प्रकाश मेहरा
दिल्ली डेस्क
नई दिल्ली: दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान (205.33 मीटर) से ऊपर 207.48 मीटर तक पहुंच गया है, जिसके कारण कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। भारी बारिश और हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। कुछ क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति गंभीर है प्रभावित क्षेत्र में दिल्ली सचिवालय के पास यमुना का पानी पहुंच गया है, जहां मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों और प्रमुख नौकरशाहों के कार्यालय हैं। सचिवालय के अंडरपास में पानी भर गया है और दीवार को टूटने से बचाने के लिए रेत की बोरियां रखी गई हैं। यदि जलस्तर और बढ़ा, तो सचिवालय को बंद करने की नौबत आ सकती है।
कश्मीरी गेट क्षेत्र में सड़कों पर 2-3 फीट तक पानी जमा है। ISBT (अंतरराज्यीय बस अड्डा) तक पानी पहुंच गया है, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। श्री मरघट वाले हनुमान बाबा मंदिर तक भी बाढ़ का पानी पहुंच चुका है। वासुदेव घाट और आसपास के इलाके पूरी तरह जलमग्न हैं। सड़कों तक पानी पहुंचने से रोकने के उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं। DDA के वासुदेव घाट के पास रिंग रोड पर भी पानी जमा है, और चांदीराम अखाड़े के पास CNG पंप बंद कर दिया गया है।
सड़क पर अंतिम संस्कार करने को मजबूर
निगमबोध घाट यह दिल्ली का सबसे पुराना और व्यस्त श्मशान घाट है, जो पूरी तरह जलमग्न है। घाट की एक दीवार टूट गई, जिससे अंतिम संस्कार कार्य रुक गए हैं। गीता कॉलोनी के श्मशान घाट में करीब 10 फीट तक पानी भर गया है, जिससे लकड़ियां बर्बाद हो गई हैं। लोग सड़क पर ही अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं। पॉश इलाके सिविल लाइंस में बेला रोड पर मकान जलमग्न हैं। स्वामीनारायण मंदिर पूरी तरह पानी में डूबा है, और कई वाहन पानी में तैरते देखे गए। लोगों को घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है।
हजारों लोगों को परेशानी
मयूर विहार फेज-1 जैसे निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। यहां बने राहत शिविर भी जलमग्न हो गए हैं। यमुना बाजार और मॉनेस्ट्री मार्केट ये इलाके भी पूरी तरह पानी में डूबे हैं, और सड़कों पर यातायात ठप है। अतिव्यस्त आईटीओ चौहारे तक पानी पहुंच गया है, जिससे बड़े दफ्तरों में काम करने वाले हजारों लोगों को परेशानी हो रही है।
रिंग रोड के कई हिस्सों, खासकर लाल किले के पीछे और सिविल लाइंस की ओर जाने वाले मार्ग पर भारी जलभराव है। पुराना रेलवे पुल बंद कर दिया गया है। अन्य प्रभावित क्षेत्र में मजनू का टीला, बुराड़ी, शाहदरा, भजनपुरा, सीलमपुर, अशोक नगर, लक्ष्मीनगर, अक्षरधाम आदि में भी बाढ़ का खतरा बना हुआ है। नोएडा के सेक्टर 125 से 151 तक के क्षेत्रों में भी पानी भर गया है, जिससे फसलें बर्बाद हो गई हैं और 700-800 लोग प्रभावित हुए हैं।
बाढ़ की स्थिति और प्रभाव
गुरुवार (4 सितंबर) सुबह 7 बजे यमुना का जलस्तर 207.48 मीटर था, जो 2010 और 2013 के रिकॉर्ड को तोड़ चुका है। कई प्रमुख सड़कें बंद हैं, जैसे रिंग रोड, कश्मीरी गेट से सिविल लाइंस का मार्ग, और पुराना रेलवे पुल। दिल्ली पुलिस ने ट्रैफिक अलर्ट जारी किया है। प्रशासन ने 38 राहत शिविर बनाए हैं, और हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। NDRF की 16 टीमें तैनात हैं। अंतिम संस्कार निगमबोध और गीता कॉलोनी जैसे श्मशान घाटों के जलमग्न होने से अंतिम संस्कार की व्यवस्था पर दबाव बढ़ गया है।
प्रशासन की कार्यवाही
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, PWD, जल बोर्ड, MCD, शहरी विकास और राजस्व विभाग 24×7 काम कर रहे हैं। बाढ़ प्रबंधन के लिए डिविजनल कमिश्नर नीरज सेमवाल को जिम्मेदारी सौंपी गई है। बुधवार (3 सितंबर) देर शाम निगमबोध घाट की दीवार ढह गई, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। बाढ़ नियंत्रण बुलेटिन के अनुसार, गुरुवार सुबह 8 बजे के बाद जलस्तर में कमी की संभावना है। दिल्ली पुलिस और आपदा प्रबंधन विभाग हालात पर नजर रखे हुए हैं। लोगों से प्रभावित इलाकों में जाने से बचने की सलाह दी गई है।
दिल्ली में यमुना का उफान 2023 की बाढ़ की याद दिला रहा है, जब जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंचा था। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं, लेकिन लगातार बारिश और बढ़ता जलस्तर स्थिति को गंभीर बना रहा है। निवासियों को सतर्क रहने और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है।