प्रकाश मेहरा
एक्जीक्यूटिव एडिटर
गाजियाबाद। गाजियाबाद में एक सनसनीखेज मामले का खुलासा हुआ है, जहां हर्षवर्धन जैन नामक व्यक्ति ने कविनगर इलाके में एक किराए की आलीशान कोठी में फर्जी दूतावास चलाकर लोगों को ठगने का रैकेट स्थापित किया था। उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने 22 जुलाई को छापेमारी कर इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया और हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया।
फर्जी दूतावास और काल्पनिक देश
हर्षवर्धन जैन ने गाजियाबाद के कविनगर में किराए की कोठी (KB-35) में वेस्ट आर्कटिक, सैबोर्गा, पॉलविया और लोडोनिया जैसे काल्पनिक या माइक्रोनेशन देशों के नाम पर फर्जी दूतावास स्थापित किया था। ये देश दुनिया के नक्शे पर मौजूद ही नहीं हैं। उदाहरण के लिए, वेस्ट आर्कटिक एक माइक्रोनेशन है, जिसे 2001 में अमेरिकी नागरिक ट्रेविस मैक्हेनरी ने अंटार्कटिका के मैरी बियर्ड लैंड क्षेत्र में दावा किया था, लेकिन इसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी। सैबोर्गा, पॉलविया और लोडोनिया जैसे नामों का इंटरनेट पर भी कोई ठोस जिक्र नहीं मिलता और ये पूरी तरह काल्पनिक प्रतीत होते हैं।
क्या था ठगी का तरीका ?
हर्षवर्धन खुद को इन काल्पनिक देशों का राजदूत या कॉन्सुल बताकर लोगों को ठगता था। उसका मुख्य लक्ष्य लोगों को विदेश में नौकरी या व्यापार के अवसर दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूलना था। वह निम्नलिखित तरीकों से लोगों को झांसे में लेता था।
फोटोशॉप की गई तस्वीरें
हर्षवर्धन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ अपनी मॉर्फ्ड (फर्जी) तस्वीरें बनाईं और इन्हें सोशल मीडिया व वेबसाइट्स पर इस्तेमाल कर लोगों पर प्रभाव जमाया। इन तस्वीरों में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ भी फर्जी फोटो शामिल थीं।
वह चार लग्जरी गाड़ियों (जैसे मर्सिडीज) का इस्तेमाल करता था, जिन पर फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी थीं। ये गाड़ियां उसे एक बड़े राजनयिक का रुतबा देने में मदद करती थीं। हर्षवर्धन ने विदेश मंत्रालय की नकली मोहरों, फर्जी डिप्लोमैटिक पासपोर्ट और अन्य कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल कर लोगों को भरोसा दिलाया कि वह एक वास्तविक राजनयिक है।
हर्षवर्धन के पास बरामद सामग्री !
STF की छापेमारी में हर्षवर्धन के पास से ये सामग्री बरामद हुई।
- चार लग्जरी गाड़ियां डिप्लोमैटिक नंबर प्लेटों के साथ।
- 12 फर्जी डिप्लोमैटिक पासपोर्ट, जो काल्पनिक माइक्रोनेशन देशों के नाम पर जारी किए गए थे।
- विदेश मंत्रालय की नकली मोहर और फर्जी दस्तावेज।
- दो फर्जी पैन कार्ड और दो फर्जी प्रेस कार्ड।
- 34 विभिन्न देशों और कंपनियों की मोहरें।
- 44.7 लाख रुपये नकद और कई देशों की विदेशी मुद्रा।
- 18 डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट।
- कई कंपनियों के फर्जी दस्तावेज।
हवाला और शेल कंपनियां
हर्षवर्धन का रैकेट केवल ठगी तक सीमित नहीं था। वह शेल कंपनियों के जरिए हवाला ट्रांजैक्शन में भी शामिल था, जिसके माध्यम से अवैध धन का लेन-देन होता था। STF के अनुसार, उसका नेटवर्क संगठित और सुनियोजित था, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता था।
हर्षवर्धन का आपराधिक इतिहास
हर्षवर्धन जैन पहले भी विवादों में रहा है। 2011 में उसके पास से एक अवैध सैटेलाइट फोन बरामद हुआ था, जिसके लिए कविनगर थाने में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इसके अलावा, उसका संबंध तांत्रिक चंद्रास्वामी और अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलर अदनान खगोशी से भी सामने आया है, जिससे उसके आपराधिक नेटवर्क की गहराई का अंदाजा लगता है।
क्या हुई कानूनी कार्रवाई
STF ने हर्षवर्धन के खिलाफ कविनगर थाने में भारतीय दंड संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। फिलहाल उससे पूछताछ जारी है, और पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि “उसके नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल है। उसने अब तक कितने लोगों को ठगा। हवाला के जरिए कितने धन का लेन-देन हुआ।
जांच और भविष्य
STF और अन्य जांच एजेंसियां अब हर्षवर्धन के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों और उसके नेटवर्क की गहराई की जांच कर रही हैं। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर है, क्योंकि फर्जी दस्तावेजों और डिप्लोमैटिक पासपोर्ट का दुरुपयोग संवेदनशील हो सकता है।
हर्षवर्धन जैन के रैकेट का भंडाफोड़
हर्षवर्धन जैन ने गाजियाबाद में एक सुनियोजित ठगी का जाल बिछाया था, जिसमें उसने काल्पनिक देशों के दूतावास, फर्जी दस्तावेज, और लग्जरी गाड़ियों का इस्तेमाल कर लोगों को झांसा दिया। फोटोशॉप की गई तस्वीरों, खासकर पीएम मोदी और पूर्व राष्ट्रपति कलाम के साथ फर्जी फोटो का इस्तेमाल कर उसने अपनी विश्वसनीयता बढ़ाई।
यह मामला न केवल एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अपराधी कितने शातिर तरीके से सिस्टम का दुरुपयोग कर सकते हैं। STF की कार्रवाई ने इस रैकेट का भंडाफोड़ तो कर दिया है, लेकिन जांच अभी जारी है ताकि इस नेटवर्क के अन्य पहलुओं का पता लगाया जा सके।