स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: कर्नाटक में कांग्रेस के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बाद अब कांग्रेस विधायक एच.डी. रंगनाथ ने भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के गीत “नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे” की तारीफ की है, जिससे सियासी हलचल मच गई है। यह घटना 21 अगस्त को शिवकुमार द्वारा कर्नाटक विधानसभा में RSS गीत गाने के बाद हुई, जिसका वीडियो वायरल हो गया था। आइए, इस पूरे मामले की विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
डी.के. शिवकुमार का RSS गीत गाना
21 अगस्त को कर्नाटक विधानसभा में चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास जून 2024 में हुई भगदड़ की चर्चा के दौरान डी.के. शिवकुमार ने RSS का गीत “नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे” गाया। यह घटना तब हुई जब विपक्षी नेता आर. अशोक ने शिवकुमार पर भगदड़ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और उनकी पुरानी टिप्पणी का जिक्र किया कि उन्होंने कभी RSS की “चड्डी” पहनी थी। जवाब में, शिवकुमार ने हल्के-फुल्के अंदाज में गीत की पंक्तियां गाईं, जिसे बीजेपी विधायकों ने मेज थपथपाकर स्वागत किया, जबकि कांग्रेस खेमे में खामोशी छा गई।
शिवकुमार ने अगले दिन (22 अगस्त 2025) स्पष्ट किया कि “उनका यह कदम कोई राजनीतिक संदेश नहीं था। उन्होंने कहा, “मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं और जीवनभर कांग्रेसी रहूंगा। मैंने सभी राजनीतिक दलों का अध्ययन किया है, जिसमें RSS भी शामिल है। मुझे अपने दोस्तों और विरोधियों को जानना चाहिए।” उन्होंने यह भी बताया कि RSS कर्नाटक में स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों के जरिए अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
एच.डी. रंगनाथ का RSS गीत की तारीफ करना
शिवकुमार की राह पर चलते हुए, तुमकुरु के कुनिगल से कांग्रेस विधायक एच.डी. रंगनाथ ने 23 अगस्त 2025 को RSS गीत की तारीफ की। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में गीत की शुरुआती पंक्तियां गुनगुनाईं और इसे “बहुत अच्छा गीत” बताया। रंगनाथ ने कहा, “मैंने इस गीत का अर्थ पढ़ा। यह कहता है कि हमें उस धरती को प्रणाम करना चाहिए जहां हम पैदा हुए हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हमारा दल धर्मनिरपेक्ष है, और हमें दूसरों से अच्छी चीजें स्वीकार करनी चाहिए।”
रंगनाथ ने बीजेपी की विचारधारा की आलोचना करते हुए कहा कि “वह जाति और धर्म के आधार पर विभाजन को बढ़ावा देती है, जो कांग्रेस की विचारधारा से मेल नहीं खाती। उन्होंने सवाल उठाया, “लेकिन RSS का गीत गाने में क्या गलत है?”
बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी ने इस घटना का स्वागत किया। विधायक वी. सुनील कुमार ने मजाक में कहा, “उम्मीद है कि ये पंक्तियां रिकॉर्ड से नहीं हटाई जाएंगी।” बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने X पर तंज कसते हुए कहा कि “शिवकुमार का गीत गाना राहुल गांधी और गांधी परिवार के करीबी सहयोगियों को “ICU/कोमा मोड” में ले गया।
कांग्रेस ने किया बचाव
कांग्रेस ने इसे विद्रोह की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि शिवकुमार का यह कदम RSS के प्रति समर्पण नहीं, बल्कि यह दिखाने का प्रयास था कि गीत केवल एक कविता है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, “यह कोई राजनीतिक चाल नहीं थी। शिवकुमार ने यह जताया कि RSS का गीत गाना कोई विशेष या राष्ट्रवादी बात नहीं है।”
शिवसेना नेता संजय निरुपम ने इसे सकारात्मक कदम बताया और कहा कि “RSS कोई राष्ट्रविरोधी संगठन नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को RSS को अछूत मानना बंद करना चाहिए।”
राजनीतिक संदेश-सियासी अटकलें
शिवकुमार के इस कदम को कुछ लोग कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद की दौड़ से जोड़कर देख रहे हैं। 2023 में कांग्रेस की जीत के बाद सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच 2.5 साल के लिए सत्ता साझा करने का कथित समझौता हुआ था। अब, जब यह अवधि पूरी हो चुकी है, शिवकुमार के समर्थक उनकी मुख्यमंत्री बनने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, शिवकुमार ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि “उनका कोई राजनीतिक संदेश नहीं था और वह कांग्रेस के प्रति पूरी तरह वफादार हैं।”
वायरल वीडियो और बीजेपी की तीखी प्रतिक्रिया
डी.के. शिवकुमार और एच.डी. रंगनाथ द्वारा RSS गीत की तारीफ ने कर्नाटक की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। जहां शिवकुमार ने इसे विरोधियों को समझने के अपने प्रयास का हिस्सा बताया, वहीं रंगनाथ ने इसे धर्मनिरपेक्षता के तहत अच्छी चीजों को स्वीकार करने की बात कही। यह घटना कांग्रेस की आंतरिक राजनीति, खासकर मुख्यमंत्री पद की दौड़, और RSS-बीजेपी के साथ उसके वैचारिक टकराव को उजागर करती है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और बीजेपी की तीखी प्रतिक्रियाओं ने इस मुद्दे को और गर्म कर दिया है।