नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” नारे के बावजूद, अमेरिकी कंपनियां विदेशों में निवेश करने से पीछे नहीं हट रही हैं. ट्रंप प्रशासन द्वारा कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने और अन्य देशों पर उच्च टैरिफ लगाने की नीति अपनाने के बावजूद, कई बड़ी अमेरिकी कंपनियां अब भी भारत जैसे बाजारों में निवेश कर रही हैं. इसी क्रम में, फोर्ड मोटर कंपनी ने एक बार फिर ट्रंप की नीति को दरकिनार करते हुए भारत में 3,250 करोड़ रुपये (लगभग 370 मिलियन डॉलर) का निवेश करने की घोषणा की है.
भारत में फोर्ड की वापसी
फोर्ड ने शुक्रवार को चेन्नई में दोबारा उत्पादन (Production) शुरू करने की घोषणा की. यह कदम ऐसे समय में आया है जब कंपनी ने 2021 में भारतीय बाजार से अपना संचालन बंद कर दिया था. अब फोर्ड एक नए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के ज़रिए भारत में दोबारा अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की तैयारी में है.
फोर्ड ने तमिलनाडु सरकार के साथ एक एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं. कंपनी का कहना है कि शुरुआती निवेश से करीब 600 से अधिक प्रत्यक्ष और परोक्ष नौकरियों के अवसर पैदा होंगे. परियोजना पर काम इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगा. प्लांट के पूरी तरह तैयार होने के बाद हर साल 2.35 लाख इंजन बनाने की क्षमता होगी. अनुमान है कि यह प्लांट साल 2029 तक पूरी तरह चालू हो जाएगा.
ट्रंप टैरिफ के बावजूद भारत में निवेश
ट्रंप की नीतियों के तहत अमेरिकी कंपनियों को अमेरिका लौटने और वहीं उत्पादन करने पर जोर दिया जा रहा है. इसके बावजूद, एप्पल के बाद अब फोर्ड जैसी कंपनियां भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं. इससे साफ है कि अमेरिकी कंपनियां अब भी भारत जैसे तेजी से बढ़ते बाजार को उच्च लागत और सख्त व्यापारिक नीतियों से बेहतर विकल्प मान रही हैं.







