नई दिल्ली। भारत ने वायुसेना को मजबूत करने के लिए एक और खास कदम बढ़ाया है. इसमें इजरायल उसका साथ देगा. इंडियन एयरफोर्स को जल्द ही 6 नए मिड-एयर रीफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट मिलने वाले हैं. इसके लिए इजरायल से 8 हजार करोड़ रुपए की डील के लिए बातचीत चल रही है, जो कि अंतिम चरण में है. इजरायल सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी ‘इजरायल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज’, इसको लेकर काम कर रही है.
‘एएनआई’ की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज रीफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. वह सेकेंड हैंड बॉइंग 767 कमर्शियल प्लेन्स को मॉडिफाई कर रही है. इसे जरूरी बदलाव के जरिए मिड-एयर रीफ्यूलिंग के लिए तैयार किया जा रहा है. इस डील की रेस में रूस और यूरोप की कुछ कंपनियां भी शामिल थीं, लेकिन वे मेक इन इंडिया और तकनीकी शर्तें पूरी नहीं कर सकीं. वहीं इजरायली कंपनी ने 30 प्रतिशत मेक इन इंडिया सामान इस्तेमाल करने पर सहमति जताई है.
पुराने विमान हटाएगी वायुसेना
भारत सरकार पिछले 15 सालों से टैंकर विमानों को खरीदने के प्रयास में थे, लेकिन कहीं न कहीं जाकर बात अटक जा रही थी. हालांकि अब इसको लेकर सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. भारतीय वायुसेना अपने पुराने एयरक्राफ्ट्स को धीरे-धीरे हटा रही है और उनकी जगह नए लड़ाकू विमान मिड-एयर रीफ्यूलिंग की मदद से लंबी दूरी तय कर सकेंगे.
क्या होता है मिड-एयर रीफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट
मिड-एयर रीफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट बीच हवा में किसी भी विमान में ईंधन भरने में सक्षम होता है. यह आपात स्थिति में दूसरे विमानों तक ईंधन पहुंचाता है. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल युद्ध की स्थिति में होगा. अगर युद्ध के दौरान किसी फाइटर जेट का ईंधन कम होता है तो मिड-एयर रीफ्यूलिंग तुरंत पहुंचकर उसमें ईंधन भर देगा. इससे फाइटर जेट और ज्यादा दूरी तय कर सकेंगे.
चीन और पाकिस्तान का बढ़ेगा सिरदर्द
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना को मजबूत करने के लिए तेजी से काम किया है. इसके तहत वायुसेना के साथ-साथ जल और थल सेना के लिए भी हथियारों की डील पर बातचीत चल रही है. अब मिड-एयर रीफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट की वजह पाक को दिक्कत होगी.







