प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: भारत ने हाल ही में कोलंबिया में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत हासिल की है, जब कोलंबिया ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर भारत की कार्रवाई के बाद वहां हुई मौतों पर व्यक्त की गई अपनी संवेदना वापस ले ली। इस घटनाक्रम में कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल की भूमिका अहम रही, जिसने कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। यह कूटनीतिक सफलता न केवल भारत की वैश्विक मंच पर बढ़ती ताकत को दर्शाती है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को भी मजबूती प्रदान करती है।
पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या की गई। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ नामक आतंकी संगठन ने ली, जिसे भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ा। इस हमले के जवाब में भारत ने 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में 9 आतंकवादी ठिकानों, उनके मुख्यालयों और लॉन्च पैड्स को निशाना बनाया। इस कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। भारत की इस जवाबी कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ उसकी मजबूत नीति के रूप में देखा गया।
हालांकि, इस ऑपरेशन के बाद कोलंबिया ने पाकिस्तान में जानमाल के नुकसान पर संवेदना व्यक्त की, जिसे भारत ने आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति के रूप में देखा। इस बयान ने भारत में नाराजगी पैदा की, क्योंकि भारत का मानना था कि यह आतंकवाद के खिलाफ उसकी कार्रवाई को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है।
शशि थरूर और भारतीय प्रतिनिधिमंडल
भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी स्थिति को वैश्विक मंच पर स्पष्ट करने और पाकिस्तान की आतंकवाद को समर्थन देने वाली नीतियों को बेनकाब करने के लिए एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल को विभिन्न देशों में भेजा। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे थे, जिसमें शंभवी चौधरी (लोक जनशक्ति पार्टी), सरफराज अहमद, जी.एम. हरीश बालायोगी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी (तेजस्वी), डी.व्ही.डी.ए. (शिवसेना), और पूर्व राजदूत तरणजीत सिंह संधू (भाजपा) जैसे नेता शामिल थे।
29 मई 2025 को यह प्रतिनिधिमंडल कोलंबिया की राजधानी बोगोटा पहुंचा। वहां, थरूर ने कोलंबिया सरकार और विपक्षी नेताओं के साथ कई बैठकें कीं और आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को विस्तार से समझाया। उन्होंने पहलगाम हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई को आत्मरक्षा का अधिकार बताया और कहा, “जो आतंकवाद फैलाते हैं और जो उसका प्रतिरोध करते हैं, उनके बीच कोई समानता नहीं हो सकती। जो हमला करते हैं और जो रक्षा करते हैं, उनके बीच कोई तुलना नहीं हो सकती।” थरूर ने कोलंबिया के शुरुआती बयान पर निराशा जताते हुए कहा कि इसे पूरी स्थिति को समझे बिना जारी किया गया था।
कोलंबिया का बदला रुख
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के स्पष्टीकरण और थरूर की नाराजगी के बाद, कोलंबिया ने 30 मई 2025 (स्थानीय समय) को अपने पहले के बयान को आधिकारिक तौर पर वापस ले लिया। कोलंबिया की उप विदेश मंत्री रोसा योलांडा विलाविसेनियो ने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि आज हमें जो स्पष्टीकरण मिला है और वास्तविक स्थिति, संघर्ष और कश्मीर में जो कुछ हुआ, उसके बारे में अब हमारे पास जो विस्तृत जानकारी है, उसके आधार पर हम बातचीत जारी रख सकते हैं।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि कोलंबिया अब आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का पुरजोर समर्थन करेगा।
पूर्व राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने बताया कि कोलंबिया के कार्यवाहक विदेश मंत्री के साथ हुई बातचीत में भारतीय पक्ष ने घटनाक्रम की सही टाइमलाइन और संदर्भ समझाया, जिससे कोलंबिया को स्थिति की गहराई का अंदाजा हुआ। संधू ने जोर देकर कहा कि यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कोलंबिया जल्द ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने जा रहा है।
थरूर का बयान और प्रभाव
शशि थरूर ने इस कूटनीतिक जीत का स्वागत करते हुए कहा, “कोलंबिया ने बहुत ही गरिमामय तरीके से हमारे रुख को समझा और अपना बयान वापस लिया। अब वे हमारे पक्ष में एक मजबूत समर्थन वाला बयान जारी करेंगे।” उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एएनआई के एक वीडियो को री-पोस्ट किया, जिसमें इस बयान वापसी की पुष्टि की गई थी। थरूर ने यह भी कहा कि भारत ने कोलंबिया को ठोस सबूतों के साथ स्थिति स्पष्ट की, जिससे कोलंबिया का रुख बदलने में मदद मिली।
थरूर ने कोलंबिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हमने लगभग चार दशकों में आतंकवादी हमलों को झेला है, जैसा कि कोलंबिया ने भी अपने यहां आतंकवाद का सामना किया है। हम केवल आत्मरक्षा के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं।” उन्होंने 9/11 के हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत भी उसी तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है और वैश्विक समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना होगा।
व्यापक कूटनीतिक अभियान
यह कूटनीतिक जीत भारत के व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत भारत ने कई देशों में अपने प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं। शशि थरूर के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील और कोलंबिया जैसे देशों की यात्रा कर चुका है। इसके अलावा, डीएमके सांसद कनिमोझी के नेतृत्व में एक अन्य प्रतिनिधिमंडल रूस और चार यूरोपीय देशों (स्पेन, लातविया, स्लोवेनिया, और ग्रीस) में भारत का रुख प्रस्तुत कर रहा है। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बहरीन में पाकिस्तान को आतंकवाद की जड़ बताते हुए भारत की नीति को समर्थन जुटाया।
गुयाना में थरूर ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी थी, “हम शांति से रहना चाहते हैं, लेकिन अगर वे फिर से हमला करेंगे, तो हम इसका जवाब और भी खतरनाक तरीके से देंगे।” न्यूयॉर्क में प्रतिनिधिमंडल ने 9/11 स्मारक पर श्रद्धांजलि दी और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता का संदेश दिया।
आलोचना और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस कूटनीतिक अभियान को कुछ विपक्षी नेताओं ने आलोचना का विषय बनाया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश और शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने इसे “लोकलुभावन फोटो ऑप” और “राजनीतिक पर्यटन” करार दिया। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी आलोचनाएं भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
वहीं, कांग्रेस के ही नेता अनिल शास्त्री ने ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान को सबक सिखाया और भविष्य में भी ऐसी घटनाओं का करारा जवाब देगी।
वैश्विक समर्थन और भविष्य की दिशा
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने भारत की सैन्य ताकत और कूटनीतिक चतुराई को साबित किया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी आतंकवादियों को जवाबदेह ठहराने का प्रस्ताव पास किया, जो भारत के रुख को वैश्विक समर्थन का संकेत देता है।
कोलंबिया की बयान वापसी और भारत के प्रति समर्थन को विशेषज्ञ भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देख रहे हैं। यह न केवल पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को भी मजबूती देता है। कोलंबिया का जल्द ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बनना इस समर्थन को और महत्वपूर्ण बनाता है।
भारत की लड़ाई को वैश्विक समर्थन
शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की कोलंबिया में कूटनीतिक पहल ने न केवल कोलंबिया के रुख को बदला, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को वैश्विक समर्थन भी दिलाया। यह घटनाक्रम भारत की कूटनीतिक ताकत और आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। थरूर की नाराजगी और भारतीय पक्ष के स्पष्टीकरण ने कोलंबिया को अपनी गलती सुधारने और भारत के साथ खड़े होने के लिए प्रेरित किया। यह कूटनीतिक जीत भारत के लिए एक मील का पत्थर है, जो वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की आवश्यकता को दर्शाता है।