प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 14 मई 2025 को सऊदी अरब के रियाद में सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से मुलाकात की, जो 25 साल बाद दोनों देशों के नेताओं की पहली बैठक थी। यह मुलाकात इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि अल-शरा, जिन्हें पहले अबू मोहम्मद अल-जोलानी के नाम से जाना जाता था, कभी अमेरिका द्वारा आतंकवादी घोषित थे और उनके सिर पर 1 करोड़ डॉलर का इनाम था।
ट्रंप ने अल-शरा से अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर
यह मुलाकात सीरिया के लिए महत्वपूर्ण है, जो असद परिवार के 50 साल के शासन और दशकों के अंतरराष्ट्रीय अलगाव से उबर रहा है। ट्रंप ने अल-शरा से अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करने और इजरायल को मान्यता देने का आग्रह किया, जो मध्य पूर्व में शांति का कदम हो सकता है।
अल-शरा का संबंध अल-कायदा और हयात तहरीर अल-शाम (HTS) से रहा है। उन्होंने इराक में अमेरिकी सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अमेरिकी हिरासत में रहे। 2024 में HTS ने बशर अल-असद को सत्ता से हटाकर सीरिया में सत्ता हासिल की। ट्रंप ने मुलाकात से पहले सीरिया पर लगे आर्थिक प्रतिबंध हटाने की घोषणा की, जिसके बाद दमिश्क में जश्न का माहौल रहा। यह कदम सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन के साथ चर्चा के बाद उठाया गया।
ट्रंप ने अल-शरा को “युवा, आकर्षक, सख्त और योद्धा” बताकर उनकी तारीफ की और कहा कि उनके पास सीरिया को शांति का मौका देने का अवसर है। इस मुलाकात पर सवाल उठे हैं क्योंकि अल-शरा और HTS अभी भी कई देशों द्वारा आतंकवादी माने जाते हैं। इजरायल ने इस मुलाकात पर आपत्ति जताई और प्रतिबंध न हटाने की मांग की थी, जिसे ट्रंप ने नजरअंदाज किया।
क्या अमेरिकी विदेश नीति में बड़े बदलाव ?
यह मुलाकात अमेरिकी विदेश नीति में बड़े बदलाव का संकेत देती है, जहां भू-राजनीतिक हितों ने पुराने सिद्धांतों को पीछे छोड़ दिया। कुछ इसे सऊदी दबाव और व्यापारिक हितों से प्रेरित मानते हैं, जबकि अन्य इसे सीरिया को रूस और ईरान के प्रभाव से हटाने की रणनीति के रूप में देखते हैं। यह मुलाकात मध्य पूर्व की राजनीति में नए समीकरण बना सकती है, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि क्या यह स्थायी शांति की दिशा में कदम है या केवल सामरिक हितों का खेल।