नई दिल्ली। दिल्ली जल बोर्ड (DJB) ने अपने कामकाज में पारदर्शिता और प्रभावी ढंग से काम करने में सुधार किया है. जल बोर्ड ने प्रतिष्ठित परामर्श कंपनी KPMG को अपना प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) नियुक्त किया है. अब यह यूनिट जल बोर्ड के सभी प्रमुख प्रोजेक्ट्स जैसे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP), टैंकर संचालन और बिलिंग सिस्टम सुधार की निगरानी करेगी.
हर परियोजना की होगी डेटा-आधारित निगरानी
PMU का काम होगा कि जल बोर्ड की हर परियोजना की प्रगति पर नज़र रखी जाए — चाहे वह टेंडर की प्रक्रिया हो या काम पूरा होने तक का चरण. अब प्रोजेक्ट्स को डेटा-आधारित मूल्यांकन, स्वतंत्र ऑडिट और रीयल टाइम रिपोर्टिंग सिस्टम के ज़रिए ट्रैक किया जाएगा. इस व्यवस्था से प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता, समय पर पूरा होना और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित किया जाएगा. KPMG की निगरानी में अब STP की कार्यक्षमता, टैंकरों की डिलीवरी व्यवस्था और बिलिंग सिस्टम (जिसमें लेट पेमेंट सरचार्ज – LPSC भी शामिल है) को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा. साथ ही, PMU एक डिजिटल मॉनिटरिंग डैशबोर्ड भी तैयार करेगा, जिससे हर विभाग की गतिविधि ऑनलाइन ट्रैक की जा सकेगी.
जल मंत्री ने बताया सरकार की पारदर्शी नीति का प्रतीक
दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि यह कदम जल बोर्ड को विश्वस्तरीय मानकों पर काम करने की दिशा में ले जाएगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड अब पारदर्शिता और जवाबदेही के नए मानक स्थापित करेगा. हमारा उद्देश्य है कि जल बोर्ड का हर रुपया सही दिशा में खर्च हो और पानी की हर बूंद के साथ जवाबदेही तय हो. अब हर प्रोजेक्ट विशेषज्ञों की निगरानी में होगा — चाहे वह STP की दक्षता हो, टैंकर संचालन हो या बिलिंग सुधार. मंत्री ने बताया कि यह फैसला दिल्ली सरकार की स्वच्छ प्रशासन और प्रभावी जनसेवा की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि दिल्ली के नागरिकों को भरोसेमंद जल आपूर्ति और पारदर्शी बिलिंग मिले. कोई भी प्रोजेक्ट अब न तो रुकेगा और न ही भ्रष्टाचार की चपेट में आएगा.
डिजिटल सिस्टम से होगी पारदर्शी और जिम्मेदार जल प्रबंधन व्यवस्था
PMU की मदद से जल बोर्ड अपने सिस्टम को डिजिटल और पारदर्शी बनाएगा. तकनीकी और वित्तीय ऑडिट के ज़रिए गलतियों को कम किया जाएगा, जिससे समय और धन दोनों की बचत होगी. इस पहल के साथ दिल्ली जल बोर्ड ने एक ऐसा मॉडल पेश किया है, जो आने वाले समय में देशभर के शहरी जल प्रबंधन के लिए एक नया मानक बन सकता है.







