Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home दिल्ली

अभिव्यक्ति की आजादी पर न्यायालय की मुहर

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
April 13, 2023
in दिल्ली, राष्ट्रीय, विशेष
A A
court
22
SHARES
721
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

The petty politics of Gandhi vs Savarkarकौशल किशोर


भारत के मुख्य न्यायाधीश ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, राष्ट्रीय सुरक्षा और सीलबंद रिपोर्ट जैसे संवेदनशील मुद्दे पर महत्त्वपूर्ण फैसला लिखा है। मलयालम न्यूज चैनल मीडियावन से जुड़े इस केस में पांच महीने पहले सुनवाई पूरी हो गई थी। देशवासियों को तभी से इसका इंतजार भी था। पिछले साल मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ चैनल के लाइसेंस नवीनीकरण प्रकरण की सुनवाई करती है। इसके प्रसारण लाइसेंस को रद्द करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला उभरा था। सर्वोच्च न्यायालय लोकतांत्रिक संस्थान के कामकाज को बेहतर बनाने में प्रेस की आजादी जरूरी बताती है। क्योंकि सरकार के कामकाज पर रौशनी डालने में इसकी अहम भूमिका है।

इन्हें भी पढ़े

Attack-in-Pahalgam

पहलगाम के हमलावरों की पाकिस्तानी ID सामने आई, और कितने सबूत चाहिए?

August 1, 2025
Supreme court

पूरा हिमाचल गायब हो जाएगा… सुप्रीम कोर्ट ने क्यों चेताया?

August 1, 2025
india turkey trade

भारत से पंगा तुर्की को पड़ा महंगा, अब बर्बादी तय

August 1, 2025
fund

टैरिफ वार : सरकार के थिंक टैंक ने बढ़ा दी चिंता!

August 1, 2025
Load More

कोझिकोड (केरल) से संचालित माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड पिछले एक दशक से भी लंबे समय से समाचार व मनोरंजन क्षेत्र में सक्रिय है। यही कंपनी मलयालम में मीडियावन टीवी न्यूज चैनल का संचालन करती है। मार्च 2020 में पूर्वी दिल्ली दंगों में सरकार की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के साथ ही यह संकट शुरू हुआ था। कथित राष्ट्र-विरोधी दृष्टिकोण के लिए इस चैनल के प्रसारण पर 48 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 31 जनवरी 2022 को चैनल की अनुमति भी रद्द कर दिया गया। साथ ही स्वीकृत चैनलों की सूची से हटाया गया था। इसके पहले गृह मंत्रालय सुरक्षा मंजूरी से इनकार करती है। यह मुद्दा उन्हीं दिनों से सुर्खियों में है।

शीघ्र ही यह मामला केरल उच्च न्यायालय पहुंचता है। एकल पीठ के सामने भारत सरकार सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश करती है। खुफिया सूचनाओं के आधार पर सुरक्षा मंजूरी से इनकार करने के मामले की प्रकृति संवेदनशील और गुप्त बताया जाता है। सरकार की ओर से उपस्थित सहायक सॉलिसिटर जनरल द्वारा कहा गया कि सरकारी नीति के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस मामले में कारणों का खुलासा नहीं किया जा सकता है। फलत: एकल पीठ द्वारा इसे 8 फरवरी 2022 को खारिज किया गया था।

तदुपरान्त मीडियावन की ओर से हाई कोर्ट की बृहत खंडपीठ का रुख किया गया था। केस रिकॉर्ड का अवलोकन कर इस पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में न्यायिक समीक्षा का दायरा सीमित है। यह भी कहा की इस मामले की प्रकृति और गंभीरता फाइलों में स्पष्ट नहीं है। साथ ही इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि इस चैनल को संचालित करने की अनुमति देने पर सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित होगी। मुख्य न्यायाधीश एस मणि कुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी. चाली की पीठ ने 2 मार्च, 2022 को केंद्र सरकार का बचाव करने वाले पिछले फैसले को उचित माना। इसके बाद यह मुकदमा शीर्ष अदालत तक पहुंचता है।

पिछले साल 15 मार्च को फाइल में मौजूद सीलबंद रिपोर्ट पर गौर करने के बाद शीर्ष अदालत न्यूज चैनल को संचालित करने के लिए अंतरिम राहत देती है। साथ ही आगे की सुनवाई के लिए मुकदमा स्वीकार कर लेती है। इस बीच छह सप्ताह के प्रतिबंध पर याचिकाकर्ता का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने इस न्यूज चैनल को प्राप्त जमात-ए-इस्लाम (केरल चैप्टर) के समर्थन का जिक्र किया। इसे अल्पसंख्यक समुदाय के साथ भेदभाव बताया था। इस मामले में 9 महीनों में सुनवाई पूरी हुई थी। अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुन कर 3 नवंबर को फैसला सुरक्षित रखा था, जो पिछले सप्ताह 5 अप्रैल को सुनाया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में आतंकवादी लिंक के समर्थन में कुछ भी नहीं था। राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरे में डालने का भी कोई सबूत नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दावे हवा हवाई साबित हुए हैं। इस तरह केंद्रीय गृह मंत्रालय के कामकाज पर बेहद गंभीर सवाल उठता है। इसके अवलोकन से स्पष्ट है कि मौलिक अधिकार, प्राकृतिक न्याय एवं खुले न्याय की देश में प्रचलित व्यवस्था सुनिश्चित करने में केरल उच्च न्यायालय विफल रहा है।

इसमें अभिव्यक्ति की आजादी और प्रेस के स्वतंत्रता की संवैधानिकता परिभाषित हुई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार की नीतियों पर मीडियावन न्यूज चैनल के आलोचनात्मक विचारों को ‘सत्ता विरोधी’ नहीं कहा जा सकता है। इस तरह की शब्दावली का प्रयोग अपने आप में ऐसी अपेक्षा का प्रतिनिधित्व करता है कि प्रेस को सरकार का समर्थन करना ही चाहिए। विचार व्यक्त करने के अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग करने पर सूचना प्रसारण मंत्रालय किसी मीडिया चैनल को सुरक्षा मंजूरी से इनकार नहीं कर सकती है। ऐसा करने से अभिव्यक्ति की आजादी और विशेष रूप से प्रेस की स्वतंत्रता का हनन होता है। कोई सरकार अपने पक्ष का समर्थन करने के लिए प्रेस को बाध्य नहीं कर सकती है। इसके साथ ही सरकार की आलोचना टीवी न्यूज चैनल का लाइसेंस रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है।

निश्चय ही इस मामले को कई अवसरों पर उद्धृत किया जाएगा। यह अल्पसंख्यक समूह को द्वितीय श्रेणी का नागरिक बताने के अलावा प्रेस की स्वतंत्रता के संदर्भ में भी उल्लेखनीय है। पिछले साल भारत को प्रेस की आजादी के मामले में दुनिया भर के 180 देशों की सूची में 150वें स्थान पर जगह मिला था। राष्ट्रीय सुरक्षा के दावों व सीलबंद रिपोर्ट पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख सार्वजनिक हो चुका है। ऐसी दशा में उम्मीद है कि सीलबंद रिपोर्ट पर विराम लगेगा। हाल के समय में इसके उपयोग में वृद्धि हुई है।

किसी भी जांच रिपोर्ट को गुप्त नहीं माना जा सकता है। यह नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता को प्रभावित करती है। साथ ही सरकार को गोपनीयता बरतने की पूरी तरह छूट नहीं दी जा सकती है। केरल में उच्च न्यायालय दो मौकों पर स्पष्ट आदेश की मर्यादा का पालन करने में विफल रहा और सीलबंद प्रक्रिया पर निर्भर रहा। इस तरह अपीलकर्ता को मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया गया था। हालांकि इसे भारतीय संविधान के मूल तत्त्व के रूप में वर्णित किया गया है, जो इसकी मूलभूत विशेषताओं में से एक है। पीठ ने कहा कि सुरक्षा मंजूरी से इनकार करने के कारणों का खुलासा नहीं किया गया। लाइसेंस को नवीनीकृत करने की अनुमति से इनकार करने का एकमात्र आधार सीलबंद प्रक्रिया में निहित है। संविधान के तहत अदालत को प्रासंगिक सामग्री का खुलासा करने से अपीलकर्ता को प्राप्त प्रक्रियात्मक गारंटी सुनिश्चित होती है। साथ ही यह भी स्पष्ट है कि लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा आधार नहीं हो सकता है। इसके लिए अदालत ने प्रतिबंध का ध्यान रखते हुए जवाब देने एवं बचाव की कार्यवाही आगे बढ़ाने के लिए संशोधित हिस्से को साझा करने की पैरवी करती है।

मतों की भिन्नता का पर्याप्त सम्मान किए बगैर लोकतंत्र की संभवना क्षीण होती है। इसने अतीत में लोकतंत्र को समृद्ध किया है। भविष्य में ऐसी संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि टीवी न्यूज चैनल पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारत सरकार अपरिपक्वता का परिचय देती है। इस फैसले के लेखक न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ को न्यायपालिका की मजबूती को बरकरार रखने के लिए बराबर याद किया जाएगा।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
Chief Minister Devendra Fadnavis

सामाजिक न्याय विभाग का राज्यस्तरीय पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न

June 11, 2025
JP Nadda

जेपी नड्डा ने भाजपा की विशाल जनसभा को किया संबोधित, तृणमूल सरकार के खिलाफ बोला हल्ला

January 20, 2023

जंगल फॉर पोलखोल

January 23, 2024
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • टैरिफ वार : भारत पर लगा दिया जुर्माना, इन आंकड़ों से बेनकाब हो गया ट्रंप का हर झूठ
  • प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण की कोशिश, 5 लोग गिरफ्तार
  • पहलगाम के हमलावरों की पाकिस्तानी ID सामने आई, और कितने सबूत चाहिए?

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.