नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच तीखी बहस छिड़ गई है. हाल ही में मल्लिकार्जुन खरगे ने RSS पर देश को बांटने का आरोप लगाते हुए बैन करने की मांग की थी.ये मांग ऐसे समय में उठाई गई, जब RSS अपने स्थापना का 100 वां साल मना रहा है, वहीं अमित शाह ने RSS के राष्ट्र निर्माण में योगदान और इससे जुड़े दो लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों का जिक्र करते हुए इस मांग को खारिज कर दिया है.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि RSS एक ऐसा संगठन है, जिसने लाखों युवाओं को देश के लिए समर्पित होने की प्रेरणा दी है. उन्होंने जोर देकर कहा, “इस संगठन ने दो प्रधानमंत्री दिए हैं, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी.” अमित शाह ने कहा कि मेरा मानना है कि दोनों को देश के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्रियों में गिना जाएगा.
RSS को लेकर मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या कहा था?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सार्वजनिक रूप से RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री मोदी देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के विचारों का सम्मान करते हैं, तो उन्हें यह कदम उठाना चाहिए. खरगे ने आरोप लगाया, “देश में हो रही सारी गलत घटनाएं और कानून-व्यवस्था की समस्याएं, बीजेपी और RSS की वजह से हैं.”
उनके ये बयान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कांग्रेस पर सरदार पटेल की विरासत को न निभाने का आरोप लगाने के बाद आए हैं. हालांकि, खरगे की इस मांग पर उनकी अपनी पार्टी के सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने अलग राय जाहिर की. चिदंबरम ने कहा कि भले ही वे RSS-BJP की विचारधारा से सहमत नहीं हैं, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि मौजूदा कानूनी माहौल में इस तरह का प्रतिबंध व्यावहारिक या टिकाऊ होगा.
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि आरएसएस पर पहले भी प्रतिबंध लग चुका है, जिसे बाद में हटा लिया गया था और अब सरकार में शीर्ष पदों पर RSS के सदस्य हैं.
RSS को हुए 100 साल
RSS की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी. आजादी के बाद से अब तक इस संगठन पर तीन बार प्रतिबंध लग चुका है. संघ बीजेपी की विचारधारात्मक प्रेरणा है और चुनावी दौर में इसके कार्यकर्ता पार्टी के लिए जमीनी सहयोग का काम करते हैं. वहीं देश में हुए कई दंगों में इस संगठन का नाम सामने आया है.







