बेंगलुरु : बेंगलुरु सेंट्रल जेल से हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई है. जिसे सुनकर यकीनन आप भी दंग रह जाएंगे. यहां सलाखों के पीछे कैद लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े एक आतंकवादी अपराधी के मोबाइल फोन इस्तेमाल करने को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में पता चला है कि जेल का एक मनोचिकित्सक ही कैदियों को फोन मुहैया कराता था वो भी दोगुनी कीमत पर.
एनआईए जांच में खुलासा हुआ कि मनोचिकित्सक मोबाइल की दुकान से 8,000 से 10,000 रुपए तक की कीमत के मोबाइल फोन खरीद रहा था और कैदियों को 25,000 रुपए में बेच रहा था. यानी दोगुनी कीमत पर फोन बेचकर वो खुद भी मुनाफा कमा रहा था. जेल मनोचिकित्सक का नाम डॉ. एस नागराज है.
मोबाइल खरीदने में प्रेमिका ने भी की मदद
जानकारी के मुताबिक एनआईए जेल में कट्टरपंथ फैलाने के एक मामले की जांच कर रही है. लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े 47 साल के दोषी थडियंताविद नसीर पर जेल में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का आरोप है. इसी दौरान मनोचिकित्सक डॉ. एस नागराज के इस कारनामे का खुलासा हुआ. जांच में पाया गया कि जेल मनोचिकित्सक एक शानदार जिंदगी जीता था. उसकी दो प्रेमिकाएं भी थीं. जिसमें से एक ने जेल में कैदियों के लिए फोन खरीदने और उन्हें मुहैया करने में उसकी मदद की थी.
दोगुनी कीमत पर कैदियों को बेचे मोबाइल
एनआईए ने अपनी जांच के दौरान पाया कि डॉ. नागराज ने अपने घर के पास एक मोबाइल स्टोर से मोबाइल फोन खरीदे और उन्हें अवैध रूप से जेल में ले गए और कैदियों को मोबाइल फोन सौंप दिए. एनआईए ने कोर्ट में दर्ज दस्तावेजों में कहा है कि जेल मनोचिकित्सक ने कैदियों से प्रति मोबाइल 25,000 रुपए लिए, जबकि उसने मोबाइल फोन 8,000 रुपए से 10,000 रुपए की कीमत पर खरीदे थे.
नसीर के पैसे के स्रोत की जांच में जुटी NIA
एनआईए जेल की हाई सिक्योरिटी वाली बैरक में बंद टी नसीर जैसे सजायाफ्ता कैदियों द्वारा मोबाइल फोन खरीदने के लिए धन के स्रोत की जांच कर रही है. नसीर पर आरोप है कि मनोचिकित्सक ने अन्य कैदियों की तुलना में उसे ज्यादा कीमत पर फोन बेचे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नसीर के पास इतनी रकम कब और कैसे पहुंची.
फोन के लिए कैदियों से नकद रुपए लिए
एनआईए ने कोर्ट में कहा कि ये मोबाइल फोन रघु के नाम से खरीदे गए हैं. एजेंसी ने यह भी खुलासा किया है कि आरोपी नंबर 1 टी. नसीर द्वारा इस्तेमाल किया गया मोबाइल फोन भी उसने रघु के नाम से प्रिया मोबाइल से खरीदा था. मनोचिकित्सक ने कथित तौर पर जेल में फोन की तस्करी के लिए दोषी कैदियों से नकद राशि ली थी. विशेष अदालत ने जेल अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे एनआईए अधिकारियों को जेल में टी नसीर और अन्य द्वारा फोन की आपूर्ति और उपयोग के संबंध में आगे की जांच करने की अनुमति दें.
मनोचिकित्सक डॉ. एस नागराज गिरफ्तार
बीते 8 जुलाई को जेल मनोचिकित्सक डॉ. एस नागराज को बेंगलुरु सेंट्रल जेल में नसीर और अन्य कैदियों को मोबाइल फोन मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. नसीर को केरल में आतंकवाद के एक मामले में दोषी ठहराया गया है और वर्तमान में 2008 के बेंगलुरु सीरियल बम धमाकों और जेल में कट्टरपंथ फैलाने के मामले में उस पर मुकदमा चल रहा है.
अन्य कैदियों से पूछताछ करेगी एनआईए
एनआईए अब बेंगलुरु सेंट्रल जेल में बंद कुछ कैदियों से पूछताछ करना चाहती है, जिन पर जेल मनोचिकित्सक द्वारा जेल के बिचौलियों के जरिए बेचे गए मोबाइल फोन हासिल करने का आरोप है. आतंकवाद मामलों की एक विशेष अदालत ने एनआईए को आगे की जांच के लिए बेंगलुरु सेंट्रल जेल में बंद कर्नाटक के एक हत्या के दोषी से पूछताछ करने की अनुमति दे दी है.
2009 से बेंगलुरु जेल में बंद है नसीर
लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े नसीर जो 2009 से बेंगलुरु जेल में बंद है उस पर 2023 में जेल में कट्टरपंथ की पहल में अहम भूमिका निभाने का आरोप लगा. उसने 2017 से 2023 तक जेल में बंद 8 विचाराधीन युवकों को कथित तौर पर कट्टरपंथी बनाया ताकि वे जेल से रिहा होने पर जिहाद शुरू कर सकें. इनमें से 7 युवकों को गिरफ्तार किया जा चुका है और एक अभी भी लापता है जिसकी तलाश की जा रही है.
बेंगलुरु पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद अक्टूबर 2023 में जेल आतंकी साजिश मामले की जांच एनआईए ने अपने हाथ में ले ली थी. जांच एजेंसियों का आरोप है कि नसीर द्वारा जेल में कट्टरपंथी बनाए जाने के बाद आरोपियों ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए हथियार, गोला-बारूद और डिजिटल उपकरण खरीदे. प्रारंभिक बेंगलुरु पुलिस जांच से संकेत मिलता है कि नसीर, जो 13 साल से अधिक समय से जेल में था उसने 20 युवाओं के एक समूह के कुछ सदस्यों को कट्टरपंथी बनाया, जो अक्टूबर 2017 में बेंगलुरु में एक व्यापारी की हत्या के लिए 2017 और 2019 के बीच बेंगलुरु केंद्रीय जेल में बंद थे.