प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए रक्षा मंत्रालय जल्द ही क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM) सिस्टम की तीन रेजिमेंट्स की खरीद को मंजूरी देने की तैयारी में है। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 30,000 करोड़ रुपये है। यह स्वदेशी मिसाइल सिस्टम, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है, भारतीय सेना की वायु रक्षा को अभेद्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह खास तौर पर पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों से हवाई खतरों, जैसे ड्रोन, फाइटर जेट्स, और क्रूज मिसाइलों, को नष्ट करने में सक्षम है। इस सिस्टम की तैनाती पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर होगी, जहां से पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से खतरे की आशंका रहती है।
QRSAM मिसाइल सिस्टम की विशेषताएं
इसकी रेंज और गति QRSAM की मारक क्षमता 3 से 30 किलोमीटर तक है। यह मिसाइल 6000 किमी/घंटा (लगभग मैक 4.7) की गति से लक्ष्य को भेद सकती है। यह निम्न-स्तरीय हवाई खतरों, जैसे ड्रोन, हेलिकॉप्टर, फाइटर जेट्स, और क्रूज मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है।
मोबिलिटी और त्वरित प्रतिक्रिया यह सिस्टम पूरी तरह मोबाइल है, जो इसे युद्ध क्षेत्र में तेजी से तैनात करने में सक्षम बनाता है। QRSAM चलते-फिरते लक्ष्य को ट्रैक और नष्ट कर सकता है, और छोटे-छोटे स्टॉप पर भी फायर करने की क्षमता रखता है। 360-डिग्री रडार कवरेज और स्वचालित कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम इसे अत्यधिक प्रभावी बनाता है।
भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली
QRSAM को DRDO ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत विकसित किया है, जिससे भारत की विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम होगी। यह सिस्टम मौजूदा आकाश और MRSAM (मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल) सिस्टम्स को पूरक बनाएगा, जिससे भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली और मजबूत होगी।
QRSAM में ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire-and-Forget) तकनीक है, जिसमें लक्ष्य को लॉक करने के बाद मिसाइल स्वचालित रूप से उसे ट्रैक कर नष्ट करती है। इसमें HMX/TNT या प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड (32 किग्रा) लगाया जा सकता है, जो इसे घातक बनाता है। QRSAM ने 2024 में कई सफल परीक्षण पूरे किए, जिसमें ड्रोन झुंडों को नष्ट करने की क्षमता प्रदर्शित की गई। यह मिसाइल लंबी दूरी, मध्यम ऊंचाई, और कम रडार सिग्नेचर वाले लक्ष्यों को भी सटीकता से भेद सकती है।
क्या है प्रोजेक्ट का महत्व ?
हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव, खासकर ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के दौरान, भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों (S-400, आकाश, और MRSAM) ने पाकिस्तानी ड्रोन, मिसाइलों, और फाइटर जेट्स को सफलतापूर्वक नाकाम किया। QRSAM की तैनाती से यह क्षमता और बढ़ेगी, जिससे पाकिस्तान जैसे देश भारत पर हवाई हमले की सोच भी नहीं पाएंगे।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने 7-8 मई 2025 को भारत के 15 सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिन्हें भारत ने S-400 और अन्य प्रणालियों से नाकाम कर दिया। QRSAM इस तरह के खतरों से निपटने में और प्रभावी होगा।
QRSAM, आकाश-NG और VL-SRSAM के साथ मिलकर भारत की वायु रक्षा को कम, मध्यम, और लंबी दूरी के खतरों के खिलाफ मजबूत करेगा। यह प्रणाली विशेष रूप से ड्रोन और क्रूज मिसाइल जैसे निम्न-स्तरीय खतरों को नष्ट करने में कारगर है। यह प्रोजेक्ट स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा देगा और भारत को वैश्विक स्तर पर रक्षा तकनीक में अग्रणी बनाएगा।
तैनाती और समयसीमा
रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) जून 2025 के चौथे सप्ताह में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे सकती है। मंजूरी के बाद, QRSAM के पहले बैच का उत्पादन शुरू होगा, और 2026 तक इसकी पहली तैनाती होने की उम्मीद है। तीन रेजिमेंट्स को पश्चिमी (पाकिस्तान सीमा) और उत्तरी (चीन सीमा) क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।
पाकिस्तान के लिए चुनौती
QRSAM की तैनाती से भारत की वायु रक्षा प्रणाली इतनी मजबूत हो जाएगी कि पाकिस्तान के लिए हवाई हमले की रणनीति बनाना मुश्किल होगा। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान के 6 फाइटर जेट्स, 2 AWACS, 1 C-130 विमान, और 30 से अधिक मिसाइलों और ड्रोनों को नष्ट किया, जिससे पाकिस्तान की हवाई ताकत को गहरा झटका लगा। QRSAM के शामिल होने से भारत की जवाबी कार्रवाई की क्षमता और बढ़ेगी। पाकिस्तानी सैन्य विशेषज्ञों ने स्वीकार किया है कि उनकी वायु रक्षा प्रणाली भारत की मिसाइलों और सटीक हमलों का मुकाबला करने में असमर्थ रही। QRSAM की तैनाती इस अंतर को और चौड़ा करेगी।
‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प
QRSAM मिसाइल सिस्टम की तीन रेजिमेंट्स की तैनाती भारत की वायु रक्षा को अभूतपूर्व ताकत देगी। यह स्वदेशी सिस्टम न केवल पाकिस्तान और अन्य दुश्मनों के हवाई हमलों को नाकाम करेगा, बल्कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगा। 2026 तक इसकी तैनाती से भारत की सीमाएं और सुरक्षित होंगी, और यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को मजबूत करेगा।