स्पेशल डेस्क/ उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में सरकारी अधिकारियों की मनमानी और लापरवाही से आमजन परेशान हैं। वेतन के साथ-साथ रिश्वतखोरी का स्तर भी चरम पर पहुंच चुका है। सबसे ज्यादा असर शिक्षा विभाग में देखने को मिल रहा है, जहां ट्रांसफर-पोस्टिंग में नियम-कायदों की खुलेआम अनदेखी हो रही है।
ताजा मामला पौड़ी जिले के बीरोंखाल ब्लॉक का है। यहां ग्राम भातबो संकुल मेलधार में तैनात एक अध्यापिका का स्थानांतरण 26 जुलाई को कर दिया गया था। लेकिन केवल पांच दिन बाद ही आदेश रद्द कर उन्हें पुनः पुराने विद्यालय में ही ज्वाइन करा दिया गया। हैरानी की बात यह है कि “जिस विद्यालय में उनका ट्रांसफर किया गया था, वह आज भी वैकल्पिक व्यवस्था के सहारे चल रहा है।
बच्चों से भावनात्मक जुड़ाव भी नहीं
स्थानीय लोगों का कहना है कि “शिक्षा विभाग बच्चों की पढ़ाई और भविष्य से कोई सरोकार नहीं रखता। ज्यादातर अधिकारी पहाड़ी क्षेत्रों से नहीं हैं, इसलिए उनका स्थानीय जनता और बच्चों से भावनात्मक जुड़ाव भी नहीं बन पाता।”
यह स्थिति न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि सरकारी कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।