प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 जून 2025 से 5 दिनों की विदेश यात्रा पर रवाना होंगे, जिसमें वे तीन देशों – साइप्रस, क्रोएशिया, और कनाडा – की यात्रा करेंगे और कनाडा में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह यात्रा भारत की कूटनीतिक प्राथमिकताओं, वैश्विक मंच पर बढ़ती भूमिका और क्षेत्रीय चुनौतियों, विशेष रूप से इजरायल-ईरान संघर्ष, के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
साइप्रस (15-16 जून 2025)
साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स के निमंत्रण पर पीएम मोदी साइप्रस की आधिकारिक यात्रा करेंगे। यह दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा होगी। भारत-साइप्रस द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना, विशेष रूप से व्यापार, निवेश और रक्षा क्षेत्र में। साइप्रस पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और यह यात्रा तुर्की-पाकिस्तान गठजोड़ के खिलाफ भारत की कूटनीति को बल देगी। ऊर्जा सहयोग, समुद्री सुरक्षा, और साइप्रस-तुर्की विवाद में भारत का संतुलित रुख। पीएम मोदी साइप्रस की संसद को भी संबोधित करेंगे।
क्रोएशिया (16-17 जून 2025)
पीएम मोदी क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेई प्लेंकोविक के निमंत्रण पर ज़ाग्रेब का दौरा करेंगे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली आधिकारिक यात्रा होगी। भारत और क्रोएशिया के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना। क्रोएशिया यूरोपीय संघ (EU) का सदस्य है, और यह यात्रा भारत-EU व्यापार समझौते की दिशा में महत्वपूर्ण होगी। रक्षा सहयोग, पर्यटन और हरित ऊर्जा। दोनों देश संयुक्त आर्थिक आयोग की बैठक आयोजित करेंगे।
कनाडा (G7 शिखर सम्मेलन, 15-17 जून 2025)
पीएम मोदी कनाडा के कनानास्किस, अल्बर्टा में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जहां उन्हें कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने आमंत्रित किया है। यह भारत की G7 में 11वीं भागीदारी होगी, और पीएम मोदी की लगातार छठी उपस्थिति। भारत G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन 2019 से हर शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है। G7 में भारत की उपस्थिति वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। इस साल के शिखर सम्मेलन में ऊर्जा सुरक्षा, महत्वपूर्ण खनिज, डिजिटल परिवर्तन, और अंतरराष्ट्रीय शांति जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
यह यात्रा भारत-कनाडा के बीच तनावपूर्ण संबंधों में सुधार का संकेत देती है, जो 2023 में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद बिगड़ गए थे। कार्नी ने कानून प्रवर्तन संवाद और सुरक्षा चिंताओं पर सहमति जताई है। पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा, और अन्य G7 नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता की उम्मीद है। यह ट्रंप के साथ उनकी फरवरी 2025 की मुलाकात के बाद पहली बैठक होगी।
मेगा डिप्लोमैटिक मिशन का महत्व
13 जून 2025 को इजरायल के “ऑपरेशन राइजिंग लायन” और ईरान के जवाबी मिसाइल हमलों के बाद मध्य-पूर्व में तनाव चरम पर है। पीएम मोदी ने दोनों पक्षों से संयम और कूटनीति की अपील की है। G7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी क्षेत्रीय स्थिरता और तेल आपूर्ति पर प्रभाव को उठाएंगे, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। भारत इसराइल और ईरान दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने की कोशिश करेगा।
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका
पीएम मोदी G7 में ग्लोबल साउथ की चिंताओं, जैसे जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, और डिजिटल समावेशन, को उठाएंगे। भारत ने 2023 में G20 की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य बनाया था, जिसे G7 में सराहा गया। भारत की आर्थिक ताकत (दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था) और आपूर्ति श्रृंखलाओं में उसकी भूमिका G7 के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत-कनाडा संबंधों में सुधार
कार्नी का निमंत्रण और पीएम मोदी का स्वीकार करना भारत-कनाडा संबंधों में गतिरोध को तोड़ने की दिशा में एक कदम है। भारत ने कनाडा से खालिस्तानी उग्रवाद पर कार्रवाई और भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा की मांग की है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच उच्चायुक्तों की नियुक्ति और व्यापारिक संबंधों को बहाल करने की दिशा में प्रगति का संकेत देती है।
क्या हैं चुनौतियाँ
कनाडा में खालिस्तानी समूह G7 में पीएम मोदी की उपस्थिति का विरोध कर रहे हैं। कनाडा ने विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है। मध्य-पूर्व में युद्ध की स्थिति भारत के लिए कूटनीतिक और आर्थिक चुनौतियाँ पैदा कर सकती है, विशेष रूप से तेल की कीमतों और चाबहार बंदरगाह जैसे रणनीतिक प्रोजेक्ट्स पर। G7 में भारत से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में चीन पर निर्भरता कम करने और डिजिटल परिवर्तन में नेतृत्व की उम्मीद है।
इजरायल-ईरान संघर्ष और भारत-कनाडा तनाव
पीएम नरेंद्र मोदी की 5-दिवसीय यात्रा भारत की सक्रिय कूटनीति और वैश्विक मंच पर बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। साइप्रस और क्रोएशिया की यात्राएँ भारत के यूरोपीय और भूमध्यसागरीय संबंधों को मजबूत करेंगी, जबकि G7 शिखर सम्मेलन में उनकी उपस्थिति भारत को वैश्विक शांति, आर्थिक स्थिरता, और ग्लोबल साउथ के हितों का प्रवक्ता बनाएगी। यह मिशन इजरायल-ईरान संघर्ष और भारत-कनाडा तनाव के बीच संतुलन बनाए रखने की भारत की क्षमता को भी परखेगा।