दिल्ली : मेयर चुनाव पहले होगा या डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों के साथ होगा। इसे लेकर अभी संशय बरकरार है। एमसीडी के राजनीतिक रणनीतिकारों की मानें तो 22 फरवरी को फिर से इस मसले पर आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्षदों के बीच विवाद हो सकता है, क्योंकि आम आदमी पार्टी शुरू से ही मेयर का चुनाव पहले कराने के पक्ष में है।
पिछली बार हुई सदन की बैठक में पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने यह कहते हुए मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों का चुनाव एक साथ कराने का फैसला किया था कि इससे समय की बचत होगी। उन्होंने सदन में यह पक्ष रखा था कि प्रधानमंत्री देश में सारे चुनाव एक साथ कराने की बात कर रहे हैं तो यहां सारे चुनाव एक साथ कराने में क्या बुराई है।
इस पर भाजपा के पार्षदों ने एक सुर में पीठासीन अधिकारी के सुझाव पर सहमति जताई थी, लेकिन आम आदमी पार्टी ने दबे स्वर में फैसले का विरोध किया था। दोनों पक्षों के बीच सभी चुनाव एक साथ कराने पर सहमति बन गई थी, लेकिन जब भाजपा के पार्षदों ने आम आदमी पार्टी के दो विधायकों अखिलेश पति त्रिपाठी और संजीव झा को सदन से बाहर भेजने की मांग की तो हंगामा बढ़ गया। भाजपा के पार्षदों का कहना था कि इन दोनों विधायकों को कोर्ट से सजा मिल चुकी है, इसलिए यह दोनों मेयर चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते। इसका समर्थन पीठासीन अधिकारी ने भी किया था।
राजनीतिक गलियारे में लगाए जा रहे कयास
राजनीतिक रणनीतिकारों की मानें तो भाजपा को यह फिक्र सता रही कि यदि पहले केवल मेयर का चुनाव हो गया तो संभव है आम आदमी पार्टी इसके बाद डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के छह सदस्यों का चुनाव कराने में दिलचस्पी न दिखाए, क्योंकि मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी का पलड़ा भारी है, लेकिन स्टैंडिंग कमेटी पर भाजपा कब्जा जमाने की पूरी तैयारी में है।
यदि केवल मेयर का चुनाव होता है तो स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं हो पाएगा। ऐसे में मेयर निगम से जुड़े फैसले अकेले लेने में सक्षम होंगी, लेकिन यदि स्टैंडिंग कमेटी गठित हो जाती है तो मेयर के पास निगम से जुड़े मामले स्टैंडिंग कमेटी के माध्यम से ही जाएंगे। ऐसे में 22 फरवरी को मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के छह सदस्यों का चुनाव देखना दिलचस्प होगा। इसमें क्या फैसला होता है, राजनीतिक गुणा गणित किस दल का फिट बैठता है, यह उसी दिन तय होगा।
क्या कहता है डीएमसी एक्ट
डीएमसी एक्ट-1957 के मुताबिक मेयर का चुनाव पीठासीन अधिकारी की अध्यक्षता में होता है। उपराज्यपाल की सहमति से निगम के एक वरिष्ठ पार्षद को जो मेयर का चुनाव न लड़ रहा हो, उसे पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाता है। मेयर का चुनाव होने के बाद अध्यक्षता में डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव होता है। वहीं, निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो मेयर चुनाव से पहले ही पीठासीन अधिकारी अपने विवेक से तीनों चुनाव एक साथ भी करा सकती हैं।