स्पेशल डेस्क/पटना: बिहार की राजनीति में चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच संबंध, साथ ही चिराग का नीतीश के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में उभरने का सवाल, हाल के महीनों में चर्चा का केंद्र रहा है। चिराग पासवान, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) [LJP(RV)] के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाग लेने की घोषणा करके सियासी हलचल तेज कर दी है।
दूसरी ओर, नीतीश कुमार, जनता दल (यूनाइटेड) [JD(U)] के नेता और बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे, की उम्र और स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं, जिससे उनके उत्तराधिकारी की चर्चा जोरों पर है। इस लेख में, हम इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं, जिसमें चिराग की महत्वाकांक्षाएं, नीतीश की स्थिति, NDA की गतिशीलता, और बिहार की राजनीति का भविष्य शामिल है। आइए इस विशेष विश्लेषण में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
चिराग पासवान की सियासी महत्वाकांक्षा !
चिराग पासवान, दिवंगत रामविलास पासवान के पुत्र, बिहार में दलित समुदाय, विशेष रूप से पासवान जाति (लगभग 5.3% जनसंख्या) के एक प्रमुख नेता हैं। उनके नेतृत्व में LJP(RV) ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार में पांच सीटों पर 100% स्ट्राइक रेट हासिल की, जिसने उनकी सियासी ताकत को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित किया। हालाँकि, चिराग ने हाल ही में राष्ट्रीय राजनीति छोड़कर बिहार की राज्य-स्तरीय राजनीति में सक्रिय होने की इच्छा जताई है, जिसे उनकी “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” नीति के तहत देखा जा रहा है।
2025 विधानसभा चुनाव में भागीदारी चिराग ने 8 जून 2025 को आरा (भोजपुर जिला) में ‘नव संकल्प रैली’ में घोषणा की कि वे बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा, “मैं बिहार और बिहारियों के लिए हर सीट पर चुनाव लड़ूंगा।” उनकी पार्टी चाहती है कि वे सामान्य (अनारक्षित) सीट से चुनाव लड़ें, ताकि वे केवल दलितों तक सीमित न रहें, बल्कि व्यापक नेतृत्व की छवि बनाएं।
मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा ?
हालांकि चिराग ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि “मुख्यमंत्री पद के लिए कोई रिक्ति नहीं है” और नीतीश कुमार ही अगले मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन उनकी पार्टी के नेताओं और समर्थकों द्वारा उन्हें “भविष्य की जिम्मेदारी” (यानी मुख्यमंत्री) के रूप में पेश करने की कोशिश ने अटकलों को हवा दी है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि चिराग नीतीश की कमजोर होती स्थिति और JD(U) में स्पष्ट उत्तराधिकारी की कमी का फायदा उठाना चाहते हैं।
नीतीश कुमार की वर्तमान स्थिति
नीतीश कुमार, जो 2005 से लगातार (कुछ छोटे अंतरालों को छोड़कर) बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं, बिहार की राजनीति में एक मजबूत व्यक्तित्व हैं। उनकी “सुशासन बाबू” की छवि, सामाजिक इंजीनियरिंग (महादलित, EBC, और पासमांदा मुस्लिम समुदायों का समर्थन), और बार-बार गठबंधन बदलने की रणनीति ने उन्हें सत्ता में बनाए रखा है। हालांकि, 2025 में उनकी स्थिति कुछ चुनौतियों का सामना कर रही है।
परिवारवाद में विश्वास नहीं : नीतीश कुमार
74 वर्षीय नीतीश के स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं, और कई लोग मानते हैं कि 2025 का विधानसभा चुनाव उनका आखिरी बड़ा चुनाव हो सकता है। उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति पर विपक्षी हमले बढ़े हैं, जिसने JD(U) के लिए उत्तराधिकार की चर्चा को और जरूरी बना दिया है। नीतीश ने हमेशा अपने बेटे, निशांत कुमार, को राजनीति में लाने से इनकार किया है, और कहा है कि वह परिवारवाद में विश्वास नहीं करते। JD(U) में अन्य नेताओं, जैसे मनीष वर्मा, को उत्तराधिकारी के रूप में पेश करने की कोशिशें असफल रही हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव में JD(U) का प्रदर्शन कमजोर रहा, जब उनकी सीटें 71 से घटकर 43 रह गईं। इसका बड़ा कारण चिराग पासवान की LJP का NDA से अलग होकर JD(U) के खिलाफ 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारना था, जिसने JD(U) को 36-40 सीटों का नुकसान पहुंचाया।
चिराग और नीतीश के बीच संबंध
चिराग और नीतीश के बीच संबंध जटिल रहे हैं। 2020 में चिराग ने नीतीश के खिलाफ बगावत की थी, जिसे नीतीश ने BJP की साजिश के रूप में देखा। हालांकि, 2024 में नीतीश के NDA में वापस आने के बाद दोनों नेताओं ने सार्वजनिक रूप से सुलह के संकेत दिए हैं। चिराग ने बार-बार कहा है कि वह नीतीश के नेतृत्व में NDA के साथ हैं और 2025 के चुनाव में नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे। फिर भी, चिराग का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने मुजफ्फरपुर में एक दलित लड़की की बलात्कार-हत्या के मामले में नीतीश सरकार की कानून-व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं की आलोचना की, ने उनके बीच तनाव की संभावना को फिर से उजागर किया।
क्या चिराग नीतीश के उत्तराधिकारी हो सकते हैं ?
चिराग पासवान के नीतीश के उत्तराधिकारी बनने की संभावना कई कारकों पर निर्भर करती है चिराग के पक्ष में तर्क और दलित नेतृत्व में चिराग पासवान समुदाय (5.3%) के एक मजबूत नेता हैं, और उनकी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 6% वोट शेयर हासिल किया। उनकी “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” नीति और युवा दलितों में लोकप्रियता उन्हें एक आकर्षक चेहरा बनाती है।
LJP(RV) के पांच सांसदों और चिराग की केंद्रीय मंत्री की भूमिका ने उन्हें NDA में एक महत्वपूर्ण सहयोगी बनाया है। BJP, जो नीतीश की तुलना में अधिक सीटों पर दावा कर सकती है, चिराग को नीतीश के विकल्प के रूप में देख सकती है, खासकर अगर JD(U) का प्रदर्शन 2025 में कमजोर रहता है।नीतीश की उम्र, स्वास्थ्य, और JD(U) में उत्तराधिकारी की कमी चिराग के लिए अवसर पैदा करती है। अगर NDA जीतता है, लेकिन नीतीश के स्वास्थ्य के कारण नया नेतृत्व चाहिए, तो BJP चिराग को समर्थन दे सकती है। चिराग का सामान्य सीट से चुनाव लड़ने का फैसला उनकी छवि को दलितों से आगे बढ़ाकर सभी वर्गों के नेता के रूप में स्थापित करने की रणनीति है।
चिराग के खिलाफ तर्क !
नीतीश अभी भी बिहार में NDA के चेहरे हैं, और उनकी सामाजिक इंजीनियरिंग (महादलित, EBC, और पासमांदा मुस्लिम) ने उन्हें एक व्यापक आधार दिया है। JD(U) ने स्पष्ट किया है कि 2025 में नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे। BJP, जो बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है (2020 में 74 सीटें), नीतीश के बाद खुद का मुख्यमंत्री चाहती है। डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने चिराग को “अभिनेता” कहकर उनकी महत्वाकांक्षा पर तंज कसा, जिससे BJP की अनिच्छा झलकती है। LJP(RV) का वोट आधार मुख्य रूप से पासवान समुदाय तक सीमित है, जो 30-40 सीटों पर प्रभाव डाल सकता है, लेकिन नीतीश के व्यापक गठजोड़ (महादलित, EBC, और अन्य) की तुलना में कम है। 2020 में चिराग की बगावत के बावजूद LJP(RV) केवल एक सीट जीत पाई, जिससे उनकी विधानसभा में ताकत सीमित रही। यह सवाल उठता है कि क्या वे विधानसभा में पर्याप्त सीटें जीत पाएंगे।
NDA की गतिशीलता और सीट बंटवारा
2025 के विधानसभा चुनाव में NDA के भीतर सीट बंटवारा एक बड़ा मुद्दा है BJP और JD(U) BJP के पास 80 विधायक हैं, जबकि JD(U) के पास 45। BJP कम से कम 100 सीटों पर लड़ना चाहती है, जबकि JD(U) 115 से कम पर सहमत नहीं होगी। चिराग की पार्टी 40 सीटों की मांग कर रही है, जो उनकी 2024 की सफलता के आधार पर है। अगर चिराग को अधिक सीटें मिलती हैं और वे अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो वे NDA में अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं। जीतन राम मांझी की HAM और अन्य छोटे दल भी सीटों की मांग करेंगे, जिससे गठबंधन में तनाव बढ़ सकता है।
विपक्ष और अन्य दावेदार
RJD के तेजस्वी यादव, जो 2020 में 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बने, नीतीश के मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। तेजस्वी ने नीतीश और चिराग पर कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर हमला बोला है। BJP के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और कांग्रेस के कन्हैया कुमार जैसे युवा नेता भी 2025 में नई चुनौती पेश कर सकते हैं।
क्या हैं भविष्य की संभावनाएं !
2025 के चुनाव NDA नीतीश के नेतृत्व में लड़ेगा, और अगर NDA जीतता है, तो नीतीश संभवतः कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे। चिराग इस दौरान अपनी पार्टी का आधार मजबूत करने की कोशिश करेंगे। नीतीश के स्वास्थ्य और उम्र को देखते हुए, उनके बाद BJP या चिराग में से कोई एक नेतृत्व ले सकता है। चिराग की युवा छवि और दलित आधार उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाता है, लेकिन इसके लिए उन्हें विधानसभा में पर्याप्त सीटें और BJP का समर्थन चाहिए। चिराग को नीतीश के व्यापक सामाजिक गठजोड़ को तोड़ने और BJP के आंतरिक नेताओं से प्रतिस्पर्धा करने की चुनौती है। साथ ही, उनकी 2020 की रणनीति ने JD(U) को नुकसान पहुंचाया, जिससे नीतीश के समर्थक उन पर भरोसा करने में हिचक सकते हैं।
BJP की महत्वाकांक्षाएं और नीतीश का मौजूदा प्रभुत्व
चिराग पासवान के नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी बनने की संभावना उनकी सियासी रणनीति, NDA के भीतर गठबंधन की गतिशीलता, और 2025 के चुनाव परिणामों पर निर्भर करती है। फिलहाल, चिराग ने नीतीश के नेतृत्व का समर्थन किया है, लेकिन उनकी विधानसभा चुनाव में भागीदारी और सामान्य सीट से दावेदारी उनकी दीर्घकालिक महत्वाकांक्षा को दर्शाती है। नीतीश की उम्र और JD(U) में उत्तराधिकारी की कमी चिराग के लिए अवसर पैदा करती है, लेकिन BJP की अपनी महत्वाकांक्षाएं और नीतीश का मौजूदा प्रभुत्व उनके लिए बड़ी बाधाएं हैं।
2025 का विधानसभा चुनाव इस सवाल का जवाब देगा कि क्या चिराग केवल एक किंगमेकर बनकर रहेंगे या बिहार की सियासत में नीतीश का स्थान ले पाएंगे। फिलहाल, चिराग की रणनीति दबाव की राजनीति और अपने वोट आधार को मजबूत करने की प्रतीत होती है, लेकिन नीतीश के उत्तराधिकारी बनने के लिए उन्हें लंबा रास्ता तय करना होगा।