प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अनिल अंबानी के मुंबई स्थित आवास और रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) से जुड़े अन्य ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की शिकायत पर आधारित है, जिसमें 3,073 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। सीबीआई ने इस मामले में एक नई प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की है, जो दिल्ली में दाखिल की गई।
17,000 करोड़ रुपये की ऋण धोखाधड़ी
सीबीआई ने सुबह करीब 7 बजे अनिल अंबानी के मुंबई के कफ परेड स्थित ‘सीविंड’ आवास पर छापेमारी शुरू की। सात से आठ अधिकारियों की टीम ने तलाशी ली, और अनिल अंबानी व उनका परिवार इस दौरान मौजूद था। रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़े अन्य ठिकानों पर भी तलाशी ली गई। यह कार्रवाई एक बड़े पैमाने पर बैंक धोखाधड़ी की जांच का हिस्सा है, जिसमें कुल 17,000 करोड़ रुपये के कथित ऋण धोखाधड़ी शामिल है।
एसबीआई की शिकायत
एसबीआई ने आरकॉम और अनिल अंबानी को नवंबर 2020 में “धोखाधड़ी” के रूप में वर्गीकृत किया था। बैंक ने 2,227.64 करोड़ रुपये के फंड-आधारित बकाया और 786.52 करोड़ रुपये की गैर-फंड आधारित बैंक गारंटी की बात कही।
जून 2025 में, एसबीआई ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को इस वर्गीकरण की सूचना दी और सीबीआई में औपचारिक शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की।
कथित धोखाधड़ी का मामला
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस समूह की कंपनियों, जैसे रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल), और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) द्वारा कथित तौर पर 17,000 करोड़ रुपये के ऋण दुरुपयोग की जांच कर रहे हैं।
ईडी ने पहले 5 अगस्त को अनिल अंबानी से नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी, जिसमें येस बैंक से 2017-2019 के बीच लिए गए 3,000 करोड़ रुपये के ऋण के कथित दुरुपयोग और शेल कंपनियों के जरिए धन की हेराफेरी के आरोप शामिल थे। जांच में “लोन एवरग्रीनिंग” (नए ऋण से पुराने ऋण चुकाने), बैकडेटेड क्रेडिट अप्रूवल, और अपर्याप्त दस्तावेजों के आधार पर ऋण मंजूरी जैसे अनियमितताओं का पता चला है।
क्या हुई पिछली कार्रवाइयां ?
ईडी ने 24 जुलाई 2025 को 35 स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों से जुड़े दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए। 1 अगस्त को, ईडी ने बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को 68.2 करोड़ रुपये की जाली बैंक गारंटी के मामले में गिरफ्तार किया, जो रिलायंस पावर के लिए दी गई थी।
सेबी ने भी अनिल अंबानी और रिलायंस होम फाइनेंस के वरिष्ठ अधिकारियों पर 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि को कथित रूप से संबद्ध संस्थाओं को हस्तांतरित करने का आरोप लगाया, जिसके लिए अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना और पांच साल के लिए सिक्योरिटी मार्केट से प्रतिबंध लगाया गया।
रिलायंस समूह का जवाब
रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने दावा किया कि “ईडी की कार्रवाइयों का उनके व्यवसाय, वित्तीय प्रदर्शन, या हितधारकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा कि “ये मामले 10 साल पुराने हैं और आरकॉम व आरएचएफएल अब रिलायंस समूह का हिस्सा नहीं हैं। अनिल अंबानी ने ईडी पूछताछ के दौरान कई कथित धोखाधड़ी लेनदेन की जानकारी से इनकार किया और दस्तावेजों की जांच के लिए समय मांगा।
वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ
आरकॉम वर्तमान में कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) से गुजर रहा है, और इसका समाधान योजना राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), मुंबई में लंबित है।
अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है, जिससे वह बिना जांच अधिकारी की अनुमति के देश छोड़कर नहीं जा सकते। सीबीआई और ईडी दोनों जांच को आगे बढ़ा रहे हैं, जिसमें येस बैंक, कैनरा बैंक, और अन्य बैंकों के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की संभावना है।
कंपनियों पर बढ़ते दबाव !
सीबीआई की ताजा छापेमारी और एफआईआर 17,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों पर बढ़ते दबाव को दर्शाती है। यह जांच येस बैंक से 3,000 करोड़ रुपये और आरकॉम से जुड़े 14,000 करोड़ रुपये के कथित धोखाधड़ी पर केंद्रित है। ईडी और सेबी की समानांतर कार्रवाइयों के साथ, यह मामला जटिल वित्तीय अनियमितताओं, संदिग्ध लेनदेन, और संभावित रिश्वतखोरी की जांच को उजागर करता है। जांच अभी भी जारी है, और आगे की कार्रवाइयों से इस मामले में और खुलासे हो सकते हैं।