प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: नागरिक सुरक्षा जिले (Civil Defence Districts) वे क्षेत्र हैं, जिन्हें रणनीतिक और सामरिक दृष्टिकोण से संवेदनशील माना जाता है, विशेष रूप से युद्ध, हवाई हमले, या अन्य आपातकालीन स्थितियों के दौरान। ये जिले आमतौर पर सीमावर्ती राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में स्थित होते हैं, जहां दुश्मन के हमले या आकस्मिक परिस्थितियों का खतरा अधिक होता है। इसका उद्देश्य नागरिकों की जान बचाना। संपत्ति की हानि को न्यूनतम करना। उत्पादन की निरंतरता बनाए रखना। लोगों का मनोबल ऊंचा रखना। आपात स्थिति में व्यवस्थित और त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना।
नागरिक सुरक्षा संगठन स्थापित !
इन जिलों में नागरिक सुरक्षा संगठन स्थापित किए जाते हैं, जिनमें स्थानीय स्वयंसेवक, होम गार्ड, एनसीसी, एनएसएस, और स्कूल-कॉलेज के छात्र शामिल होते हैं। जिला मजिस्ट्रेट इनका नियंत्रक होता है और विभिन्न विभागों जैसे पुलिस, अग्निशमन, और चिकित्सा सेवाओं के साथ समन्वय किया जाता है। भारत में 244-259 जिले नागरिक सुरक्षा जिलों के रूप में चिह्नित किए गए हैं, जिनमें श्रीनगर, अमृतसर, बाड़मेर, कच्छ और उत्तर प्रदेश के 19 जिले शामिल हैं।
सायरन क्यों बजाए जाते हैं ?
सायरन आपातकालीन चेतावनी प्रणाली का हिस्सा हैं, जिनका उपयोग युद्ध, हवाई हमले, या अन्य आपदाओं के दौरान लोगों को सतर्क करने के लिए किया जाता है। भारत में 7 मई 2025 को होने वाली मॉक ड्रिल में सायरन का उपयोग प्रमुख रूप से किया जाएगा। हवाई हमले या खतरे की स्थिति में लोगों को तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए सचेत करना। मॉक ड्रिल के दौरान लोगों को आपात स्थिति में व्यवहार करने का अभ्यास कराना। प्रशासन, सुरक्षा बलों और नागरिकों के बीच तालमेल स्थापित करना।
सायरन की विशेषताएं:
120-140 डेसिबल की तेज आवाज, जिसमें साइक्लिक पैटर्न होता है (धीरे-धीरे तेज फिर कम)। इसकी आवाज़ 2-5 किलोमीटर तक सुनाई देती है। प्रशासनिक भवन, पुलिस मुख्यालय, फायर स्टेशन और अन्य प्रमुख स्थानों पर लगाए जाते हैं।
सायरन सुनने पर क्या करें ?
घबराएं नहीं, खुले इलाकों से हटकर घरों या सुरक्षित इमारतों में जाएं। टीवी, रेडियो, या सरकारी अलर्ट्स पर ध्यान दें। 5-10 मिनट के अंदर सुरक्षित स्थान जैसे बंकर, सबवे, अंडरपास या मजबूत इमारतों में शरण लें। मॉक ड्रिल एक नियोजित अभ्यास है, जिसका उद्देश्य युद्ध, प्राकृतिक आपदा, आतंकी हमले या अन्य आपात स्थितियों के लिए नागरिकों, प्रशासन और आपातकालीन सेवाओं को तैयार करना है। भारत में 7 मई 2025 को 244-259 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद सबसे बड़ा अभ्यास है।
सायरन बजाकर लोगों को सतर्क करना। सभी लाइटें बंद करना ताकि दुश्मन के लिए निशाना लगाना मुश्किल हो। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का अभ्यास। प्राथमिक चिकित्सा, अग्निशमन, और आपातकालीन किट के उपयोग का प्रशिक्षण। पुलिस, अग्निशमन, चिकित्सा, और सिविल डिफेंस के बीच तालमेल। इसमें नागरिकों में आत्मविश्वास और जागरूकता बढ़ाना। प्रशासन की तैयारियों का मूल्यांकन और कमियों को सुधारना। सामुदायिक एकजुटता को बढ़ावा देना। आपात स्थिति में घबराहट को कम करना।
मेट्रो को सुरक्षित स्थान माना गया !
उत्तर प्रदेश के 19 जिले (1 ए श्रेणी, 2 सी श्रेणी, बाकी बी श्रेणी) जैसे लखनऊ, मेरठ, अयोध्या। मध्य प्रदेश के भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, कटनी, इंदौर। राजस्थान के जोधपुर, कोटा, उदयपुर, सीकर, नागौर, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, गंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर। जम्मू-कश्मीर (श्रीनगर), पंजाब (अमृतसर), गुजरात (कच्छ), और दिल्ली (मेट्रो को सुरक्षित स्थान माना गया)।
भारत में मॉक ड्रिल का महत्व
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद यह पहला इतना बड़ा सिविल डिफेंस अभ्यास है। हाल के पहलगाम आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान तनाव ने इसकी आवश्यकता को और बढ़ा दिया है।सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा है। नागरिकों को आपात स्थिति में त्वरित और सही निर्णय लेने के लिए प्रशिक्षित करना। प्रशासन और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया क्षमता की जांच करना।
मॉक ड्रिल में नागरिकों की भूमिका !
मॉक ड्रिल में शामिल होकर प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। सायरन की आवाज और सुरक्षित स्थानों की जानकारी रखें। केवल सरकारी सूत्रों (टीवी, रेडियो, अलर्ट्स) पर भरोसा करें। सिविल डिफेंस संगठनों में शामिल होकर प्रशिक्षण लें।
प्रशासन और संगठनों की भूमिका !
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मॉक ड्रिल के लिए दिशा-निर्देश और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करना। स्थानीय प्रशासन, पुलिस, और आपदा प्रबंधन टीमों के साथ समन्वय। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा आपदा प्रबंधन नीतियों और योजनाओं को लागू करना। सिविल डिफेंस स्वयंसेवक नागरिकों को प्रशिक्षित करना और आपात स्थिति में सहायता प्रदान करना।
क्या हैं चुनौतियां और समाधान !
नागरिकों में जागरूकता की कमी। ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी। अफवाहों और घबराहट की संभावना। स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता सत्र आयोजित करना। स्थानीय भाषाओं में सूचनाएं प्रसारित करना। नियमित प्रशिक्षण और मॉक ड्रिल आयोजित करना।
नागरिक सुरक्षा जिले भारत की रक्षा रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो युद्ध या आपदा जैसी आपात स्थितियों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। सायरन और मॉक ड्रिल जैसे उपाय नागरिकों को सतर्क और प्रशिक्षित करने का प्रभावी तरीका हैं। 7 मई 2025 को होने वाली मॉक ड्रिल न केवल नागरिकों की जागरूकता बढ़ाएगी, बल्कि प्रशासन और सुरक्षा बलों की तैयारियों को भी परखेगी। यह अभ्यास राष्ट्रीय सुरक्षा और सामुदायिक एकजुटता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नोट: पहल टाइम्स की ओर से नागरिकों से अपील है कि वे मॉक ड्रिल को गंभीरता से लें, लेकिन घबराएं नहीं। यह केवल एक अभ्यास है, जो देश को हर परिस्थिति के लिए तैयार करने का प्रयास है।