नई दिल्ली: गाजा में शांति के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का प्लान तैयार हो गया है. दोनों ने वो फॉर्मूला अपनाया है जो मोदी सरकार नक्सलियों के खिलाफ चला रही है. ट्रंप-नेतन्याहू के प्लान के मुताबिक, हमास सैन्य क्षमताओं को तुरंत समाप्त करे और सभी आतंकवादी ढांचों को नष्ट करे, जिसमें सुरंग, हथियार भी शामिल हैं.
बता दें कि मोदी सरकार नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट चला रही है. सरकार का प्लान 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सलवाद को खत्म करने का है. इस ऑपरेशन के तहत नक्सलियों के सामने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का विकल्प रखा गया है.
ट्रंप-नेतन्याहू के प्लान में क्या?
व्हाइट हाउस में ट्रंप ने कहा कि हमास के खतरे को खत्म करने के लिए इजराइल को मेरा पूरा समर्थन प्राप्त है. लेकिन मुझे उम्मीद है कि हम शांति के लिए एक समझौता करेंगे और अगर हमास इस समझौते को अस्वीकार कर देता है, जो हमेशा संभव है तो वे ही बचे रहेंगे. बाकी सभी ने इसे स्वीकार कर लिया है, लेकिन मुझे लगता है कि हमें सकारात्मक जवाब मिलेगा.
योजना में कहा गया है कि दोनों पक्षों की सहमति से, युद्ध तुरंत समाप्त हो जाएगा और इजराइली सेना हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई तक वापस लौट जाएगी. इस शुरुआती अवधि के दौरान युद्धविराम लागू रहेगा. योजना में अहम बात हथियारों का नष्ट करना शामिल है. इस समझौते के तहत हमास को पूरी तरह से निरस्त्र होना होगा और भविष्य में सरकार में किसी भी भूमिका से बाहर रखा जाएगा. हालांकि, जो सहमत होंगे उन्हें माफ़ी दी जाएगी. योजना में गाजा में युद्ध को तत्काल समाप्त करने और हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी लोगों को 72 घंटे के भीतर रिहा करने का प्रस्ताव है.
नक्सलियों के खिलाफ सरकार का क्या प्लान?
सरकार का प्लान नक्सलवाद खत्म करने का है. इसके लिए मार्च, 2026 का समय तय किया गया है. सरकार ने नक्सलियों के सामने सरेंडर का ऑप्शन रखा है. पिछले 10 वर्षों में 7 हजार से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया है. इनमें से कई आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड सहित राज्य पुलिस में शामिल हो गए हैं.
नक्सलियों के खिलाफ मोदी सरकार की कार्ययोजना का पहला चरण उन लोगों पर निर्मम कार्रवाई करना था जिन्होंने बंदूकें उठाई थीं और हिंसा के लिए ज़िम्मेदार थे. क्षेत्र में तैनात राज्य पुलिस बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के प्रशिक्षण, एकीकरण और क्षमता निर्माण के माध्यम से अधिकतम बल का प्रयोग किया गया. क्षेत्र में आधुनिक असॉल्ट राइफलें और अधिक दूरी तक मार करने वाले हथियार तैनात किए. अधिकांश नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षा शून्यता को कम करने के लिए सीएपीएफ ने राज्य पुलिस के सहयोग से फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) नामक अधिक शिविर स्थापित किए, जो नक्सलियों को क्षेत्र से मुक्त करने के लिए व्यवस्थित रूप से काम करते थे.