दिल्ली डेस्क/ नई दिल्ली : लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने दिल्ली स्थित आवास पर इंडिया गठबंधन (INDIA ब्लॉक) के नेताओं के लिए एक डिनर मीटिंग की मेजबानी की। यह बैठक 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद गठबंधन की पहली बड़ी भौतिक सभा थी, जिसका उद्देश्य बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया, उपराष्ट्रपति चुनाव 2025, और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर रणनीति बनाना था।
इस बैठक में आम आदमी पार्टी (AAP) की मौजूदगी और समर्थन ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया, क्योंकि AAP ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह INDIA ब्लॉक का हिस्सा नहीं है। यह घटनाक्रम राहुल गांधी की “डिनर डिप्लोमेसी” को एकजुटता की दिशा में एक सफल कदम के रूप में देखा जा रहा है।
SIR का मुद्दा और विपक्ष की चिंता
SIR, जिसे बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के रूप में लागू किया जा रहा है, विपक्षी दलों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), और अन्य गठबंधन सहयोगी, इसे “लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला” और “चुनावी हेरफेर” का प्रयास मानते हैं। उनके अनुसार, SIR प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची से कई लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं, खासकर गरीब और वंचित समुदायों के, जिससे उनका मताधिकार छिन सकता है।
राहुल गांधी ने दावा किया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 70-80 सीटों पर हेरफेर हुआ था और SIR जैसी प्रक्रियाएँ मतदाता सूची में गड़बड़ी का हिस्सा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के पास इसके सबूत हैं और वह इसे जल्द ही सार्वजनिक करेगी।
क्या है विपक्ष का रुख
विपक्षी दल इस मुद्दे पर संसद में बहस की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया है, जिसके कारण मानसून सत्र में संसद की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई है। डिनर मीटिंग के अगले दिन, 8 अगस्त को, INDIA ब्लॉक के नेता दिल्ली में चुनाव आयोग के कार्यालय तक एक विरोध मार्च निकालने की योजना बना रहे हैं, ताकि SIR के खिलाफ एक सशक्त संदेश दिया जाए।
AAP का साथ और डिनर डिप्लोमेसी की भूमिका
AAP, जिसने जून 2025 में INDIA ब्लॉक से अलग होने की घोषणा की थी, SIR के मुद्दे पर फिर से विपक्ष के साथ खड़ी दिखाई दी। AAP ने 6 अगस्त को विपक्ष की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया, जिसमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), RJD, DMK, शिवसेना (UBT), समाजवादी पार्टी (SP) और अन्य दलों ने भाग लिया।
AAP की भागीदारी को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है, क्योंकि पार्टी ने पहले स्पष्ट किया था कि वह केवल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन का हिस्सा थी। SIR जैसे संवेदनशील मुद्दे ने AAP को फिर से विपक्ष के साथ जोड़ा, जो राहुल गांधी की डिप्लोमेसी का परिणाम हो सकता है।
TMC की मौजूदगी
तृणमूल कांग्रेस (TMC), जो खुद को INDIA ब्लॉक का हिस्सा नहीं मानती, ने भी इस डिनर में शामिल होने का फैसला किया। यह पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों के बावजूद एक बड़ा कदम है, क्योंकि SIR का मुद्दा TMC के लिए भी चिंता का विषय है।
डिनर में शामिल होने वाले नेता
राहुल गांधी की इस डिनर मीटिंग में कई प्रमुख विपक्षी नेताओं के शामिल होने की पुष्टि हुई है
- अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी)
- तेजस्वी यादव (राष्ट्रीय जनता दल)
- उद्धव ठाकरे (शिवसेना UBT)
- फारूक अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस)
- अभिषेक बनर्जी (TMC, संभावित)
अन्य दल जैसे NCP (SP), JMM, CPI(M), CPI, RSP, और IUML के नेता भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की खराब सेहत के कारण उनकी उपस्थिति संदिग्ध है।
डिनर का एजेंडाइस डिनर मीटिंग में निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है SIR के खिलाफ रणनीति: बिहार में SIR प्रक्रिया को लेकर एकजुट विरोध और संसद में इस पर बहस की मांग।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025
9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए साझा उम्मीदवार पर विचार। बिहार विधानसभा चुनाव 2025: आगामी बिहार चुनावों के लिए रणनीति और समन्वय। अन्य मुद्दे महाराष्ट्र में मतदाता सूची में कथित हेरफेर, ऑपरेशन सिंदूर और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी।
क्या राहुल गांधी की डिनर डिप्लोमेसी काम कर रही है? राहुल गांधी की डिनर डिप्लोमेसी को विपक्षी एकता को पुनर्जनन देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद INDIA ब्लॉक में दरारें दिखाई दी थीं, खासकर AAP के बाहर निकलने और TMC की दूरी के कारण। हालांकि, SIR जैसे साझा मुद्दे ने इन दलों को फिर से एक मंच पर ला दिया है।
सफलता के संकेत
AAP और TMC जैसे दलों का इस मुद्दे पर साथ आना, जो पहले गठबंधन से दूरी बना चुके थे, एक बड़ी उपलब्धि है। राहुल गांधी की सक्रियता और विपक्षी नेताओं के साथ उनकी व्यक्तिगत बातचीत ने गठबंधन को मजबूत करने में मदद की है। 8 अगस्त को प्रस्तावित विरोध मार्च विपक्ष की एकजुटता का एक ठोस प्रदर्शन हो सकता है।
क्या हैं चुनौतियाँ ?
कुछ क्षेत्रीय दल, जैसे TMC और CPI(M), अपने स्थानीय हितों को प्राथमिकता देते हैं, जिसके कारण गठबंधन की दीर्घकालिक एकता पर सवाल उठते हैं। राहुल गांधी की आक्रामक बयानबाजी, जैसे चुनाव आयोग पर “मैच फिक्सिंग” के आरोप, को कुछ सहयोगी दल अतिशयोक्तिपूर्ण मानते हैं, जिससे गठबंधन की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं। संसद में बार-बार व्यवधान डालने की रणनीति छोटे दलों को चिंतित कर सकती है, जो सामान्य कार्यवाही चाहते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए साझा रणनीति
राहुल गांधी की डिनर डिप्लोमेसी ने SIR के मुद्दे पर INDIA ब्लॉक को एकजुट करने में प्रारंभिक सफलता दिखाई है। AAP और TMC जैसे दलों का समर्थन इस बात का संकेत है कि विपक्षी दल साझा चिंताओं पर एक साथ आ सकते हैं। हालांकि, गठबंधन की दीर्घकालिक एकता क्षेत्रीय दलों के स्थानीय हितों, कांग्रेस की नेतृत्व शैली और संसद में समन्वय की चुनौतियों पर निर्भर करेगी। 8 अगस्त का विरोध मार्च और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए साझा रणनीति इस दिशा में अगला महत्वपूर्ण कदम होगा।