प्रकाश मेहरा
स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को दिल्ली समेत देश भर में बिजली की दरें बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इस फैसले में दिल्ली बिजली नियामक आयोग (DERC) को निर्देश दिया गया कि वह बिजली दरों में वृद्धि के लिए एक रोडमैप तैयार करे, जिसमें यह तय हो कि दरें कब, कैसे और कितनी बढ़ेंगी। यह वृद्धि सभी प्रकार के उपभोक्ताओं—घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक—पर लागू होगी।
मामले का आधार लंबित नियामक परिसंपत्तियां (Regulatory Assets)
यह मामला बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के वर्षों से अटके भुगतानों से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट ने इन नियामक परिसंपत्तियों को चार साल के भीतर समाप्त करने का आदेश दिया, जिसका मतलब है कि बकाया भुगतान की वसूली के लिए बिजली की दरें बढ़ेंगी।
पावर परचेज एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) में बिजली उत्पादन की लागत में वृद्धि, विशेष रूप से आयातित कोयले और गैस की कीमतों में इजाफे के कारण, डिस्कॉम को PPAC बढ़ाने की अनुमति दी गई है। यह अतिरिक्त लागत उपभोक्ताओं पर डाली जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
कोर्ट ने साफ किया कि बिजली दरों में बढ़ोतरी उचित और किफायती होनी चाहिए, जो DERC द्वारा निर्धारित सीमाओं से अधिक न हो। सभी लंबित नियामक परिसंपत्तियों को चार साल में समाप्त करना होगा, जिसके लिए दरों में क्रमिक वृद्धि की जाएगी। यह फैसला न केवल दिल्ली, बल्कि अन्य राज्यों पर भी असर डालेगा, जहां नियामक परिसंपत्तियां लंबित हैं।
दिल्ली में प्रभाव
दिल्ली में बिजली की दरें पहले ही PPAC के कारण कुछ हद तक बढ़ चुकी हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में PPAC में 4% की वृद्धि से बिल में उल्लेखनीय इजाफा हुआ था। अब DERC द्वारा तैयार रोडमैप के आधार पर दरों में और वृद्धि होगी, जिसका असर सभी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
अन्य राज्यों पर असर
मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में हाल ही में 6 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की गई, जो अगले बिलिंग साइकिल से लागू होगी। फिक्स्ड चार्ज में भी इजाफा हुआ है।
उत्तर प्रदेश: यूपी में बिजली दरें पहले से ही पड़ोसी राज्यों की तुलना में अधिक हैं, और नई वृद्धि पर विचार चल रहा है।
झारखंड और बिहार: झारखंड में बिजली की दर 6.85 रुपये प्रति यूनिट है, जो देश में सबसे महंगी है, जबकि बिहार में यह 2.45 रुपये प्रति यूनिट है।
विवाद और चुनौतियां
मध्य प्रदेश में विरोध जबलपुर के एक एनजीओ ने फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट (FCA) के आधार पर हर तिमाही दरें बढ़ाने को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन बताते हुए हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
उपभोक्ता शिकायत कर रहे हैं कि “सरकार सीधे बिल न बढ़ाकर PPAC और अन्य चार्ज बढ़ाकर बोझ डाल रही है।
क्या करें उपभोक्ता ? शिकायत की प्रक्रिया
यदि बिजली बिल अधिक आता है, तो उपभोक्ता बिजली विभाग को शिकायत पत्र लिख सकते हैं। पत्र में उपभोक्ता संख्या, पता और मीटर की जांच का अनुरोध शामिल करना चाहिए। दिल्ली में उपभोक्ता जन शिकायत केंद्र (टोल-फ्री नंबर: 1800112222) या वेबसाइट bijlipgr.gov.in पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से दिल्ली समेत देश भर में बिजली की दरों में वृद्धि तय मानी जा रही है। यह वृद्धि बिजली वितरण कंपनियों के बकाया भुगतान को पूरा करने के लिए होगी, लेकिन उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त बोझ डालेगी। DERC और अन्य राज्य नियामक आयोगों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि बढ़ोतरी उचित और पारदर्शी हो।