Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

संतुलित बजट की आस

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
January 21, 2023
in राष्ट्रीय, विशेष, व्यापार
A A
26
SHARES
856
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

सतीश सिंह


एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने कार्यकाल का 5वां आम बजट पेश करेंगी। यह वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। इसलिए आमजन, बुजुर्ग, कारोबारी और कॉरपोरेट्स सभी बजट में राहत की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि सरकार लोकलुभावन बजट पेश करने से परहेज करेगी क्योंकि विपक्ष कमजोर है। सभी विपक्षी दल साथ मिलकर भी भाजपा को शायद ही आम चुनाव में शिकस्त दे पाएं। भाजपा को यह वस्तुस्थिति मालूम है। इसलिए सरकार चाहेगी कि ऐसा बजट पेश किया जाए, जिससे विकास गति में तेजी बरकरार रहे और आमजन को भी कोई परेशानी नहीं हो।

इन्हें भी पढ़े

adi kailash

22KM कम हो जाएगी आदि कैलाश की यात्रा, 1600 करोड़ होंगे खर्च

November 1, 2025

ट्रंप के बेतुके बयान दरकिनार कर भारत-US ने किया 10 साल का रक्षा समझौता

October 31, 2025
india turkey trade

ट्रंप टैरिफ को एपल के बाद एक और US कंपनी ने दिखाया ठेंगा!

October 31, 2025
REC

REC और SMFCL ने समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर

October 30, 2025
Load More

किसानों की अपेक्षा है कि खेती-किसानी को किसानों के अनुकूल बनाया जाए ताकि उनका आर्थिक जीवन आसान बन सके और उनकी अगली पीढ़ी खेती-किसानी करने के लिए प्रेरित हो।

महंगाई के लगातार उच्च स्तर पर बने रहने के कारण आम आदमी का जीना मुहाल है। इसलिए वह चाहता है कि महंगाई कम करने के उपाय बजट में किए जाएं। वैसे, खुदरा महंगाई दिसम्बर महीने में कम होकर 1 साल के निचले स्तर 5.72त्न पर पहुंच गई है। विगत वर्षो में इंसान की औसत आयु में इजाफा हुआ है, जिससे सम्मानजनक जीवन जीने की  चाहत बढ़ी है। वृद्धजन चाहते हैं कि वृद्धावस्था पेंशन में वृद्धि की जाए, आयकर में राहत मिले। बुजुगरे द्वारा इस्तेमाल करने वाले उत्पादों डायपर, दवाएं, व्हीलचेयर, वॉकर जैसे स्वास्थ्य उपकरणों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में राहत मिले। मेडिक्लेम नीतियां सकारात्मक बनाई जाएं।

चिकित्सा परामर्श शुल्क में कमी लाई जाए। यह भी चाहते हैं कि बैंक, डाकघर, अन्य निवेश योजनाओं पर ब्याज दर में वृद्धि की जाए। मध्यम वर्ग चाहता है कि आयकर और रोजमर्रा की वस्तुओं पर जीएसटी दर में कटौती की जाए। कारोबारी और कॉरपोरेट कारोबार में लालफीताशाही से निजात और कर में छूट पाना चाहते हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या सरकार सभी की अपेक्षाओं को पूरा करने में समर्थ है? सभी की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए सरकार का खजाना भरा हुआ होना चाहिए। कुछ महीने से जीएसटी संग्रह में लगातार वृद्धि हो रही है।

सितम्बर में जीएसटी 1.48 लाख करोड़ रहा जबकि दिसम्बर में यह 1.50 लाख करोड़ रुपये रहा। लगातार दसवां महीना है, जब जीएसटी संग्रह 1.40 लाख करोड़ से अधिक रहा है। सकल व्यक्तिगत आयकर संग्रह नवम्बर तक 8.77 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जबकि 10 नवम्बर तक कॉरपोरेट सकल कर संग्रह 10.54 लाख करोड़ रुपये था, जो पिछले साल की समान अवधि से 30.69 प्रतिशत अधिक है। एक अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष राजस्व संग्रह के बजटीय लक्ष्य को हासिल कर सकती है, लेकिन विनिवेश लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएगी क्योंकि अब चालू वित्त वर्ष के समाप्त होने में महज 2 महीने बचे हैं, और सरकार को मामले में कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली है।

एक अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में सरकार राजकोषीय घाटा को 6.4 प्रतिशत के स्तर पर रखने के लक्ष्य को हासिल कर सकती है और अगले वित्त वर्ष में इसमें 0.50 प्रतिशत की कमी लाने में सफल हो सकती है, क्योंकि चालू वित्त वर्ष में राजस्व संग्रह में उल्लेखनीय तेजी आई है। बता दें कि राजकोषीय घाटा कुल आय और व्यय का अंतर होता है, और जब सरकार आय से ज्यादा व्यय करती है, तो घाटे को पाटने या उसमें कमी लाने के लिए उसे बाजार से कर्ज लेना पड़ता है। चालू वित्त वर्ष में राजस्व संग्रह की स्थिति बेहतर है, लेकिन मौजूदा परिवेश में विश्व के अन्य देशों की तरह भारत भी महंगाई, आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती, भू-राजनैतिक तनाव और कोरोना महामारी के दुष्परिणाओं से जूझ रहा है। विश्व के अनेक देश मंदी के जाल में फंसने के कगार पर हैं। हालांकि उपलब्ध संकेतकों के अनुसार भारत मंदी के दुष्परिणाओं से बचा हुआ रहेगा, लेकिन मौजूदा स्थिति को बरकरार रखने के लिए भारत को अपने विकासात्मक कार्य जारी रखने होंगे।

अभी कुछ आर्थिक मुश्किलें सरकार के समक्ष जरूर हैं, लेकिन राजस्व संग्रह में तेजी बने रहने से सरकार पूंजीगत व्यय में इजाफा करने के साथ-साथ विकासात्मक और कल्याणकारी, दोनों मोचरे पर आगामी वित्त वर्ष में काम कर सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार आम बजट के बाद करीब 35 से अधिक वस्तुओं की जीएसटी दर में सरकार वृद्धि कर सकती है। राजस्व संग्रह की मौजूदा गति को बरकरार रखने के लिए ऐसा कदम सरकार द्वारा उठाया जाना जरूरी भी है। इस क्रम में प्राइवेट जेट, हेलीकॉप्टर, महंगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, प्लास्टिक के सामान, ज्वैलरी, हाई-ग्लॉस पेपर, विटामिन आदि जीएसटी दर में बढ़ोतरी की जा सकती है।

सरकार वैसी वस्तुओं के आयात को भी कम करना चाहती है, जिससे आयात बिल में कमी आए और ‘मेक इन इंडिया’ की संकल्पना को भी बल मिले। इस आलोक में कुछ वस्तुओं पर बजट में कस्टम ड्यूटी में इजाफा किया जा सकता है। ऐसा करने से दो फायदे होंगे। पहला, देश का चालू खाता घाटा कम होगा; और दूसरा, ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूती मिलेगी। देश अर्थव्यवस्था के अनेक मानकों पर कोरोना काल से पहले वाली अवस्था में पहुंच चुका है, बावजूद इसके बढ़ती महंगाई, वैश्विक स्तर पर भू-राजनैतिक तनाव बने रहने के कारण सरकार के लिए जरूरी है कि वह संतुलित बजट पेश करे अर्थात कल्याणकारी कार्यों पर खर्च करे, लेकिन फ्री में वस्तुएं बांटने से परहेज करे और विकासत्मक कार्यों को बढ़ावा दे।

लिहाजा, एक फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट में सरकार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सडक़ निर्माण एवं मरम्मत, रेल संपर्क में मजबूती, रोजगार अवसर बेहतर करने के लिए कारोबारी माहौल को और भी बेहतर करने की पहल के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत करने की घोषणा कर सकती है। सरकार उर्वरक सब्सिडी में कटौती करने से बचेगी एवं खेती-किसानी को मुफीद और आसान बनाने वाले उपायों का ऐलान कर सकती है। मध्यम वर्ग और बुजुगरे को राहत देने की घोषणा भी वित्त मंत्री कर सकती हैं। चूंकि अभी पड़ोसी देशों के साथ ज्यादा तनाव नहीं है, इसलिए वित्त मंत्री रक्षा खर्च में बढ़ोतरी करने से बच सकती हैं।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
trump

अमेरिका का सख्त संदेश- हम भारत के साथ, आतंक के खिलाफ जंग में देंगे साथ?

April 27, 2025

भारत को मिल सकता है चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट का लाभ!

September 13, 2023
Yamuna cleaning work started

यमुना की दशा में सुधार का प्रयास!

August 11, 2025
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • 8 सालों में सबसे अच्छा रहा दिल्ली में इस बार का AQI
  • 22KM कम हो जाएगी आदि कैलाश की यात्रा, 1600 करोड़ होंगे खर्च
  • कभी नहीं लौटाने होंगे 10 हजार रुपये, 1.50 करोड़ महिलाओं को मिली मदद

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.