प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में 4 अगस्त को दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 पेश किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली के निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाना और फीस निर्धारण में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। यह विधेयक दिल्ली के लाखों अभिभावकों को राहत देने और शिक्षा को अधिक सस्ती व जवाबदेह बनाने के लिए लाया गया है।
पारदर्शिता और नियंत्रण
निजी स्कूलों में फीस निर्धारण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और अनुचित वृद्धि पर अंकुश लगाना। अचानक और अनुचित फीस वृद्धि से अभिभावकों के आर्थिक बोझ को कम करना। यह सुनिश्चित करना कि कोई भी बच्चा फीस के कारण शिक्षा से वंचित न हो। स्कूलों को फीस वृद्धि के लिए ठोस औचित्य प्रस्तुत करना होगा।
स्कूल-स्तरीय फीस विनियमन समिति
प्रत्येक स्कूल में एक समिति गठित होगी, जिसमें स्कूल प्रबंधन, शिक्षक, अभिभावक (50% प्रतिनिधित्व), और विशेष रूप से अनुसूचित जाति/जनजाति और महिलाओं के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह समिति फीस वृद्धि के प्रस्तावों की समीक्षा करेगी और 18 मानदंडों (जैसे स्कूल की इमारत, खेल मैदान, शिक्षकों का वेतन, डिजिटल सुविधाएं आदि) के आधार पर निर्णय लेगी। समिति को 21 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, और इसका निर्णय तीन वर्षों के लिए मान्य होगा।
स्कूल समिति के निर्णय को चुनौती देने के लिए जिला स्तर पर अपीलीय समिति होगी, जिसकी अध्यक्षता जिला उप-निदेशक (शिक्षा) करेंगे। राज्य स्तर पर अंतिम अपील समिति होगी, जो शिकायतों का समाधान करेगी।
फीस वृद्धि पर नियंत्रण
स्कूलों को फीस वृद्धि से पहले शिक्षा निदेशालय (DoE) से अनुमति लेनी होगी। फीस वृद्धि हर तीन साल में केवल एक बार और उचित औचित्य के साथ ही हो सकेगी। बिना अनुमति फीस बढ़ाने पर स्कूलों पर 1 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा। बार-बार उल्लंघन पर जुर्माना 2 से 10 लाख रुपये तक हो सकता है, और स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है।यदि स्कूल निर्धारित समय में अतिरिक्त फीस वापस नहीं करता, तो 20 दिनों बाद जुर्माना दोगुना, 40 दिनों बाद तिगुना, और हर 20 दिन बाद बढ़ता रहेगा।
बार-बार नियम तोड़ने वाले स्कूल प्रबंधन के पदाधिकारियों को स्कूल प्रबंधन में शामिल होने से रोका जा सकता है। स्कूलों को फीस संशोधन प्रस्ताव देने का अधिकार भी छीना जा सकता है। स्कूलों को फीस विवाद के कारण छात्रों की शिक्षा या स्थानांतरण प्रमाणपत्र रोकने की मनाही होगी।
शुल्कों का नियमन
परिवहन, वर्दी, और पाठ्यपुस्तकों जैसे सहायक शुल्कों को भी नियंत्रित किया जाएगा। स्कूलों को 31 जुलाई तक अगले तीन शैक्षणिक वर्षों के लिए फीस प्रस्ताव समिति के सामने प्रस्तुत करना होगा। यह विधेयक 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा, जिससे चालू शैक्षणिक सत्र की अनियमित फीस वृद्धि को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।
अभिभावकों की शिकायतें
दिल्ली के 1,677 निजी स्कूलों (सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त) में मनमानी फीस वृद्धि की शिकायतें लंबे समय से सामने आ रही थीं। 2010 से ही अभिभावक और सामाजिक कार्यकर्ता फीस नियंत्रण की मांग कर रहे थे, खासकर शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 लागू होने के बाद। दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 में फीस वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था, जिसके कारण स्कूलों की मनमानी बढ़ रही थी।
2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 575 स्कूलों को अतिरिक्त फीस वापस करने का निर्देश दिया था, लेकिन यह अस्थायी उपाय था। नया विधेयक स्थायी समाधान की दिशा में है। 2025 के शैक्षणिक सत्र में कई स्कूलों ने फीस बढ़ाई, जिसके खिलाफ अभिभावकों ने विरोध प्रदर्शन किए। सरकार ने 970 स्कूलों का निरीक्षण किया और 150 से अधिक स्कूलों को नोटिस जारी किए।
1677 स्कूलों पर लागू
यह विधेयक दिल्ली के सभी निजी स्कूलों, चाहे वे DDA की जमीन पर हों या अनधिकृत/लीज की जमीन पर, पर लागू होगा। विधानसभा सत्र पेपरलेस होगा, और सभी दस्तावेज डिजिटल रूप से उपलब्ध होंगे। दिल्ली विधानसभा को आदर्श और पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए यह सत्र सौर ऊर्जा पर निर्भर होगा। समितियों में सामाजिक और लैंगिक विविधता सुनिश्चित की जाएगी।
यह विधेयक अभिभावकों को फीस निर्धारण प्रक्रिया में शामिल करके उन्हें सशक्त बनाएगा और अनुचित वित्तीय बोझ से राहत देगा। स्कूलों को जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए मजबूर किया जाएगा, जिससे स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच विश्वास बढ़ेगा।
क्या होगा राजनीतिक प्रभाव
सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच इस विधेयक पर तीखी बहस की उम्मीद है, क्योंकि AAP ने पहले भी शिक्षा सुधारों पर जोर दिया था। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक पुराने नियमों की तुलना में अधिक प्रभावी होगा, क्योंकि यह कानूनी ढांचा प्रदान करता है और सख्त दंड का प्रावधान करता है।
विपक्ष और चिंताएँ
कुछ स्कूल प्रबंधकों ने चिंता जताई है कि सख्त नियमों से उनकी वित्तीय स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है, खासकर उन स्कूलों की जो अतिरिक्त सुविधाएँ (जैसे AC कक्षाएँ, विशेष प्रयोगशालाएँ) प्रदान करते हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार को स्कूलों की गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे पर भी ध्यान देना चाहिए, न कि केवल फीस नियंत्रण पर।
दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाएगा, बल्कि अभिभावकों को सशक्त बनाकर शिक्षा को अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाएगा। यह विधेयक 4 अगस्त को दिल्ली विधानसभा में शिक्षा मंत्री आशीष सूद द्वारा पेश किया गया और इसके पारित होने के बाद यह 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा।