नई दिल्ली : दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के तौर पर भारत की राजनीतिक व्यवस्था हमेशा इलेक्शन मोड में रहती है। देश में चुनाव कराने का काम भारत निर्वाचन आयोग यानी चुनाव आयोग (Election Commission of India) करता है। भारतीय संविधान के तहत संसद और प्रत्येक राज्य के विधान सभा और विधान मंडल तथा राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन यानी चुनाव के संचालन की पूरी प्रक्रिया का संचालन और नियंत्रण भारत निर्वाचन आयोग को सौंपा गया है। आयोग का अपना अलग सचिवालय है जिसमें लगभग 300 अधिकारी और कर्मचारी रूप से कार्य करते हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC), निर्वाचन आयुक्तों और इन सभी का चयन और नियुक्ति कौन करता है? तो आइए जानते हैं पूरी प्रक्रिया …
जो सब चुनाव कराता है तो उसका चुनाव कौन करता है?
संविधान के अनुसार भारत निर्वाचन आयोग यानी चुनाव आयोग (Election Commission of India) एक स्थायी संवैधानिक एवं स्वतंत्र निकाय है। निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी। आयोग अपने कार्यों का निष्पादन, नियमित बैठकों के आयोजन और दस्तावेजों के परिचालन द्वारा भी करता है। आयोग द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में सभी निर्वाचन आयुक्तों के पास समान अधिकार होते हैं। शुरुआती दौर में आयोग में केवल एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पद था। वर्तमान में इसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त (Chief Election Commissioner) और दो निर्वाचन आयुक्त के पद हैं। अब आपके मन में यह सवाल जरूर उठेगा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त का चयन कौन और कैसे करता है?
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की चयन प्रक्रिया?
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-324(2) के तहत भारत के राष्ट्रपति को मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त करने की शक्तियां दी गई हैं। उनका कार्यकाल 6 वर्ष, या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है। वहीं, राज्य में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की शक्तियां?
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के पद का दर्जा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश स्तर का होता है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों को उनके सुप्रीम कोर्ट के जजों के समतुल्य ही वेतन और अनुलाभ भी मिलते हैं। हालांकि, आयोग और आयुक्तों के निर्णयों को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में उचित याचिका द्वारा चुनौती दी जा सकती है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त को हटाना हो तो?
वैसे तो अपने कार्य क्षेत्र में फैसलों को लेकर निर्वाचन आयुक्त सरकारी या राजनीतिक दखल से मुक्त होते हैं। किसी भी असामान्य परिस्थिति में अगर मुख्य निर्वाचन आयुक्त को हटाने की नौबत आ जाए तो केवल भारतीय संसद के द्वारा महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के माध्यम से ही मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पद से हटाया जा सकता है।
आयोग के अधिकारी और कर्मचारियों को कौन चुनता है?
निर्वाचनआयोग के कार्यों में सहयोग देने के लिए चुनाव आयोग में दो या तीन उप निर्वाचन आयुक्त और महानिदेशक होते हैं। ये भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों में से नियुक्त किए जाते हैं। इनका चयन व कार्यकाल निर्धारण निर्वाचन आयोग द्वारा की जाती है। इसी तरह से, निदेशक, प्रधान सचिव, सचिव, अवर सचिव और उप निदेशक के पदों पर नियुक्तियां होती हैं।