्रिय कर सकते हैं।
इजराइल की वायुसेना तकनीकी रूप से श्रेष्ठ है, जबकि ईरान ड्रोन और मिसाइलों पर निर्भर करता है।
नौसेना (Navy)
ईरानी नौसेना में 220+ जहाज हैं, लेकिन अधिकांश छोटे और पुराने हैं। इसकी ताकत होर्मुज जलडमरूमध्य में प्रॉक्सी हमलों और माइन युद्ध में है। IRGC की नौसेना असममित युद्ध में माहिर है।
इजराइली नौसेना छोटी (~60 जहाज) लेकिन आधुनिक है, जिसमें सआर-6 कोरवेट और डॉल्फिन-क्लास पनडुब्बियां शामिल हैं। यह भूमध्य सागर में प्रभावी है।
ईरान की नौसेना क्षेत्रीय जल में असममित युद्ध में सक्षम है, लेकिन इजराइल की नौसेना तकनीकी रूप से बेहतर है।
मिसाइल और परमाणु क्षमता
ईरान के पास 3,000+ बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें हैं, जिनमें फतेह-110 और हाइपरसोनिक मिसाइलें शामिल हैं। इसका मिसाइल कार्यक्रम क्षेत्रीय खतरे पैदा करता है। IAEA की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने 60% संवर्धित यूरेनियम का भंडार बढ़ाया है, लेकिन परमाणु हथियार की पुष्टि नहीं हुई।
इजराइल के पास जेरिको-3 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें हैं और माना जाता है कि उसके पास 80-200 परमाणु हथियार हैं, हालांकि यह आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं करता।
ईरान की मिसाइल संख्या अधिक है, लेकिन इजराइल की परमाणु क्षमता इसे रणनीतिक बढ़त देती है।
किसके पास कितना रक्षा बजट !
ईरान के पास ~$10-12 बिलियन (अनुमानित, प्रतिबंधों के कारण कम)। स्वदेशी हथियार विकास पर जोर। इजराइल के पास $30.5 बिलियन, जिसमें अमेरिकी सैन्य सहायता ($3.8 बिलियन सालाना) शामिल है। इजराइल का रक्षा बजट और तकनीकी सहायता इसे संसाधनों में बढ़त देती है।
प्रॉक्सी और गठबंधन
ईरान का “प्रतिरोध की धुरी” नेटवर्क (हिजबुल्लाह, हूती, हमास, इराकी मिलिशिया) इसे अप्रत्यक्ष युद्ध में ताकत देता है। हिजबुल्लाह के पास 150,000+ रॉकेट हैं। रूस और चीन से सीमित समर्थन। इजराइल के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, और कुछ अरब देशों (अब्राहम समझौते के तहत) का मजबूत समर्थन। खुफिया और तकनीकी सहायता में बढ़त। ईरान प्रॉक्सी युद्ध में माहिर है, जबकि इजराइल के पास शक्तिशाली वैश्विक गठबंधन हैं।
हालिया टकराव: 2023-2025 की प्रमुख घटनाएं
7 अक्टूबर 2023 में हमास (ईरान समर्थित) ने इजराइल पर हमला किया, जिसमें ~1,200 लोग मारे गए। इससे इजराइल-हमास युद्ध शुरू हुआ, जो ईरान-इजराइल तनाव का हिस्सा बना। अप्रैल 2024 में इजराइल ने दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमला किया, जिसमें IRGC के ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा जाहेदी मारे गए। जवाब में ईरान ने इजराइल पर 300+ ड्रोन और मिसाइलों से पहला प्रत्यक्ष हमला किया।
जून 2025 में इजराइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” शुरू किया, जिसमें ईरान के परमाणु ठिकानों (इस्फहान, फोर्डो, परचिन) और सैन्य बेस पर 200+ F-35 जेट्स से हमले किए। ईरान के 6 वैज्ञानिक, 20 सैन्य अधिकारी, और IRGC चीफ हुसैन सलामी की मौत की खबर। ईरान ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-3” के तहत 150+ मिसाइलें इजराइल पर दागीं, जिसमें इजराइली रक्षा मंत्रालय को निशाना बनाया गया।इजराइली हमलों में 78 ईरानी मारे गए, 329 घायल। ईरानी हमलों में इजराइल में न्यूनतम हताहत।
अमेरिका ने ईरान को चेतावनी दी, जबकि रूस ने मध्यस्थता की पेशकश की। भारत ने कूटनीति का समर्थन किया। तेल की कीमतें और मध्य पूर्व में अस्थिरता बढ़ी।
इजराइल-ईरान की ताकत !
इजराइल की ताकत उन्नत तकनीक, आयरन डोम, F-35 जेट्स, और अमेरिकी समर्थन इसे सटीक और त्वरित हमलों में सक्षम बनाते हैं। इसकी रणनीति ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने पर केंद्रित है। ईरान की ताकत विशाल क्षेत्रफल, प्रॉक्सी नेटवर्क, और मिसाइल क्षमता इसे लंबे समय तक टकराव में टिकने की क्षमता देती है। ईरान असममित युद्ध और क्षेत्रीय प्रभाव पर निर्भर करता है।
आर्थिक और रणनीतिक हित !
इजराइल तकनीकी और गुणवत्ता में आगे है, जबकि ईरान संख्याबल और प्रॉक्सी युद्ध में मजबूत है। परमाणु हथियारों की संभावित मौजूदगी इजराइल को रणनीतिक बढ़त देती है। 2025 में इजराइल के हमलों ने ईरान को नुकसान पहुंचाया, लेकिन ईरान की जवाबी क्षमता ने क्षेत्रीय युद्ध का खतरा बढ़ा दिया। दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था और मध्य पूर्व की स्थिरता प्रभावित हो सकती है। भारत ने कूटनीति और संतुलनवादी नीति अपनाई है, क्योंकि दोनों देशों से उसके आर्थिक और रणनीतिक हित जुड़े हैं।