स्पेशल डेस्क/पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ने का ऐलान कर सियासी हलचल मचा दी है। उनके इस फैसले ने बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनाए हैं। आइए इस पूरे मामले को बिहार विशेष विश्लेषण में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
चिराग का चुनाव लड़ने का ऐलान !
चिराग पासवान ने हाल ही में कहा कि “अगर उनकी पार्टी चाहेगी, तो वह बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उतरेंगे। उनकी पार्टी ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसे चिराग ने स्वीकार कर लिया। पार्टी सांसद अरुण भारती ने संकेत दिया कि चिराग को बिहार की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार किया जा रहा है, क्योंकि बिहार में युवा नेतृत्व की जरूरत है।
चिराग ने स्पष्ट किया कि “उनका यह निर्णय व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से नहीं, बल्कि पार्टी और NDA गठबंधन की रणनीति का हिस्सा है। उनका लक्ष्य लोकसभा चुनाव 2024 की तरह 100% स्ट्राइक रेट बनाए रखना और NDA को भारी बहुमत दिलाना है। अभी यह तय नहीं हुआ कि चिराग किस सीट से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन पार्टी सर्वे कर रही है ताकि यह सुनिश्चित हो कि उनके उतरने से पार्टी और गठबंधन को अधिकतम लाभ हो। खास बात यह है कि चिराग किसी सामान्य (जनरल) सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, न कि आरक्षित सीट से, जो उनकी व्यापक अपील को दर्शाता है।
#WATCH | Delhi: On his party urging him to contest Bihar Vidhan Sabha elections, Union Minister Chirag Paswan says, "I will obey my party's wishes. For now, we are yet to discuss it…" pic.twitter.com/q2l1aflfjy
— ANI (@ANI) June 2, 2025
चिराग की पीठ पर किसका हाथ ?
चिराग पासवान को NDA में एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखा जा रहा है। बीजेपी उनकी लोकप्रियता और दलित वोटबैंक पर उनकी पकड़ को देखते हुए उनका समर्थन कर रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में LJP (रामविलास) ने पांच सीटों पर 100% स्ट्राइक रेट हासिल किया, जिसके बाद बीजेपी चिराग को बिहार में एक बड़े चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है।
चिराग ने साफ किया है कि वह नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। नीतीश और चिराग की हालिया मुलाकात ने गठबंधन की एकता को और मजबूत किया है। हालांकि, 2020 में चिराग ने नीतीश के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे, जिससे JDU को नुकसान हुआ था। अब उनकी रणनीति NDA को मजबूत करने की है।
महागठबंधन के तेजस्वी यादव के मुकाबले चिराग को NDA के युवा चेहरे के रूप में देखा जा रहा है। नीतीश की उम्र को देखते हुए चिराग को भविष्य के बड़े नेता के तौर पर तैयार किया जा रहा है।
क्या है चिराग का प्लान ?
चिराग की राजनीति का आधार पारंपरिक रूप से दलित (खासकर पासवान) वोटबैंक रहा है, लेकिन वह ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के नारे के साथ सर्वसमाज को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हाल के ‘बहुजन-भीम संकल्प सम्मेलन’ से वह अन्य दलित और महादलित समुदायों तक पहुंच बढ़ा रहे हैं। LJP (रामविलास) 35-50 सीटों पर दावा कर रही है, जो NDA में सीट बंटवारे को चुनौतीपूर्ण बना सकता है। चिराग का कहना है कि उनकी मांग 2024 के लोकसभा चुनाव में उनके प्रदर्शन पर आधारित है। हालांकि, नीतीश की JDU और बीजेपी के लिए इतनी सीटें देना मुश्किल हो सकता है।
क्या किंगमेकर बनने की रणनीति?
चिराग की रणनीति दलित वोटों के साथ-साथ युवाओं और अन्य समुदायों को जोड़कर NDA की स्थिति मजबूत करने की है। उनके चुनाव लड़ने से कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ेगा और गठबंधन को फायदा हो सकता है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि चिराग दबाव की राजनीति खेल रहे हैं ताकि अधिक सीटें हासिल कर सकें। चिराग के समर्थकों में उन्हें भविष्य के सीएम या डिप्टी सीएम के रूप में देखने की चर्चा है। हालांकि, चिराग और उनके सहयोगी अरुण भारती ने कहा है कि 2025 का चुनाव नीतीश और मोदी के चेहरे पर लड़ा जाएगा। फिर भी, चिराग की सक्रियता भविष्य में उनकी बड़ी भूमिका के संकेत दे रही है।
चुनौतियां और सियासी समीकरण
2020 में चिराग ने NDA से अलग होकर 133 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल एक सीट जीती, जो बाद में JDU के खाते में चली गई। इस बार वह NDA के साथ हैं, लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा और सीटों की मांग JDU और बीजेपी के लिए असहजता पैदा कर सकती है। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी दलित वोटबैंक को टारगेट कर रही है, जो चिराग के लिए चुनौती हो सकती है। साथ ही, चिराग के चाचा पशुपति पारस भी दलित वोटों पर पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
RJD के तेजस्वी यादव और महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल) के साथ कड़ा मुकाबला है। चिराग की रणनीति NDA को दलित और युवा वोटों के जरिए मजबूत करने की है, लेकिन महागठबंधन का युवा चेहरा तेजस्वी उनके लिए बड़ा प्रतिद्वंद्वी है।
क्या हो सकता है नतीजा?
चिराग की लोकप्रियता, खासकर दलित और युवा वोटरों में, NDA के लिए फायदेमंद हो सकती है। उनके चुनाव लड़ने से LJP (रामविलास) को अधिक सीटें जीतने में मदद मिल सकती है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA 220 सीटों का लक्ष्य लेकर चल रही है। चिराग की सक्रियता इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभा सकती है। चिराग का यह कदम उन्हें बिहार की राजनीति में नीतीश के बाद बड़े नेता के रूप में स्थापित कर सकता है। हालांकि, अभी उनका फोकस पार्टी को मजबूत करने और NDA की जीत सुनिश्चित करने पर है।
बिहार की सियासत को रोमांचक मोड़!
चिराग पासवान का विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला उनकी और LJP (रामविलास) की सियासी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। बीजेपी और नीतीश के समर्थन के साथ वह बिहार में NDA को मजबूत करने की कोशिश में हैं, लेकिन सीट बंटवारे और महागठबंधन की चुनौतियां उनके सामने हैं। उनकी रणनीति दलित वोटों के साथ-साथ व्यापक अपील बनाने की है, जो बिहार की सियासत को रोमांचक मोड़ दे सकती है।