दोहा: इन दिनों कतर का नाम सुर्खियों में है। इजरायल ने हमास को निशाना बनाकर यहां पर बम बरसाए। इसके बाद कतर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। दुनिया के कई अन्य देशों ने भी इजरायल के हमले की निंदा की। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया भी इस पर आई है। इन सबके बीच आइए जानते हैं कतर के बारे में। कैसे एक छोटा सा देश, जो कभी एक-एक पैसे का मोहताज था, दुनिया के अमीर देशों में शुमार हो चुका है। एक नजर कतर के इस सफर पर…
कभी था मछुआरों का देश
एक वक्त था जब कतर में मोती बीनना ही सबसे बड़ा काम हुआ करता था। यहां पर मछुआरे रहा करते थे। यहां पर लोग रहने को तवज्जो नहीं देते थे। आर्थिक तंगी के चलते यहां से लोग पलायन कर रहे थे। देश की कुल आबादी घटकर करीब 24 हजार रह गई थी। कुछ लोग कहते हैं कि तेल और गैस की खोज ने कतर की किस्मत पलट दी। लेकिन यह पूरा सच नहीं है। तेल की प्रचुर मात्रा वेनेजुएला और उत्तरी कोरिया जैसे देशों में है। लेकिन वहां का हाल किसी से छिपा नहीं है। इनके उलट कतर ने तेल और गैस के धंधे में दिमाग लगाया और यहीं से इसकी किस्मत पलटी।
कतर के लिए 1940 का दशक अहम माना जाता है। उसी दौरान पहली बार यहां पर तेल के स्रोतों का पता चला। वहीं, यहां के नॉर्थ फील्ड में 1970 में दुनिया का सबसे बड़ा गैस स्रोत होने की जानकारी सामने आई। इतने बड़े पैमाने पर प्राकृतिक गैस मिलना बड़ी बात थी, लेकिन उस वक्त दो बड़ी चुनौतियां भी थीं। पहली बात तो प्राकृतिक गैस की इतनी जरूरत थी नहीं। दूसरी, गैस सिर्फ पाइपलाइन से ही ट्रांसपोर्ट होती थी। जिन देशों में प्राकृतिक गैस की मांग थी, वहां से कतर काफी दूर था जो एक बड़ी समस्या थी। इसके चलते हाथ में खजाना होते हुए भी कतर उसे भुना नहीं पा रहा था।
विद्रोह से आया बदलाव
कतर की कहानी बदली साल 1996 में। तब कतर के शासक बने हमद बिन खलीफा अल थानी। हमद के पिता, शेख खलीफा इब्न हमद अल थानी उस वक्त स्विटजरलैंड के दौरे पर थी। इसी दौरान हमद ने कतर की सत्ता हथिया ली। यह विद्रोह कतर के लिए एक सुखद बदलाव लेकर आया। अहम बिन खलीफा अल थानी ने आर्थिक मोर्चे पर कई अहम फैसले लिए। उनके ही नेतृत्व में कतर ने प्राकृतिक गैस के क्षेत्रों की खोज फिर से शुरू की। इसके साथ ही नए अमीर ने उन टेक्नोलॉजी में निवेश करना शुरू किया, जिनके जरिए गैस को लिक्विड फॉर्म में ट्रांसपोर्ट किया जा सके।
तकनीक ने बदली तकदीर
गैस को लिक्विड फॉर्म में बदलने से इसे बड़ी-बड़ी जहाजों में तेल की तरह भरकर समुद्र के रास्ते जहां चाहे पहुंचाया जा सकता था। इसके लिए गैस पाइपलाइन की भी झंझट नहीं होती। लेकिन इसके लिए जरूरी था कि गैस को माइनस 161 सेल्सियस तापमान पर ठंडा किया जाए। कतर ने इस तकनीक में निवेश किया और प्राकृतिक गैस से बड़ी रकम कमाने की दिशा में बड़ा रास्ता खोजा। इसके बाद वह तरल प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया।
कतर की प्राकृतिक गैस सबसे सस्ती है। इसकी वजह है यहां पर गैस को निकालने और इसे लिक्विड फॉर्म में बदलने का खर्च सबसे कम है। इसके चलते सस्ते दामों पर बेचकर भी कतर गैस से अच्छा-खासा मुनाफा कमा लेता है। कतर से गैस का निर्यात जापान, दक्षिण कोरिया और चीन में होता है। इसके अलावा वह दुनिया के अन्य देशों को भी गैस बेचता है और मोटी रकम कमाता है। इसने उसे मिडिल ईस्ट में दुनिया के सबसे अमीर देशों में खड़ा कर दिया।
खर्च से ज्यादा बचाने की रणनीति
तेल और गैस की कमाई से अमीर बनने के पीछे कतर की एक खास रणनीति भी है। यह रणनीति है, खर्च से ज्यादा बचाओ। कतर को पता था कि तेल से होने वाली कमाई बहुत स्थिर नहीं है। इसलिए उसने तेल से मिले पैसों का दुनिया के अन्य हिस्सों में निवेश करना शुरू किया। कतर पूरी योजना के साथ इस पर काम करता है ताकि आर्थिक भविष्य मजबूत किया जा सके और तेल पर निर्भरता कम की जा सके। इसके लिए साल 2022 का उदाहरण लिया जा सकता है। इस साल कतर इनवेस्टमेंट फंड ने दुनिया भर के रियल एस्टेट, पब्लिक कंपनियों और करेंसीज में निवेश किया।