प्रकाश मेहरा
नई दिल्ली: मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के ठीक बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर, चुनाव,राजनितिक रवैए से बात की। भागवत ने सभी धर्मों को लेकर भी बयान दिया। लोकसभा चुनाव 2024 में इस बार उत्तरप्रदेश ने देश की सियासत को झकझोर कर रख दिया। यूपी में भाजपा को तगड़ा झटका लगा, वहीं इंडी गठबंधन को बड़ी ताकत मिली। यूपी में जो एनडीए गठबंधन 2019 में 64 सीटों पर खड़ा था, वही 2024 में 36 सीटों पर फिसल गया। वहीं इंडी गठबंधन यानि सपा और कांग्रेस पिछले चुनावों में 6 सीट जीत सके थे, उन्होंने इस बार 43 सीटों पर परचम लहरा दिया। भाजपा के इस बेहद खराब प्रदर्शन में कहीं न कहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी को भी कारण माना जा रहा था। इसी क्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान को भी जोड़कर देखा जा रहा है। पूरा मामला क्या है आइए विस्तार से समझते प्रकाश मेहरा के साथ हैं…
क्या बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान!
चुनाव प्रचार को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा “चुनाव लोकतंत्र में प्रति पांच वर्ष होने वाली घटना है। हम अपना कर्तव्य करते रहते हैं लोकमत परिष्कार का। प्रतिवर्ष करते हैं, प्रति चुनाव में करते हैं, इस बार भी किया है। एक साल से मणिपुर शांति की राह देख रहा है। इससे पहले 10 साल शांत रहा। पुराना गन कल्चर समाप्त हो गया, ऐसा लगा। और अचानक जो कलह वहां पर उपजा या उपजाया गया, उसकी आग में अभी तक जल रहा है, त्राहि-त्राहि कर रहा है। इस पर कौन ध्यान देगा? प्राथमिकता देकर उसका विचार करना यह कर्तव्य है।”
एक साल से मणिपुर शांति की राह देख रहा है। इससे पहले 10 साल शांत रहा। पुराना गन कल्चर समाप्त हो गया, ऐसा लगा। और अचानक जो कलह वहां पर उपजा या उपजाया गया, उसकी आग में अभी तक जल रहा है, त्राहि-त्राहि कर रहा है। इस पर कौन ध्यान देगा? प्राथमिकता देकर उसका विचार करना यह कर्तव्य है। -… pic.twitter.com/9VHzw8h5jE
— RSS (@RSSorg) June 10, 2024
स्वयंसेवकों को वैचारिक कार्यक्रमों तक ही समेट लिया!
आरएसएस से दूरी का सीधा असर उत्तर प्रदेश में भी दिखाई दे रहा था। आमतौर पर चुनाव से पहले ही संघ परिवार और भाजपा के नेताओं की बैठकों का दौर शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। संघ से हर बार तो महत्वपूर्ण फीडबैक मिलता था वह भी नहीं मिला। पहली बार इस तरह का रुख देखने को मिला। संघ ने भी इस पर कुछ नहीं कहा और उसने अपने स्वयंसेवकों को वैचारिक कार्यक्रमों तक ही समेट लिया। भाजपा के पुराने नेताओं के अनुसार ऐसा लग रहा था चुनाव में हमें संघ परिवार की कोई जरूरत ही नहीं है।
क्या बीजेपी को आरएसएस की जरुरत नहीं?
दो साल बाद अब लोकसभा चुनाव 2024 में परिस्थितियां बदली हुई थीं। जनवरी में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से भाजपा आत्मविश्वास के लबरेज दिखाई दी। मोदी का चेहरा और राम मंदिर का श्रेय के साथ पन्ना प्रमुख तक फैल चुका पार्टी का संगठन देख पार्टी के नेता ये मानकर चल चुके थे कि यूपी फतेह तो तय है। भाजपा के इस कांफिडेंस का आभास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक बयान ने भी दिया। दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय और मौजूदा समय में काफी कुछ बदल चुका है। उन्होंने कहा कि “पहले हम इतनी बड़ी पार्टी नहीं थे और अक्षम थे, हमें आरएसएस की जरूरत पड़ती थी, लेकिन आज हम काफी आगे बढ़ चुके हैं और अकेले दम पर आगे बढ़ने में सक्षम हैं।”
जेपी नड्डा ने कहा था कि “पार्टी बड़ी हो गई है और सभी को अपने-अपने कर्तव्य के साथ भूमिकाएं मिल चुकी हैं। आरएसएस एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है और हम एक राजनीतिक संगठन हैं। यह जरूरत का सवाल नहीं है। यह एक वैचारिक मोर्चा है। वो वैचारिक रूप से अपना काम करते हैं और हम अपना। हम अपने मामलों को अपने तरीके से मैनेज कर रहे हैं और राजनीतिक दलों को यही करना चाहिए।”
पिछले दस सालों में बहुत सारी सकारात्मक चीजें हुई!
हालांकि मोहन भागवत ने कहा कि “तकनीक की मदद से झूठ को पेश किया गया। ऐसे देश कैसे चलेगा? विपक्ष को विरोधी नहीं माना जाना चाहिए। वे विपक्ष हैं और एक पक्ष को उजागर कर रहे हैं इसलिए उनकी राय भी सामने आनी चाहिए। चुनाव लड़ने की एक गरिमा होती है उस गरिमा का ख्याल नहीं रखा गया। ऐसा करना जरूरी है क्योंकि हमारे देश के सामने चुनौतियां खत्म नहीं हुई है। पिछले दस सालों में बहुत सारी सकारात्मक चीजें हुई हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम चुनौतियों से मुक्त हो गए हैं।”
बीजेपी इन चुनौतियों का सामना कर पाएगी?
अब देखना ये दिलचस्ब होगा कि क्या बीजेपी और आरएसएस की बात नहीं बन पा रही है ? या फिर बीजेपी को आरएसएस की जरुरत नहीं ? एक तरफ़ पीएम मोदी का शपथ ग्रहण तो दूसरी ओर मोहन भागवत के इस बयान से विपक्ष को हैरान कर दिया है वहीं विपक्ष इस बयान को लेकर खुश है। हालांकि मोदी सरकार के पास तमाम चुनौतियां सामने हैं पीएम मोदी के शपथ ग्रहण करते ही एक तरफ़ विपक्ष में हलचल है कि क्या नायडू-नीतीश निभा पाएंगे NDA का साथ तो दूसरी तरफ़ मोहन भागवत का ये बयान वहीं जम्मू कश्मीर में आतंकी हमला इन सबके बीच अब सवाल ये है कि क्या बीजेपी इन चुनौतियों का सामना कर पाएगी ? क्या भागवत के इस बयान से बीजेपी पर संकट के बादल मड़रा रहे हैं ? क्या मोदी सरकार विपक्ष के हर एक सवाल के जवाब देगी ?
देखिए पूरी रिपोर्ट