भाजपा के नेता और फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने संभवत: मजाक किया था कि तृणमूल कांग्रेस के 38 विधायकों से उनके अच्छे संबंध हैं और 21 तो सीधे संपर्क में हैं। पश्चिम बंगाल में इसकी उलटी स्थिति है। भाजपा के दो सांसद और करीब आधा दर्जन विधायक पार्टी छोड़ कर तृणमूल के साथ जा चुके हैं और अब भी भाजपा के करीब दो दर्जन विधायकों के बारे में कहा जा रहा है कि वे तृणमूल के संपर्क में हैं। इसलिए यह अतिश्योक्ति है या मजाक है कि तृणमूल के विधायक भाजपा के संपर्क में हैं और पाला बदल सकते हैं। तृणमूल के पास बहुमत से 70 विधायक ज्यादा हैं। इसलिए 21 या 38 विधायकों से कुछ नहीं होने वाला है।
लेकिन मिथुन चक्रवर्ती के बड़बोलेपन या मजाक को कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने गंभीरता से ले लिया। उन्होंने बयान दिया कि राज्य सरकार के विधायक बिकने के लिए तैयार हैं। असल में अधीर रंजन चौधरी का अपना झगड़ा ममता बनर्जी के साथ है। इसलिए वे भाजपा नेता के बयान से उत्साहित हो गए। उनको लगा कि क्या पता भाजपा ने जैसा चमत्कार महाराष्ट्र में कर दिया वैसा बंगाल में भी कर दे। इससे ऐसा लग रहा है कि उनको भाजपा कबूल है लेकिन तृणमूल कांग्रेस नहीं। तृणमूल में भी कांग्रेस को लेकर यहीं सोच है। तभी तृणमूल कांग्रेस ने संसद में और संसद से बाहर भी कांग्रेस के प्रदर्शनों से दूरी बनाई है।