प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि “भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम (सीजफायर) उनकी मध्यस्थता और व्यापारिक दबाव के कारण हुआ।” न्यूयॉर्क में न्यूज़वीक के सीईओ देव परागद के साथ एक ‘विशेष साक्षात्कार’ में जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान तनाव और सीजफायर से जुड़ी घटनाओं का विस्तृत ब्योरा दिया, साथ ही भारत के स्वतंत्र रुख को स्पष्ट किया।
9 मई 2025 की बातचीत !
जयशंकर ने खुलासा किया कि “वह 9 मई 2025 की रात उस कमरे में मौजूद थे, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की थी। वांस ने चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान भारत पर बड़े पैमाने पर हमले की योजना बना रहा है और अगर भारत कुछ शर्तें नहीं मानता, तो उसे परिणाम भुगतने होंगे।
जयशंकर ने बताया कि “पीएम मोदी ने इन धमकियों को गंभीरता से नहीं लिया और स्पष्ट किया कि अगर पाकिस्तान हमला करता है, तो भारत इसका करारा जवाब देगा।”
पाकिस्तान का हमला और भारत की प्रतिक्रिया
उसी रात पाकिस्तान ने बड़े पैमाने पर हमला किया, जिसका भारत ने तुरंत और प्रभावी ढंग से जवाब दिया। अगली सुबह 10 मई को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने जयशंकर से संपर्क किया और बताया कि पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार है। उसी दिन पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने अपने भारतीय समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से संपर्क कर सीजफायर की मांग की।
ट्रंप के दावे का खंडन !
ट्रंप ने बार-बार दावा किया कि उन्होंने व्यापारिक दबाव, जैसे टैरिफ का इस्तेमाल कर भारत और पाकिस्तान को सीजफायर के लिए मजबूर किया।
जयशंकर ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि “कूटनीति और व्यापार वार्ता पूरी तरह अलग-अलग हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि सीजफायर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे सैन्य स्तर पर बातचीत का परिणाम था, न कि अमेरिकी मध्यस्थता या व्यापारिक दबाव का।
पहलगाम आतंकी हमला
जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को कश्मीर के पर्यटन उद्योग को निशाना बनाने वाला “आर्थिक युद्ध” करार दिया। उन्होंने इस हमले को पाकिस्तान की “कट्टर इस्लामिक सोच” से प्रेरित बताया, जिसमें पर्यटकों से उनके धर्म के बारे में पूछकर हत्याएं की गईं। इसके लिए उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को जिम्मेदार ठहराया।
पाकिस्तान के हमले के जवाब में भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया था। जयशंकर ने बताया कि सीजफायर तभी संभव हुआ जब पाकिस्तानी DGMO ने भारत से संपर्क किया और दोनों पक्षों ने जमीन, हवा और समुद्र पर सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति जताई। भारत ने यह शर्त रखी कि अगर भविष्य में आतंकी हमले होते हैं, तो ऑपरेशन सिंदूर फिर से शुरू किया जाएगा।
आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई
जयशंकर ने दोहराया कि भारत में पाकिस्तान के साथ संबंधों को द्विपक्षीय आधार पर देखने की राष्ट्रीय सहमति है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएगा और कोई भी बाहरी धमकी, चाहे वह परमाणु हमले की ही क्यों न हो, भारत को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोक सकती।
जयशंकर के बयान ट्रंप के दावे पर जवाब !
यह साक्षात्कार न्यूयॉर्क में वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के पास ‘न्यूज़वीक’ के हेडक्वार्टर में हुआ, जब जयशंकर 30 जून से 2 जुलाई तक अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के निमंत्रण पर अमेरिका की यात्रा पर थे। जयशंकर के बयान ट्रंप के उन दावों के जवाब में थे, जिनमें उन्होंने हाल की सऊदी अरब यात्रा के दौरान कहा था कि उनकी सरकार ने कूटनीतिक और व्यापारिक दबाव के जरिए ऐतिहासिक सीजफायर कराया।
जयशंकर ने भारत-अमेरिका संबंधों पर भी टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि “पीएम मोदी ने ट्रंप सहित कई अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ अच्छे संबंध बनाए, जिससे द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं। पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान के साथ चल रहे तनाव को दर्शाते हैं, जिसमें जयशंकर ने भारत की संप्रभुता और कश्मीर में आर्थिक हितों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प को रेखांकित किया।