उत्तराखंड डेस्क/ उत्तराखंड की राजनीति में हाल ही में एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि BJP ने खनन माफिया से 27 करोड़ रुपये का चंदा लिया और उसे बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के रूप में जमा किया। इस आरोप ने राज्य की सियासत को गरमा दिया है, खासकर जब हरक सिंह रावत ने खुद को भी इसमें शामिल बताते हुए जांच की मांग की। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पलटवार किया है। आइए, इस पूरी घटना विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
हरक सिंह रावत का तीखा हमला
22 अगस्त को देहरादून में कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में एक सम्मान समारोह के दौरान हरक सिंह रावत ने BJP पर सीधा हमला बोला। जब उन्हें माला पहनाई जा रही थी, तो उन्होंने इसे ठुकराते हुए कहा, “मैं तब तक माला नहीं पहनूंगा, जब तक BJP को हरा न दूं।” इस दौरान उन्होंने खनन माफिया से जुड़े चंदे का जिक्र किया।
रावत ने दावा किया कि BJP ने अपनी संगठनात्मक गतिविधियों के लिए 27 करोड़ रुपये की FD बनाई, जिसमें खनन माफिया से धन जुटाया गया। उन्होंने स्वीकार किया कि जब वे BJP सरकार में वन मंत्री थे (2017-2022), तब उन्होंने रामनगर और हल्द्वानी के खनन ठेकेदारों से 10-10 लाख रुपये के चेक इकट्ठे करवाए थे। कुल मिलाकर, उन्होंने खुद 1 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया था। रावत ने कहा, “बीजेपी ने मुझे छेड़ा है, अब मैं उनकी औकात दिखाऊंगा। मेरी और BJP की संपत्तियों की जांच हो, मैं तैयार हूं।”
प्रवर्तन निदेशालय को जांच की चुनौती
रावत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को चुनौती दी कि अगर वे निष्पक्ष जांच करें, तो “पूरी BJP जेल में होगी।” उन्होंने कहा कि ED और CBI की अपनी जांच (वन घोटाले से जुड़ी) से ध्यान हटाने के लिए यह बयान दे रहे हैं। रावत ने खनन नीति पर भी सवाल उठाए, कहा कि अवैज्ञानिक खनन से आपदाओं का खतरा बढ़ रहा है, और ऊधम सिंह नगर में पट्टों के नाम पर लूट मची हुई है।
हरक सिंह रावत का राजनीतिक सफर विवादों से भरा रहा है। वे 2016 में कांग्रेस से BJP में शामिल हुए थे, लेकिन 2022 में BJP से निष्कासित होने के बाद फिर कांग्रेस लौट आए। हाल ही में ED ने उनके खिलाफ वन घोटाले (पाखरो टाइगर सफारी) में कार्रवाई की, लेकिन रावत दावा कर रहे हैं कि उन्हें क्लीन चिट मिल गई है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत का जवाब
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (BJP) ने हरक सिंह के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। 26 अगस्त 2025 को उन्होंने कहा, “27 करोड़ का चंदा पूरी तरह से चेक के माध्यम से लिया गया था।” त्रिवेंद्र ने इसे “सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा” करार दिया और कहा कि हरक सिंह की विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है। अगर सबूत हैं, तो कोर्ट जाएं, मीडिया में बयानबाजी न करें।
BJP प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, “हरक सिंह का यह बयान उनकी अपनी ED जांच से ध्यान भटकाने की कोशिश है।” प्रवक्ता मनवीर चौहान और सुरेश जोशी ने भी पलटवार किया, कहा कि BJP के पास कई करोड़ की FD हैं, लेकिन सब वैध हैं। अगर शक है, तो शिकायत करें और जांच करवाएं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत (2017-2021 तक CM) हरक सिंह के पूर्व सहयोगी रहे, लेकिन दोनों के बीच पुरानी अनबन रही। 2022 में हरक को BJP से निकालने में त्रिवेंद्र की भूमिका मानी जाती है। हरक अगर डोईवाला सीट से चुनाव लड़ते, तो त्रिवेंद्र से सीधा मुकाबला होता।
सियासत क्यों गरमाई ?
पूर्व CM हरीश रावत ने हरक के बयान का समर्थन किया। उन्होंने मांग की कि इस मामले की कोर्ट की निगरानी में CBI जांच हो। अगर नहीं होती, तो BJP के खिलाफ साबित हो जाएगा। कांग्रेस इसे 2027 विधानसभा चुनाव से पहले BJP को घेरने का मौका मान रही है।
BJP ने आरोपों को नजरअंदाज करने की कोशिश की, लेकिन यह पार्टी की छवि पर सवाल उठा रहा है। खनन माफिया से चंदे का मुद्दा राज्य में संवेदनशील है, क्योंकि हाल के वर्षों में अवैध खनन से कई आपदाएं जुड़ी हैं (जैसे 2023-24 की बाढ़)।
हरक का राजनीतिक इतिहास
हरक सिंह (जन्म: 1960) उत्तराखंड के दिग्गज नेता हैं। वे 27 साल की उम्र में UP के सबसे युवा मंत्री बने। 9 बार विधायक रह चुके हैं। 2003 का ‘जेनी प्रकरण’ उनका बड़ा विवाद था, लेकिन वे हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। उनकी बहू अनुकृति गुसाईं 2024 में BJP में शामिल हुईं, जो परिवार में राजनीतिक विभाजन दिखाता है।
ED-CBI का एंगल
हरक पर वन घोटाले में ED ने 2024 में 16 ठिकानों पर छापे मारे। जनवरी 2025 में 70 करोड़ की जमीन अटैच की गई। लेकिन हरक दावा करते हैं कि जांच में क्लीन चिट मिली। यह विवाद ED की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़ा कर रहा है।
समय रेखा-मुख्य घटनाएं तारीख
यह विवाद उत्तराखंड की सियासत को और तीखा बना रहा है। 2027 चुनावों से पहले खनन और चंदे जैसे मुद्दे BJP के लिए चुनौती बन सकते हैं। हरक सिंह के बयान से कांग्रेस को फायदा हो सकता है, लेकिन ED जांच का असर भी पड़ेगा। कुल मिलाकर, यह “रावत बनाम रावत” का नया अध्याय लग रहा है।
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