नई दिल्ली। भारतीय सेना के शौर्य में जल्द ही भैरव बटालियन की टुकड़ियां चार चांद लगाएंगी। इन टुकड़ियों को सेना में शामिल करने का प्रमुख उद्देश्य चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना है। भारतीय सेना की इन्फैंट्री शाखा के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बुधवार को इन्फैंट्री यूनिट्स की हमला करने की क्षमता बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि किस तरह सेना इंफैंट्री बटालियनों की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अहम कदम उठा रही है।
सेना ने पहले ही लगभग 250 सैनिकों वाली पांच उत्कृष्ट भैरव बटालियन गठित कर ली हैं और अगले छह महीनों में ऐसी कुल 25 बटालियन बनाने की योजना है। इन बटालियनों का गठन विशेष अभियानों के लिए किया जा रहा है और संभवतः ये सेना और विशिष्ट पैरा-स्पेशन बलों के बीच पुल का काम करेंगी। जनरल अजय कुमार ने बताया, “भैरव की पांच बटालियनें पहले ही गठित की जा चुकी हैं। उन्हें पहले ही इच्छित अभियानों के क्षेत्र में तैनात किया जा चुका है और एक अक्टूबर से उनका प्रशिक्षण चल रहा है।” जनरल कुमार ने आगे कहा कि पांचों बटालियनों का प्रशिक्षण 30 अक्टूबर को समाप्त होगा और उसके बाद वे पूरी तरह से क्रियाशील हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि चार और बटालियन बनाने की प्रक्रिया पूरी होने वाली है और अगले छह महीनों में हमारे पास ऐसी 25 बटालियन होंगी।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने दी थी जानकारी
इससे पहले जुलाई में भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पहली बार पैदल सेना में बदलावों के तहत भैरव कमांडो को शामिल करने का जिक्र किया था। वहीं 27 अक्टूबर को मनाए जाने वाले शौर्य दिवस से पहले लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने भैरव बटालियनों को भारतीय सेना में शामिल करने की योजना की बात कही थी। उन्होंने भैरव बटालियन को चीन और पाकिस्तान से लगती भारत की सीमाओं पर तेज, सशक्त और सक्षम बल बताया था।
भैरव बटालियन ऐसे करेगी काम
सूत्रों के मुताबिक ये भैरव कमांडो स्पेशल फोर्सेज के समान होंगे, जिनमें हर भैरव बटालियन को परिचालन क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षित और नियुक्त किया जाएगा। हालांकि इन टुकड़ियों को भारी हथियारों से लैस नहीं किया जाएगा और ना ही उन्हें सबसे जटिल मिशन नहीं सौंपे जाएंगे। उनका मुख्य कार्य दुश्मन सैनिकों की टोह लेना और उनके हमलों को नाकाम करना होगा।
लेफ्टिनेंट जनरल कुमार के मुताबिक भैरव बटालियन को अचानक हमले, आतंकवाद-रोधी और सीमा गश्त जैसे उच्च-प्रभाव वाले अभियानों को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि भैरव बटालियन को उनकी एकीकृत संरचना ही अलग बनाती है। इस बटालियन में ना सिर्फ सेना की इन्फैंट्री से बल्कि आर्मी एयर डिफेंस और आर्टिलरी रेजिमेंटों से भी सैनिकों को शामिल किया जाएगा ताकि कठिन परिस्थितियों में स्वतंत्र रूप से काम करने में सक्षम कुशल टीमें बनाई जा सकें।
ड्रोन प्लाटून से सुसज्जित हुई सेना
इसके साथ ही भारतीय सेना की 380 इन्फैंट्री बटालियनों को ड्रोन प्लाटून से सुसज्जित किया गया है। जनरल कुमार ने बताया कि सेना इन्फैंट्री आधुनिकीकरण योजना के तहत 2,770 करोड़ रुपए की लागत से 4.25 लाख युद्धक कार्बाइन भी खरीद रही है। जनरल कुमार ने कहा कि 380 पैदल सेना बटालियनों में से हर एक के पास अब एक अश्नि ड्रोन प्लाटून है जिसमें कम से कम चार निगरानी ड्रोन शामिल हैं और छह सशस्त्र श्रेणी के हैं। उन्होंने बताया कि सशस्त्र ड्रोनों में कामिकेज ड्रोन और सटीक गोला-बारूद गिराने वाले मानवरहित हवाई वाहन भी शामिल होंगे।
सेना कई प्रकार की टैंक रोधी निर्देशित मिसाइलें भी खरीद रही हैं। लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि सेना पैदल सैनिकों के लिए असॉल्ट राइफलों और हल्की मशीन गनों को 5.56 मिमी से 7.62 मिमी कैलिबर तक उन्नत कर रही है। वहीं पुरानी स्नाइपर राइफलों को .338 स्नाइपर राइफलों से बदला जा रहा है।






