प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच, भारत सरकार ने ईरान में फंसे अपने नागरिकों, खासकर छात्रों, की सुरक्षित निकासी शुरू कर दी है। 16-17 जून 2025 को 110 भारतीयों का पहला जत्था ईरान से आर्मेनिया बॉर्डर के रास्ते सुरक्षित निकाला गया। इनमें ज्यादातर उर्मिया मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र शामिल हैं। यह निकासी प्रक्रिया भारत सरकार और ईरानी अधिकारियों के बीच समन्वय के बाद शुरू हुई।
निकासी कब और कहां ?
16 जून 2025 की रात को, 110 भारतीय नागरिक, मुख्य रूप से छात्र, ईरान के नोर्दुज़ बॉर्डर (Norduz) के रास्ते आर्मेनिया पहुंचे। ये छात्र उर्मिया मेडिकल यूनिवर्सिटी से थे, जो ईरान के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित है। भारत सरकार ने ईरान में भारतीय दूतावास के माध्यम से निकासी की योजना बनाई। ईरान ने अपने हवाई क्षेत्र को युद्ध के कारण बंद कर दिया था, इसलिए जमीनी रास्तों से निकासी की गई।
भारतीय दूतावास ने आर्मेनिया के राजदूत के साथ समन्वय कर नोर्दुज़ बॉर्डर के जरिए बसों से छात्रों को निकाला। इन छात्रों को 18 जून 2025 को येरेवन (आर्मेनिया की राजधानी) से हवाई मार्ग के जरिए नई दिल्ली लाया जाएगा। पहले जत्थे में 110 छात्र शामिल थे। कुल मिलाकर, ईरान में 10,000 भारतीय हैं, जिनमें 6,000 छात्र हैं, और निकासी प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
ईरान-इजरायल संघर्ष
13 जून 2025 से शुरू हुए इजरायल-ईरान युद्ध ने स्थिति को गंभीर बना दिया। इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन के तहत ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जिसमें ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडरों की हत्या हुई। जवाब में, ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-3 के तहत 370 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन से इजरायल पर हमला किया, जिसमें कम से कम 24 लोग मारे गए और 500 से अधिक घायल हुए।
इजरायल ने तेहरान में हवाई वर्चस्व का दावा किया और 3.3 लाख लोगों को शहर छोड़ने की चेतावनी दी, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई।
भारतीयों की क्या है स्थिति !
तेहरान सहित कई शहरों में मिसाइल हमलों के कारण भारतीय छात्र डर के माहौल में थे। कुछ छात्रों ने बताया कि उनके हॉस्टल के पास मिसाइलें गिरीं, और पानी, भोजन, और इंटरनेट की कमी थी। 600 भारतीय छात्रों को तेहरान से क़ोम (Qom) जैसे सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया, जो इजरायली हमलों से अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है।
भारत सरकार और दूतावास की भूमिका
15 जून 2025 को, भारतीय दूतावास ने एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें सभी भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों से अनावश्यक यात्रा से बचने, सतर्क रहने, और दूतावास के सोशल मीडिया पेजों पर अपडेट्स देखने को कहा गया। दूतावास ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए: +989010144557, +989128109115, +989128109109।
विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में 24×7 कंट्रोल रूम स्थापित किया, जिसके संपर्क नंबर हैं: 1800118797 (टोल-फ्री), +91-11-23012113, +91-11-23014104, +91-11-23017905, +91-9968291988 (व्हाट्सएप) और situationroom@mea.gov.in।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने क्षेत्रीय समकक्षों से बात कर स्थिति पर नजर रखी और निकासी के लिए समन्वय किया। ईरानी अधिकारियों ने भारत के अनुरोध पर जमीनी रास्तों से निकासी की अनुमति दी, क्योंकि हवाई मार्ग बंद थे।
आर्मेनिया बॉर्डर क्यों चुना गया ?
ईरान ने युद्ध के कारण अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, जिससे हवाई निकासी असंभव हो गई।आर्मेनिया के साथ नोर्दुज़ बॉर्डर को सुरक्षित माना गया, और वहां से येरेवन हवाई अड्डे तक पहुंच आसान थी। आर्मेनिया में स्थिति स्थिर है, और वहां से भारत के लिए उड़ानें संचालित हो सकती हैं। आर्मेनिया कुछ देशों, जिसमें भारत शामिल है, के नागरिकों को वीजा ऑन अराइवल प्रदान करता है, जिसने निकासी को आसान बनाया। वीजा के लिए केवल पासपोर्ट और 75-100 यूरो की आवश्यकता होती है, बिना किसी अतिरिक्त दस्तावेज़ की जरूरत के।
वैकल्पिक रास्ते में ईरान ने अज़रबैजान, तुर्कमेनिस्तान और अफगानिस्तान के जमीनी रास्तों को भी खुला रखा, लेकिन आर्मेनिया को इसकी स्थिरता और भारत के साथ अच्छे संबंधों के कारण प्राथमिकता दी गई।
क्या हैं चुनौतियां ?
तेहरान में इंटरनेट की समस्याओं के कारण कई भारतीयों को समय पर जानकारी नहीं मिली, जिससे कुछ लोग निकासी बसों से चूक गए। तेहरान से बाहर जाने वाली सड़कों पर भारी जाम के कारण निकासी में देरी हुई। कई लोग उत्तरी ईरान की ओर कैस्पियन सागर क्षेत्र में भाग रहे थे, जिससे सड़कें अवरुद्ध हो गईं। तेहरान और क़ोम के बीच हाईवे पर इजरायली हमले की खबरों ने निकासी को और जटिल बना दिया।अभी भी 1,500 कश्मीरी छात्र और अन्य भारतीय ईरान में फंसे हैं, जिनकी निकासी के लिए और बसों की व्यवस्था की जा रही है।
आर्मेनिया से भारत वापसी
110 भारतीय छात्रों का यह जत्था 18 जून 2025 को येरेवन से नई दिल्ली के लिए उड़ान भरेगा। भारतीय दूतावास ने मंगलवार सुबह तेहरान से और बसें भेजने की घोषणा की, जिसमें नागरिकों से न्यूनतम सामान और पासपोर्ट साथ रखने को कहा गया। श्रीनगर में फंसे छात्रों के परिवारों ने भारत सरकार से तत्काल निकासी की अपील की है।
नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता
ईरान-इजरायल युद्ध के पांचवें दिन, भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए तेजी से कदम उठाए। 110 भारतीयों का पहला जत्था, मुख्य रूप से उर्मिया मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र, आर्मेनिया बॉर्डर के रास्ते सुरक्षित निकाला गया और जल्द ही दिल्ली पहुंचेगा। आर्मेनिया का रास्ता उसकी स्थिरता, वीजा सुविधा, और येरेवन से उड़ानों की उपलब्धता के कारण चुना गया। हालांकि, अभी भी हजारों भारतीय, खासकर कश्मीरी छात्र, ईरान में फंसे हैं, और उनकी निकासी के लिए भारत सरकार और दूतावास सक्रिय हैं। यह स्थिति भारत की कूटनीतिक क्षमता और क्षेत्रीय अस्थिरता के बीच अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।