नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को खुलासा किया है कि सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच के दौरान ने दो साल तक गुजरात से बाहर क्यों रहे। शाह ने कहा कि यह उनका अपना फैसला था।
उन्होंने कोर्ट में कहा था कि जब तक जमानत पर सुनवाई पूरी नहीं होती है वे राज्य से बाहर रहेंगे। शाह ने बताया कि उस समय जस्टिस आफताब आलम को आशंका थी कि गुजरात के पूर्व गृह मंत्री होने के नाते वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।
फैलाई गई थी अफवाह- शाह
इस पर उनके वकील ने कोर्ट में कहा था कि अमित शाह तब तक गुजरात नहीं लौटेंगे जब तक जमानत अर्जी पर फैसला नहीं हो जाता है। उन्होंने साफ किया कि यह अफवाह गलत है कि जज आफताब आलम उनके घर हस्ताक्षर करवाने आए थे।
अमित शाह ने कहा, “ऐसा कभी नहीं हुआ। मैंने ही कोर्ट में गुजरात छोड़ने की हामी भरी थी।” उन्होंने बताया कि भारत के इतिहास में किसी भी जमानत आवेदन पर सुनवाई इतनी देर तक कभी नहीं हुई थी।
सामान्य तौर पर जमानत अर्जी पर कुछ दिनों में फैसला हो जाता है, लेकिन उनके मामले में यह पूरी दो साल तक लंबित रही। शाह ने कहा कि भारत के इतिहास में किसी भी जमानत आवेदन पर इतनी लंबी सुनवाई नहीं हुई थी। उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि सबसे लंबे समय 11 दिन का ही रहा था।
क्यों छोड़ा था पद?
शाह ने आगे कहा कि जैसे ही उन्हें सीबीआई का समन मिला उन्होंने तुरंत गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन जब तक सभी आरोप पूरी तरह खारिज नहीं हुए उन्होंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया।
130वें संशोधन विधेयक पर शाह का जवाब
अमित शाह ने कहा कि सरकार का 130वां संविधान संशोधन विधेयक संवैधानिक नैतिकता और जनता के भरोसे को बनाए रखने के लिए लाया गया है। इसके तहत अगर कोई सांसद या विधायक ऐसे अपराध में 30 दिन से ज्यादा जेल में रहता है जिसमें कम से कम पांच साल की सजा हो सकती है, तो उसे पद से हटाया जा सकता है।
फिलहाल यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है, जिसमें 31 सदस्य शामिल हैं। समिति इसकी जांच करके सुझाव देगी और फिर इसे संसद में मतदान के लिए लाया जाएगा।