प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए धनखड़ ने अपना पद छोड़ दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया। हालांकि, इस्तीफे की टाइमिंग और परिस्थितियों ने कई सवाल खड़े किए हैं, खासकर तब जब संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका था। विपक्ष और कुछ विश्लेषकों का मानना है कि “यह इस्तीफा सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से नहीं, बल्कि राजनीतिक दबाव और बीजेपी की आंतरिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है।”
धनखड़ का इस्तीफा क्या थी वजह ?
धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों को प्रमुख बताया, लेकिन कई घटनाएं इसकी पृष्ठभूमि में नजर आती हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, धनखड़ और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, खासकर जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू के बीच तनाव था। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में नड्डा और रिजिजू की अनुपस्थिति ने धनखड़ को नाराज किया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे धनखड़ के प्रति अपमान के रूप में देखा, जिसने इस्तीफे की जमीन तैयार की।
विपक्ष के आरोप
विपक्ष ने धनखड़ पर बीजेपी के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया था, खासकर किसान आंदोलन (2023) पर उनके बयानों को लेकर। इसके अलावा, उनके खिलाफ 2024 में अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया, जो उनके कार्यकाल को विवादास्पद बनाता रहा। निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने इसे बीजेपी की साजिश करार दिया, दावा करते हुए कि धनखड़ की निष्पक्षता कुछ बीजेपी नेताओं को रास नहीं आई। उन्होंने इसे एक “बड़ा सियासी खेल” बताया।
बीजेपी का ‘सेफ गेम’ और नई रणनीति
धनखड़ के इस्तीफे के बाद बीजेपी अब उपराष्ट्रपति पद के लिए “सेफ गेम” खेलने की तैयारी में है। पार्टी का फोकस ऐसे उम्मीदवार पर है जो पार्टी विचारधारा से जुड़ा हो: बीजेपी चाहती है कि नया उपराष्ट्रपति उनकी नीतियों के साथ पूरी तरह तालमेल में रहे और विवादों से दूर रहे।
धनखड़ के कार्यकाल में विपक्ष के साथ लगातार टकराव ने बीजेपी को असहज किया। इसलिए, पार्टी अब ऐसा नेता चाहती है जो संसदीय कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाए। बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण बीजेपी अपने सहयोगी जेडीयू को साधने की कोशिश में है।
कौन है संभावित उम्मीदवार
उपराष्ट्रपति पद के लिए कई नाम चर्चा में हैं, लेकिन बीजेपी सतर्कता बरत रही है हरिवंश नारायण सिंह वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति और जेडीयू नेता। बिहार से होने के कारण उनकी उम्मीदवारी एनडीए की क्षेत्रीय रणनीति को मजबूत कर सकती है। कुछ अटकलों में बिहार के सीएम नीतीश कुमार का नाम उछला, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि बिहार चुनाव से पहले उन्हें हटाना बीजेपी और जेडीयू दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। वसुंधरा राजे, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा: ये नाम भी चर्चा में हैं, लेकिन बीजेपी सूत्रों ने जेडीयू के रामनाथ ठाकुर जैसे नामों को खारिज कर दिया है।
चुनाव प्रक्रिया और समय सीमा
संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 60 दिनों के भीतर, यानी 19 सितंबर 2025 से पहले होना है। उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों द्वारा सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम के तहत होता है। जीत के लिए 394 वोटों का बहुमत जरूरी है।एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 सांसदों का समर्थन है, जो कुल 422 वोट बनाता है। यह बहुमत से अधिक है, जिससे एनडीए का उम्मीदवार जीत की स्थिति में है।
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा बीजेपी के लिए एक अप्रत्याशित झटका रहा, लेकिन पार्टी इसे अवसर में बदलने की कोशिश में है। धनखड़ के कार्यकाल से सबक लेते हुए, बीजेपी अब एक ऐसे नेता को उपराष्ट्रपति बनाना चाहती है जो पार्टी लाइन के साथ चले और गठबंधन की रणनीति को मजबूत करे, खासकर बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में। अगले कुछ हफ्तों में बीजेपी की पसंद और रणनीति स्पष्ट होगी, जो 2029 तक के राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकती है।