प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने करीबी सहयोगी सर्जियो गोर को भारत में अगला अमेरिकी राजदूत और दक्षिण व मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत नियुक्त करने की घोषणा की। यह घोषणा ट्रम्प ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर की। गोर वर्तमान में व्हाइट हाउस प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस के निदेशक हैं और सीनेट से पुष्टि होने तक इस भूमिका में बने रहेंगे।
सर्जियो गोर कौन हैं ?
सर्जियो गोर का जन्म 30 नवंबर, 1986 को ताशकंद, उज़्बेकिस्तान (तत्कालीन सोवियत संघ का हिस्सा) में हुआ था। उनका मूल नाम सर्जे गोरखोव्स्की था, जिसे बाद में छोटा करके गोर कर लिया गया। 1994 में उनका परिवार माल्टा चला गया और 1999 में अमेरिका में बस गया।
गोर ने लॉस एंजिल्स में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और बाद में वाशिंगटन डीसी में जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से पढ़ाई की, जहां उन्होंने कॉलेज रिपब्लिकन्स और यंग अमेरिका फाउंडेशन की स्थापना की।
गोर का राजनीतिक करियर
गोर ने रिपब्लिकन नेशनल कमेटी में काम शुरू किया और बाद में कई प्रमुख कंजर्वेटिव सांसदों जैसे स्टीव किंग, मिशेल बाखमैन और रैंडी फोर्ब्स के लिए प्रवक्ता के रूप में काम किया। 2013 में वे सीनेटर रैंड पॉल के राजनीतिक संगठन RANDPAC में शामिल हुए, जहां उन्होंने प्रवक्ता, संचार निदेशक और डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में काम किया। 2020 में गोर ट्रम्प के करीबी हो गए और ट्रम्प विक्ट्री फाइनेंस कमेटी के चीफ ऑफ स्टाफ बने। उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर के साथ मिलकर विनिंग टीम पब्लिशिंग की स्थापना की, जिसने ट्रम्प की कई किताबें प्रकाशित कीं। गोर ने MAGA Inc. और Right for America जैसे प्रो-ट्रम्प सुपर PACs में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस के निदेशक
नवंबर 2024 से गोर व्हाइट हाउस में प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस के निदेशक हैं, जहां उन्होंने ट्रम्प के वफादारों को नियुक्त करने में अहम भूमिका निभाई। ट्रम्प के अनुसार, गोर ने रिकॉर्ड समय में 4,000 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति की।
गोर की नियुक्ति उस समय हुई है जब भारत में अमेरिकी राजदूत का पद जनवरी 2025 से खाली है, जब पिछले राजदूत एरिक गार्सेटी ने अपना कार्यकाल समाप्त किया। इस दौरान जॉर्जन के. एंड्रयूज अंतरिम चार्ज डी’अफेयर्स के रूप में कार्यरत थे।
भारत-अमेरिका संबंध
यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़े हैं। ट्रम्प प्रशासन ने भारत पर 50% टैरिफ लगाए हैं, जिसमें रूस से तेल खरीदने के लिए 25% की अतिरिक्त पेनल्टी शामिल है।
गोर को न केवल भारत में राजदूत बल्कि दक्षिण और मध्य एशिया के लिए विशेष दूत भी नियुक्त किया गया है। यह दोहरी भूमिका भारत-पाकिस्तान संबंधों को फिर से जोड़ने (hyphenation) की ओर इशारा करती है, जिसे भारत ने ऐतिहासिक रूप से विरोध किया है। विश्लेषकों का मानना है कि यह नियुक्ति भारत को क्षेत्रीय रणनीति का केंद्र बनाने का संकेत हो सकती है।
एलन मस्क के साथ टकराव
गोर का टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क के साथ विवाद रहा है। मस्क ने गोर को “स्नेक” और “स्लीज़ी” कहा था, जब गोर ने मस्क के समर्थन वाले जारेड इसाकमैन की नासा प्रमुख के रूप में नियुक्ति को रोकने में भूमिका निभाई। यह विवाद ट्रम्प और मस्क के बीच तनाव का कारण बना।
गोर के पास भारत या विदेश नीति में विशेष अनुभव नहीं है, जो कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक है। हालांकि, ट्रम्प के पूर्व सलाहकार स्टीव बैनन ने गोर को “तेज़ी से सीखने वाला” बताया और कहा कि उनकी ट्रम्प के प्रति वफादारी और व्हाइट हाउस तक सीधी पहुंच भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है।
क्या है ट्रम्प की रणनीति
गोर की नियुक्ति ट्रम्प की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगियों को महत्वपूर्ण राजनयिक पदों पर नियुक्त करते हैं। ट्रम्प ने गोर को “महान मित्र” बताते हुए कहा कि “वह उनके एजेंडे को लागू करने में सक्षम हैं। गोर की नियुक्ति भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह ट्रम्प के करीबी हैं और उनकी व्हाइट हाउस तक सीधी पहुंच है। यह भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में मदद कर सकता है, खासकर व्यापार और रूस से तेल खरीद जैसे मुद्दों पर।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रक्षा उपमंत्री एल्ब्रिज कॉल्बी ने गोर की नियुक्ति की सराहना की, जबकि कुछ विश्लेषकों ने उनकी अनुभवहीनता पर सवाल उठाए।
गोर की प्रतिक्रिया
गोर ने अपनी नियुक्ति पर खुशी जताते हुए कहा, “राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रति मेरी कृतज्ञता असीम है। अमेरिकी लोगों की सेवा करना और भारत में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान होगा।”
सर्जियो गोर की नियुक्ति भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है, विशेष रूप से व्यापारिक तनाव और क्षेत्रीय रणनीति के संदर्भ में। उनकी ट्रम्प के प्रति वफादारी और व्हाइट हाउस में प्रभावशाली भूमिका भारत के लिए अवसर और चुनौतियां दोनों प्रस्तुत करती है। हालांकि, उनकी सीमित विदेश नीति अनुभव और मस्क जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ विवाद उनकी भूमिका को जटिल बना सकते हैं।