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Home राष्ट्रीय

विपक्षी दलों का RVM के प्रति बेरुखी!

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
January 17, 2023
in राष्ट्रीय, विशेष
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Indifference of opposition parties towards RVM
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विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की ओर से रिमोट वोटिंग मशीन के इस्तेमाल की पहल के प्रति बेरुखी दिखाई। आयोग ने सोमवार को सभी राजनीतिक दलों को इससे जुड़ा का डेमो दिखाने के लिए बुलाया था, लेकिन कांग्रेस सहित अधिकतर विपक्षी दलों ने इसके प्रति उत्साह नहीं दिखाया। अब 31 जनवरी तक सभी राजनीतिक दलों को इस पहल पर अपनी राय देने को कहा गया है।

विपक्ष क्यों कर रहा विरोध
चुनाव आयोग ने सोमवार को देश के तमाम राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के सामने रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) का प्रदर्शन किया। इसका मकसद देश में अपने गृह जिलों से दूर रहने वाले मतदाताओं को वहीं से वोट करने की सुविधा देना है। इसमें दो राय नहीं कि चुनाव आयोग की इस पहल का मकसद अच्छा है। चुनावों में मतदान का कम प्रतिशत देश में आदर्श लोकतंत्र की राह में किसी न किसी रूप में बाधा बनता है। देखा गया है कि बड़े शहरों में काम करने गए मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ वोट देने के लिए अपने गांव नहीं लौट पाता। इस तरह से वह वोट देने के अधिकार से वंचित रह जाता है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में ऐसे वोटरों की संख्या 45.36 करोड़ है, जो अपने गृह जिलों से बाहर रहते हैं। देश की कुल आबादी के मुकाबले यह संख्या करीब 37 फीसदी है। 2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो उसमें 67.4 फीसदी मतदान रेकॉर्ड किया गया था। इन आंकड़ों का मतलब यह नहीं है कि कम मतदान प्रतिशत का एकमात्र कारण इन मतदाताओं का वोटिंग से दूर रहना है, लेकिन यह एक बड़ा कारण जरूर है।

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वैसे भी मतदाताओं की इतनी बड़ी संख्या को उनके हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता। उन्हें सुविधाजनक ढंग से वोटिंग प्रक्रिया में शामिल करने की व्यवस्था करना चुनाव आयोग का दायित्व है। इस लिहाज से आरवीएम निश्चित रूप से अच्छा कदम है। लेकिन कंग्रेस सहित देश के 16 विपक्षी दलों ने रविवार को ही एक बैठक कर चुनाव आयोग की इस पहल के विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हुए इसका विरोध करने का फैसला किया। इनका कहना है कि इस पहल से जुड़ी कई चीजें अभी साफ नहीं हैं। इनके अपने संदेह, सवाल और आशंकाएं हैं।

हालांकि इन दलों ने अभी चुनाव आयोग को औपचारिक तौर पर अपने रुख से वाकिफ नहीं कराया है। उससे पहले ये दल 25 जनवरी को एक और बैठक करेंगे, जिसमें उनके सवालों पर चुनाव आयोग के रुख की समीक्षा की जाएगी। वैसे भी आयोग की ओर से इन दलों को 31 जनवरी तक का समय दिया गया है। बड़ी बात यह है कि किसी भी दल ने चुनाव आयोग की इस पहल के इरादों पर सवाल नहीं उठाया है। न किसी का यह कहना है कि गृह जिलों से बाहर रहने वाले वोटरों को अपने कामकाज के इलाकों में ही वोट देने की सहूलियत नहीं मिलनी चाहिए।

मतलब यह कि आयोग की इस पहल को लेकर मोटी सहमति पहले से ही कायम है। जरूरत इस बात की है कि इन दलों के मन में जो भी संदेह हैं, उनके जो भी सवाल हैं उन्हें समय रहते सही ढंग से संबोधित किया जाए ताकि रोजी-रोजगार के तकाजों के चलते अपने घर से दूर रह रहे नागरिक भी बिना किसी दिक्कत के वोट देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकें।

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