देहरादून: उत्तराखंड के धराली में आए जल प्रलय को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र के सामने दो मांगें रखी हैं। इनमें केदारनाथ और भागीरथी घाटियों जैसे ऊंचे क्षेत्रों में 3 डॉप्लर रडार स्थापित करना और हाई टेक वार्निंग सिस्टम मुहैया कराना शामिल है। धराली में जल प्रलय ने भारी तबाही मचाई है। रेसक्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है।
पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय नुकसान ने उत्तराखंड में कई आपदाओं को जन्म दिया है। शुक्रवार को गृह सचिव शैलेश बगौली ने कहा कि हमने एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) से उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में तीन डॉप्लर रडार लगाने का अनुरोध किया है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास तीन डॉप्लर रडार हैं। लेकिन ऊंचाई वाले इलाकों में तीन रडार लगाने से हमें वहां के मौसम संबंधी आपदाओं से निपटने में मदद मिलेगी।
डॉप्लर रडार उन्नत जानकारी प्रदान करते हैं। इससे खराब मौसम से जुड़ी किसी भी आपदा की स्थिति में जान-माल की रक्षा के लिए ज्यादा समय मिल जाता है। पारंपरिक रडार चक्रवातों का पता लगा सकते हैं और उनका पूर्वानुमान जता सकते हैं। डॉप्लर रडार आंतरिक वायु प्रवाह और संरचना के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं। इससे मौसम प्रणालियों की गंभीरता का अधिक सटीक अनुमान लगाया जा सकता है।
उत्तराखंड में लैंसडाउन (पौड़ी गढ़वाल), मुक्तेश्वर (नैनीताल) और सुरकंडा (टिहरी गढ़वाल) में डॉप्लर रडार हैं। इन्हें केदारनाथ में 2013 में आई अचानक आई बाढ़ के एक साल बाद स्थापित किया गया था। केदारनाथ जल प्रलय में 4127 लोग मारे गए थे। देहरादून के वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के अनुसार, राज्य का 51 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा भूस्खलन वाले संवेदनशील क्षेत्र में है।
राज्य में आपदाओं से संबंधित याचिकाएं दायर करने वाले कार्यकर्ता अजय गौतम ने कहा कि उच्च हिमालयी घाटियां अधिक संवेदनशील हैं। यहां ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। सरकार को जनहानि कम करने के लिए तैयारी और उपाय करने होंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसा करने का एक सबसे अच्छा तरीका हाई टेक वार्निंग सिस्टम और ज्यादा डॉप्लर रडार स्थापित करना है। इसके लिए मैंने 2013 की त्रासदी के बाद उत्तराखंड हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। तीन स्थापित हो चुके हैं, लेकिन हमें ऊंचाई वाले इलाकों में और डॉप्लर रडार की जरूरत है। ये रडारें अधिकारियों को मौसम का अधिक सटीक अनुमान लगाने और मानव जीवन बचाने के लिए अधिक सटीक चेतावनियां जारी करने में मदद कर सकती हैं।