नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बड़बोलापन और भारत सहित दुनिया के शक्तिशाली देशों पर धौंस जमाने का रवैया अब भारी पड़ने वाला है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन में शामिल 10 देशों ने ट्रंप और अमेरिका को जवाब देने का प्लान बना लिया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तो एससीओ के मंच से डॉलर को खुली चुनौती तक डे डाली. उन्होंने बिना किसी लाग लपेट के दो टूक शब्दों में कहा कि संगठन में शामिल देश अपनी करेंसी में कारोबार को आगे बढ़ाने पर जोर देंगे.
पुतिन ने एससीओ के मंच से अमेरिका को खुला चैलेंज देते हुए कहा कि एससीओ के लिए स्वतंत्र भुगतान तंत्र विकसित करने और सेटलमेंट का ढांचा तैयार करने में रूस पूरी मदद करेगा. उन्होंने कहा कि हमें आपसी ट्रेड के लिए अपनी राष्ट्रीय का इस्तेमाल करना चाहिए. पुतिन ने अमेरिका को साफ संदेश दिया कि एससीओ के सभी सदस्य देश अपनी करेंसी में भुगतान और सेटलमेंट कर सकते हैं. रूसी राष्ट्रपति के इस बयान से निश्चित तौर पर ट्रंप को मिर्ची लगने वाली है, क्योंकि पिछले दिनों ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने डॉलर को कमजोर करने पर टैरिफ लगाने की खुली धमकी दी थी. अब जबकि उन्होंने भारत सहित ज्यादातर देशों पर टैरिफ लगा दिया है तो यह डर खत्म हो चुका है.
यूरोप-अमेरिका के दिन गए
रूस के राष्ट्रपति ने एससीओ के मंच से अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय देशों को भी कड़ा संदेश दिया. उन्होंने कहा कि एससीओ दुनिया में सही मायनों में मल्टीपोलारिटी लाएगा. इसका मतलब है कि अब ताकत सिर्फ कुछ देशों के पास सिमटकर नहीं रह जाएगी. पुतिन ने कहा कि यूरोसेंट्रिंक और यूरो-अटलांटिक मॉडल पुराने हो चुके हैं. मौजूदा समय में इसका कोई मोल नहीं रह गया है.
यूक्रेन मेरी वजह से बर्बाद नहीं हुआ : पुतिन
पुतिन ने कहा कि यूक्रेन संकट रूस की कार्रवाई से नहीं पैदा हुआ है, बल्कि पश्चिमी देशों की ओर से कीव को बार-बार उकसाने से यह नौबत आई है. पश्चिमी देश चाहते हैं कि यूक्रेन को नाटो में शामिल किया जाए, लेकिन इससे रूस के लिए सुरक्षा का संकट पैदा हो जाएगा और यही सारी समस्या की जड़ है. कोई भी देश अपनी सुरक्षा तब सुनिश्चित नहीं कर सकता, जबकि दूसरे देश विस्तारवादी रवैया अपना रहे हों.
शांति की पूरी उम्मीद
पुतिन ने कहा कि पिछले दिनों अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात के बाद शांति की उम्मीद जगी है. उन्होंने कहा कि एससीओ में आपसी सहयोग की गति काफी तेज है और रूस सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए वचनबद्ध है. गौरतलब है कि साल 2001 में शंघाई में इस संगठन को बनाया गया था, जिसमें पहले रूस और चीन ही प्रमुख रूप से थे. इसके अलावा कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान जैसे देश सदस्य थे. साल 2017 में भारत और 2023 में पाकिस्तान भी इस संगठन के सदस्य बन गए. आज कुल 10 देश इसमें शामिल हैं.
संगठन के सभी देशों ने भरी हामी
एससीओ संगठन के सदस्य देशों ने क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहयोग पर जोर दिया. उन्होंने राष्ट्रीय मुद्राओं के आपसी निपटान में हिस्सेदारी को धीरे-धीरे बढ़ाने के रोडमैप को तैयार करने और उस पर काम करने की भी प्रतिबद्धता जताई. इसके अलावा सदस्य देशों ने इंटरबैंक एसोसिएशन (आईबीए) की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, जो 20 वर्षों के संचालन के बाद वित्तीय क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण तंत्र बन गया है. यह सारी कवायद डॉलर का विकल्प तैयार करने और आपसी ट्रेड में स्थानीय मुद्राओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए हो रही है.