प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर हाल के दिनों में चर्चा तेज हो गई है। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो चुका था, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 और अन्य संगठनात्मक कारणों से इसे जून 2024 तक बढ़ाया गया था। अब पार्टी नए अध्यक्ष की नियुक्ति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है और इस बार इतिहास में पहली बार बीजेपी की कमान किसी महिला नेता को सौंपी जा सकती है।
इस संभावना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, और तीन प्रमुख महिला नेताओं के नाम चर्चा में हैं निर्मला सीतारमण, डी. पुरंदेश्वरी, और वनाथी श्रीनिवासन। इसके अलावा, कुछ अन्य नेताओं जैसे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के नाम भी सामने आए हैं।
चर्चा में शामिल नाम निर्मला सीतारमण
वर्तमान में केंद्रीय वित्त मंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री, निर्मला सीतारमण बीजेपी की सबसे प्रभावशाली महिला नेताओं में से एक हैं। तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाली सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को हुआ था। उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। 2008 में बीजेपी में शामिल होने के बाद, वे जल्द ही राष्ट्रीय प्रवक्ता बनीं और 2014 में मोदी सरकार में मंत्री बनीं।
क्यों हैं चर्चा में ?
उनकी हालिया मुलाकात मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ पार्टी मुख्यालय में हुई, जिसने उनके नाम को मजबूत दावेदार बनाया है। दक्षिण भारत से होने के कारण, उनकी नियुक्ति बीजेपी की दक्षिण में विस्तार की रणनीति को बल दे सकती है, खासकर तमिलनाडु में जहां परिसीमन का मुद्दा गरमाया हुआ है। उनकी संगठनात्मक पकड़, प्रशासनिक अनुभव और महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार के प्रयासों (जैसे 33% महिला आरक्षण बिल) के साथ तालमेल उन्हें इस पद के लिए प्रबल दावेदार बनाता है। उनकी नियुक्ति से बीजेपी दक्षिण भारत में अपनी पैठ बढ़ा सकती है और महिला मतदाताओं के बीच अपनी लोकप्रियता को और मजबूत कर सकती है।
दक्षिण भारत की राजनीति में डी. पुरंदेश्वरी
आंध्र प्रदेश से सांसद और बीजेपी की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, डी. पुरंदेश्वरी का दक्षिण भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान है। वे कई भाषाओं की जानकार हैं और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों में शामिल रही हैं, जिसने विदेशों में पाकिस्तान को बेनकाब करने में भूमिका निभाई थी।
पुरंदेश्वरी का अनुभव और आंध्र प्रदेश में बीजेपी की स्थिति को मजबूत करने की उनकी क्षमता उन्हें इस रेस में शामिल करती है। उनकी नियुक्ति से पार्टी को दक्षिण भारत में एक और मजबूत चेहरा मिल सकता है। आंध्र प्रदेश में बीजेपी की स्थिति को मजबूत करने और क्षेत्रीय गठबंधनों को संभालने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
महिला मोर्चा की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष वनाथी श्रीनिवासन
तमिलनाडु की कोयंबटूर (दक्षिण) सीट से विधायक और बीजेपी महिला मोर्चा की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, वनाथी श्रीनिवासन पेशे से वकील हैं। 1993 से बीजेपी के साथ जुड़ी हुईं, उन्होंने तमिलनाडु में पार्टी के संगठन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2020 में उन्हें महिला मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया, और 2022 में वे बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की पहली तमिल महिला सदस्य बनीं। 2021 में उन्होंने अभिनेता कमल हासन को हराकर सुर्खियां बटोरी थीं।
वनाथी का जमीनी स्तर पर काम और महिला मोर्चा में उनकी सक्रियता उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है। उनकी नियुक्ति से तमिलनाडु में बीजेपी को नया जोश मिल सकता है। दक्षिण भारत में पार्टी के आधार को और मजबूत करने और युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
कौन हैं अन्य दावेदार ?
हालांकि महिला नेतृत्व की चर्चा जोरों पर है, सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी रेस में हैं। खास तौर पर मौर्य का नाम हाल ही में सामने आया है, और बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, पार्टी ओबीसी चेहरों को प्राथमिकता दे सकती है, खासकर 2025 में बिहार, 2026 में पश्चिम बंगाल, और 2027 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए। दोनों नेताओं का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से मजबूत जुड़ाव भी उनके पक्ष में है।
क्या हैं चर्चा के पीछे के कारण ?
बीजेपी ने हाल के चुनावों में महिला मतदाताओं से जबरदस्त समर्थन हासिल किया है, खासकर महाराष्ट्र, हरियाणा, और दिल्ली जैसे राज्यों में। 2023 में पारित महिला आरक्षण बिल, जो लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण प्रदान करता है, इस निर्णय को और मजबूती देता है। एक महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति पार्टी के महिला सशक्तिकरण के संदेश को और मजबूत कर सकती है।
निर्मला सीतारमण और वनाथी श्रीनिवासन जैसे दक्षिण भारतीय चेहरों की नियुक्ति से बीजेपी को दक्षिण भारत में अपनी पैठ बढ़ाने में मदद मिल सकती है, खासकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में जहां पार्टी अभी कमजोर है। जेपी नड्डा का कार्यकाल और ‘एक व्यक्ति, एक पद’ नीति: जेपी नड्डा 2020 से राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और वर्तमान में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, जो बीजेपी की ‘एक व्यक्ति, एक पद’ नीति का उल्लंघन करता है। इसलिए, नए अध्यक्ष की नियुक्ति अब जरूरी हो गई है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन का रास्ता !
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भी महिला नेतृत्व के प्रतीकात्मक और रणनीतिक लाभों को मान्यता दी है और इस विचार का समर्थन किया है। बीजेपी ने हाल ही में कई राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की है, जिससे राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन का रास्ता साफ हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी जुलाई 2025 में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है। पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब होता है जब कम से कम 50% राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो जाते हैं। यह प्रक्रिया अब लगभग complete हो चुकी है। हालांकि, कुछ सूत्रों ने यह भी संकेत दिया है कि अंतिम समय में ओबीसी नेताओं जैसे केशव प्रसाद मौर्य को प्राथमिकता दी जा सकती है, क्योंकि पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रख रही है।
पार्टी नेतृत्व और RSS के बीच विचार-विमर्श
बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर उत्सुकता चरम पर है। निर्मला सीतारमण का नाम सबसे आगे है, लेकिन डी. पुरंदेश्वरी और वनाथी श्रीनिवासन भी मजबूत दावेदार हैं। यदि बीजेपी पहली बार किसी महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाती है, तो यह न केवल पार्टी के इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम होगा, बल्कि दक्षिण भारत में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने और महिला मतदाताओं के बीच अपनी लोकप्रियता को और बढ़ाने में भी मददगार साबित हो सकता है। हालांकि, केशव प्रसाद मौर्य जैसे ओबीसी नेताओं के नामों की चर्चा से यह स्पष्ट है कि पार्टी सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को भी ध्यान में रख रही है। अंतिम फैसला पार्टी नेतृत्व और RSS के बीच विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा।