नई दिल्ली: भूटान जाने वाले भारतीयों के लिए बड़ी खबर है. भारत सरकार ने असम और पश्चिम बंगाल से भूटान रेल कनेक्टिविटी की घोषणा की है. 4 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट से असम के कोकराझार और पश्चिम बंगाल के बनारहाट से भूटान को जोड़ने वाली नई रेल परियोजनाओं की शुरुआत होगी. भूटान वो देश है जहां भारतीय बड़ी संख्या में घूमने के लिए जानते हैं.
हर साल करीब 1 लाख से अधिक भारतीय पर्यटक भूटान घूमने के लिए पहुंचे हैं और दिल खोलकर खर्च करते हैं. इसी बहाने आइए जान लेते हैं कि भारत के 100 रुपए भूटान में जाकर कितने हो जाते हैं.
कैसी है भूटान की करंसी?
भूटान की आधिकारिक करंसी का नाम नोंग्त्रुम है. इसे शॉर्ट में BTN लिखते हैं, जैसे भारतीय करंसी के लिए INR का इस्तेमाल किया जाता है. यहां के सिक्कों और बैंकनोट्स पर भूटान की संस्कृति, राजा, बौद्ध धर्म के प्रतीक और प्राकृतिक धरोहरों को छापा जाता है. भूटान की करंसी को कंट्रोल करने का काम रॉयल मॉनिट्री अथॉरिटी ऑफ भूटान करती है. यही भूटान का केंद्रीय बैंक है, जैसे भारत का केंद्रीय बैक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) है.
1974 के पहले यहां सिक्कों का चलन था. जिन्हें चेत्रुम और शेरिंग कहा जाता था. शहरी में क्षेत्राें में इनका चलन अधिक था. ग्रामीण क्षेत्रों में बार्टर सिस्टम था. यानी वस्तु के लेन-देन की परंपरा थी. 1974 से नोंग्त्रुम करंसी की शुरुआत हुई. इसकी शुरुआत का श्रेय राजा जिग्मे सिंगये वांगचुक को जाता था. जो भूटान के चौथे राजा हैं. उनके राजतिलक के मौके पर यह करंसी जारी की गई. इसके साथ ही करंसी को कंट्रोल करने के लिए भूटान ने अपने केंद्रीय बैंक की शुरुआत की, जिसे रॉयल मॉनेट्री अथॉरिटी ऑफ भूटान कहा जाता है.
भारत के 100 रुपए भूटान में कितने?
भारत और भूटान की करंसी में कितना अंतर है, इसे दोनों की वैल्यू की तुलना करके समझा जा सकता है. जैसे- भारत के 1 रुपए भूटान में जाकर 1 नोंग्त्रुम हो जाते हैं. वहीं भारतीय 100 रुपए भूटान में जाकर 100 नोंग्त्रुम हो जाते हैं. इस तरह यह साफ है कि यहां और वहां की करंसी की वैल्यू में अंतर नहीं है.
हर साल 1 लाख से अधिक भारतीय भूटान घूमने पहुंचते हैं.
भूटान हिमालयी क्षेत्र में स्थित है और इसके ज्यादातर शहरों में एटीएम और बैंक नहीं हैं. ज्यादातर दुकानदार क्रेडिट कार्ड और चेक नहीं स्वीकार करते. यही वजह है कि भूटान में नकदी का चलन अभी भी दूसरे कई देशों से सबसे ज्यादा है. यहां केवल होटल, रिसॉर्ट और हैंडीक्राफ्ट शोरूम क्रेडिट कार्ड स्वीकार करते हैं.
राजधानी थिम्पू और पारो जैसे शहरों में सीमित संख्या में ATM हैं. भूटान में कई जगह ऐसी हैं जहां के दुकानदार भारतीय करंसी को भी स्वीकार करते हैं. वहां पर करंसी को एक्सचेंज नहीं करना पड़ता, लेकिन ऐसा पूरे देश में नहीं होता. भारतीय यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. पड़ोसी देश होने के साथ यहां मिलने वाली सुविधाएं, शांत माहौल और खूबसूरती, पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है.