प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली। छांगुर बाबा, जिनका असली नाम जमालुद्दीन है, उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के रहने वाले हैं और उन पर अवैध धर्मांतरण रैकेट चलाने का आरोप है। इस मामले में उनकी एक किताब “शिजर-ए-तैय्यबा” का जिक्र बार-बार सामने आया है, जिसे वे धर्मांतरण के लिए इस्तेमाल करते थे। यह किताब कथित तौर पर इस्लाम का महिमामंडन करती थी और हिंदू धर्म की आलोचना करती थी, जिसे छांगुर बाबा और उनके सहयोगी गरीब और दलित समुदायों को लुभाने के लिए उपयोग करते थे।
धर्मांतरण का नेटवर्क
छांगुर बाबा पर आरोप है कि “उन्होंने एक संगठित नेटवर्क के जरिए हजारों लोगों, खासकर हिंदू और सिख लड़कियों, का धर्म परिवर्तन कराया। यूपी एटीएस और एसटीएफ की जांच में पता चला कि यह नेटवर्क भारत-नेपाल सीमा, मुंबई, पुणे और विदेशों (जैसे तुर्की, पाकिस्तान, यूएई) तक फैला था।
शिजर-ए-तैय्यबा में इस किताब को छांगुर बाबा ने बड़े पैमाने पर छपवाकर बांटने की योजना बनाई थी। इसका उद्देश्य लोगों को इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित करना था। किताब में कथित तौर पर हिंदू धर्म की निंदा और इस्लाम की प्रशंसा थी, जिसे धर्मांतरण के लिए प्रचार सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
कोडवर्ड और रणनीति
छांगुर बाबा अपने सहयोगियों से कोडवर्ड में बात करते थे, जैसे “मिट्टी पलटना” (धर्मांतरण), “प्रोजेक्ट” (लड़कियां), “काजल” (मानसिक उत्पीड़न), और “दर्शन” (बाबा से मिलवाना)। यह गोपनीयता बनाए रखने के लिए किया जाता था।
जांच में सामने आया कि “छांगुर बाबा को पश्चिम एशिया (तुर्की, पाकिस्तान, यूएई, सऊदी अरब) से करीब 100-500 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली। उनके 40 से अधिक बैंक खातों में 106 करोड़ रुपये का लेन-देन पाया गया। यह पैसा धर्मांतरण केंद्र (दावा केंद्र) और अवैध मदरसों के लिए इस्तेमाल होता था।
छांगुर को लालच और दबाव
छांगुर और उनके गुर्गे गरीबों को पैसे, नौकरी, और विदेश भेजने का लालच देते थे। न मानने पर धमकियां दी जाती थीं। अलग-अलग जातियों के लिए धर्मांतरण की दरें तय थीं, जैसे दलितों के लिए 8 लाख और सिख लड़कियों के लिए 15 लाख। बलरामपुर में छांगुर की 3-6 बीघा में बनी आलीशान कोठी, जिसे अवैध निर्माण माना गया, को बुलडोजर से ढहा दिया गया। यहीं से उनका रैकेट संचालित होता था।
कितनी हुई गिरफ्तारियां और जांच ?
यूपी एटीएस ने छांगुर बाबा और उनकी सहयोगी नीतू रोहरा (उर्फ नसरीन) को लखनऊ से गिरफ्तार किया। उनके सहयोगी नवीन रोहरा और अन्य भी जांच के दायरे में हैं। एटीएस और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी फंडिंग की जांच कर रहे हैं।
एक युवती ने बताया कि छांगुर के गुर्गे हिंदू बनकर लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाते थे, फिर ब्रेनवॉश कर धर्म परिवर्तन करवाते थे। नेपाल सीमा के रास्ते हवाला से पैसा आता था।
छांगुर बाबा ने गरीबी से शुरूआत की, लेकिन विदेशी फंडिंग और संगठित नेटवर्क के जरिए एक बड़ा धर्मांतरण रैकेट खड़ा किया। उनकी किताब “शिजर-ए-तैय्यबा” इस रैकेट का एक प्रमुख हिस्सा थी, जिसे धार्मिक प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह नेटवर्क भारत के 579 जिलों में फैलने की योजना बना रहा था, जिसमें 2000 गुर्गे शामिल थे। जांच में कोडवर्ड, अवैध मदरसे, और विदेशी मौलानाओं की भूमिका भी सामने आई है।







