प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
विशेष डेस्क: इस साल बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां जा रही हैं अब तक एक लाख से ज्यादा लोग इस छटनी के शिकार हो गए हैं। वो भी ऐसी जगह जहाँ लोगों का मन्ना हैं कि जॉब सिक्योरटी होती है इसके पीछे की वजह AI का तेजी से विस्तार आर्थिक दबाव और रणनीतिक बदलाव जैसे फैसले हैं।
2025 अभी आधा ही बीता हैं और एक लाख से ज्यादा लोगों की नौकरियां चली गयी हैं खासकर बड़ी टेक कंपनियों में ज्यादा ले-ऑफ हुआ हैं इसमें माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेजन और मेटा जैसी कंपनियां भी शामिल हैं इन कंपनियों ने बड़े पैमाने पर अपने कर्मचारियों की छटनी की हैं।
छंटनी के प्रमुख कारण !
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का तेजी से विस्तार AI और ऑटोमेशन ने कई क्षेत्रों में मानव संसाधनों की जरूरत को कम कर दिया है। उदाहरण के लिए, इंटेल ने 25,000 कर्मचारियों (कुल वर्कफोर्स का 20%) की छंटनी की योजना बनाई है, क्योंकि AI ने कई प्रक्रियाओं को स्वचालित कर दिया है।
आईबीएम ने 8,000 कर्मचारियों को निकाला, जिनमें से ज्यादातर HR विभाग के थे, जहां 200 भूमिकाओं को ऑटोमेशन ने रिप्लेस किया। अमेजन जैसे ई-कॉमर्स दिग्गज डिलीवरी और लॉजिस्टिक्स में रोबोट्स (“Scout”, “Proteus”) का उपयोग कर रहे हैं, जिससे डिलीवरी कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में हैं।
आर्थिक दबाव और लागत में कटौती
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के कारण कंपनियां लागत कम करने की रणनीति अपना रही हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने 6,500 कर्मचारियों (ग्लोबल वर्कफोर्स का 3%) को निकाला, जबकि एचपी ने 6,000 छंटनियां कीं, जिससे 1.4 बिलियन डॉलर की बचत का लक्ष्य है।
मॉर्गन स्टेनली और अमेजन जैसी कंपनियां भी लागत घटाने के लिए 2,000 और 14,000 कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं, जिससे सालाना 2.1-3.6 बिलियन डॉलर की बचत होने की उम्मीद है।
रणनीतिक और ग्लोबल रिस्ट्रक्चरिंग
कई कंपनियां अपने बिजनेस मॉडल को बदल रही हैं। निसान और पोर्श जैसी गैर-टेक कंपनियों ने भी छंटनी की, जिसमें निसान ने जापान में 4% वर्कफोर्स कटौती की। मेटा, सेल्सफोर्स, और ओला इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियों ने क्रमशः 3,600, 1,000, और 1,000 कर्मचारियों को निकाला, ताकि वे AI और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर फोकस कर सकें।
टेक कंपनियां AI और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए संसाधनों को री-एलोकेट कर रही हैं। इंटेल के नए CEO लिप-बू टैन ने वित्तीय संघर्षों और AI प्रतियोगिता के बीच छंटनी की घोषणा की। बैंकों में भी AI के कारण अगले 3-5 साल में 2 लाख नौकरियों के खत्म होने का अनुमान है, क्योंकि दोहराए जाने वाले कार्यों को AI टूल्स संभाल रहे हैं।
प्रमुख कंपनियों में छंटनी का आंकड़ा (2025)
- इंटेल: 25,000 कर्मचारी (20% वर्कफोर्स)
- माइक्रोसॉफ्ट: 6,500 कर्मचारी (3% वर्कफोर्स)
- आईबीएम: 8,000 कर्मचारी (मुख्यतः HR)
- मेटा: 3,600 कर्मचारी
- एचपी: 6,000 कर्मचारी
- अमेजन: 14,000 कर्मचारी
- ओला इलेक्ट्रिक: 1,000 कर्मचारी
- मॉर्गन स्टेनली: 2,000 कर्मचारी (संभावित)
क्या पड़ेगा भारत पर इसका प्रभाव ?
भारत में टेक और स्टार्टअप सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ओला इलेक्ट्रिक जैसे स्टार्टअप्स ने भी छंटनी की है। हालांकि, भारत का IT सेक्टर 2025 में 4.5 लाख नई नौकरियां पैदा करने की उम्मीद कर रहा है, खासकर AI, क्लाउड कंप्यूटिंग, और डेटा इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में। वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) भी 4.25-4.5 लाख नौकरियां सृजित कर सकते हैं, और 2030 तक 33 लाख पेशेवरों को रोजगार मिलने की संभावना है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 41% कंपनियां बड़े पैमाने पर छंटनी कर सकती हैं, और 22% नौकरियां पूरी तरह खत्म हो सकती हैं, खासकर क्लर्क और डेटा एंट्री जैसे रोल्स।अगले 5 साल में 9.2 करोड़ लोग नौकरियां गंवा सकते हैं, हालांकि 7.8 करोड़ नई नौकरियां भी सृजित होंगी। स्किल्ड प्रोफेशनल्स के लिए AI/ML इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट, और क्लाउड आर्किटेक्ट जैसे रोल्स में मांग बढ़ रही है, जो 8-10% अधिक वेतन दे रहे हैं।
अब क्या करें कर्मचारी ?
स्किल अपग्रेड करें AI, डेटा एनालिटिक्स, साइबर सिक्योरिटी, और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में ट्रेनिंग लें। नई नौकरियों की तलाश IT, हेल्थकेयर और GCC जैसे क्षेत्रों में अवसर तलाशें। सरकारी नौकरियां 2025 में भारत में रेलवे, पुलिस, और SSC जैसी भर्तियां निकल रही हैं। फ्लेक्सिबल बनें नई तकनीकों और रोल्स के लिए खुद को अनुकूलित करें।
2025 में छंटनी का दौर AI क्रांति, आर्थिक चुनौतियों और कॉर्पोरेट रिस्ट्रक्चरिंग का परिणाम है। हालांकि, भारत में IT और GCC सेक्टर में नई नौकरियों के अवसर भी बन रहे हैं। कर्मचारियों को अपने स्किल्स को अपग्रेड कर इस बदलते परिदृश्य में प्रतिस्पर्धी बने रहना होगा।