प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न केवल भारत को झकझोर दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी इस ओर खींचा। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे, और कई अन्य घायल हुए। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी में सबसे घातक आतंकी घटनाओं में से एक था। इस हमले ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया और वैश्विक शक्तियों, खासकर अमेरिका की प्रतिक्रियाओं पर सभी की नजरें टिक गईं। इस संदर्भ में, अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस का बयान भारत के लिए कितना उत्साहजनक है, यह समझना जरूरी है। आइए, इस घटना और इसके बाद की कूटनीतिक गतिविधियों की पूरी कहानी को विस्तार से देखें।
पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी !
पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, उस दिन खून से सन गया जब आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। हमले की जिम्मेदारी शुरुआत में ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली, जो लश्कर-ए-तैबा से जुड़ा एक आतंकी संगठन है। हालांकि, बाद में TRF ने इससे किनारा कर लिया, जिसने इस घटना को और रहस्यमय बना दिया। भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान की संलिप्तता का आरोप लगाया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज कर दिया। इस बीच, भारत ने कड़े कदम उठाए, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना और अटारी सीमा को बंद करना शामिल था।
अमेरिकी उप राष्ट्रपति का बयान !
हमले के समय, संयोगवश, अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस अपनी पत्नी उषा चिलुकुरी और बच्चों के साथ भारत की यात्रा पर थे। उन्होंने 22 अप्रैल को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। हमले के बाद, वेंस ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “उषा और मैं भारत के पहलगाम में हुए विनाशकारी आतंकी हमले के पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। पिछले कुछ दिनों में, हम इस देश और इसके लोगों की खूबसूरती से अभिभूत हैं। इस भयावह हमले पर शोक जताते हुए हमारी संवेदनाएं प्रभावित लोगों के साथ हैं।”
Usha and I extend our condolences to the victims of the devastating terrorist attack in Pahalgam, India. Over the past few days, we have been overcome with the beauty of this country and its people. Our thoughts and prayers are with them as they mourn this horrific attack. https://t.co/cUAyMXje5A
— JD Vance (@JDVance) April 22, 2025
इसके बाद, वेंस ने एक और बयान में कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले ही प्रधानमंत्री मोदी से बात की है। हम सरकार और भारत के लोगों को जो भी सहायता और मदद दे सकते हैं, वह देने को तैयार हैं।” उन्होंने फॉक्स न्यूज के एक साक्षात्कार में पाकिस्तान को “कुछ हद तक जिम्मेदार” ठहराते हुए कहा कि अमेरिका भारत के साथ सहयोग करने को तैयार है, लेकिन वह नहीं चाहता कि यह तनाव एक व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष में बदल जाए।
डोनाल्ड ट्रंप ने भी हमले की निंदा की !
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हमले की निंदा की और ट्रूथ सोशल पर लिखा, “कश्मीर से अत्यंत दुखद खबर आ रही है।” उन्होंने इसे “आतंकी” और “अविवेकपूर्ण” कृत्य करार दिया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से फोन पर बात की, जिसमें उन्होंने तनाव कम करने और “जवाबदेह समाधान” की अपील की। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के साथ खड़ा है और आतंकवाद के सभी कृत्यों की कड़ी निंदा करता है।”
भारत के लिए बयान का महत्व !
जेडी वेंस का बयान और अमेरिका की समग्र प्रतिक्रिया भारत के लिए कई मायनों में उत्साहजनक है, लेकिन इसमें कुछ सीमाएं भी हैं। वेंस का त्वरित बयान और अमेरिका का भारत के साथ खड़े होने का आश्वासन भारत के लिए नैतिक समर्थन का प्रतीक है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि हमले ने भारत में आक्रोश पैदा किया था और वैश्विक समर्थन ने भारत के रुख को मजबूती दी।
तुलसी गबार्ड ने “इस्लामिक आतंकी हमला” करार दिया !
वेंस और ट्रंप प्रशासन ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई। अमेरिकी नेशनल इंटेलिजेंस की डायरेक्टर तुलसी गबार्ड ने इसे “इस्लामिक आतंकी हमला” करार देते हुए भारत के साथ पूरी मदद का वादा किया। यह भारत के लिए एक मजबूत संदेश है कि अमेरिका आतंकवाद के मुद्दे पर उसका साथ देगा। हालांकि, वेंस का यह कहना कि अमेरिका नहीं चाहता कि तनाव क्षेत्रीय संघर्ष में बदले, एक कूटनीतिक संतुलन को दर्शाता है। अमेरिका ने पाकिस्तान को भी सहयोग के लिए प्रेरित किया, जो भारत के दृष्टिकोण से पूरी तरह संतोषजनक नहीं हो सकता।
पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव !
वेंस के बयान में पाकिस्तान को “कुछ हद तक जिम्मेदार” ठहराना एक साहसिक कदम था, क्योंकि अमेरिका ने अतीत में इस मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाया था। यह भारत के लिए उत्साहजनक है, क्योंकि यह पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाता है। अमेरिका की प्रतिक्रिया में कुछ अस्पष्टता भी है। उदाहरण के लिए, जब पाकिस्तान की भूमिका पर स्पष्ट टिप्पणी मांगी गई, तो टैमी ब्रूस ने कहा, “हम इस समय कश्मीर या जम्मू की स्थिति पर कोई आधिकारिक रुख नहीं ले रहे हैं।” यह दर्शाता है कि अमेरिका पूरी तरह से भारत के पक्ष में नहीं झुक रहा, बल्कि दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की कोशिश कर रहा है।
हमले के बाद कठोर रुख !
भारत ने इस हमले के बाद कठोर रुख अपनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा और सशस्त्र बलों को पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता दी गई है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्यों और अन्य वैश्विक नेताओं से बातचीत कर हमले के सीमा पार संबंधों को उजागर किया। भारत ने UNSC में TRF का नाम हटाने के लिए पाकिस्तान और चीन की भूमिका की भी आलोचना की।
कूटनीतिक और नैतिक बल कितना उत्साहजनक ?
जेडी वेंस का बयान भारत के लिए काफी हद तक उत्साहजनक है, क्योंकि यह न केवल आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के समर्थन को दर्शाता है, बल्कि पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव भी डालता है। अमेरिका का यह रुख भारत को कूटनीतिक और नैतिक बल देता है, खासकर तब जब भारत वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, अमेरिका की तटस्थता और क्षेत्रीय संघर्ष से बचने की नीति भारत की अपेक्षाओं को पूरी तरह पूरा नहीं करती। भारत चाहता है कि अमेरिका पाकिस्तान के खिलाफ और सख्त रुख अपनाए, लेकिन अमेरिका की वर्तमान विदेश नीति, जो दक्षिण एशिया में कम हस्तक्षेप पर केंद्रित है, इसे सीमित करती है।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मजबूती !
पहलगाम हमले के बाद अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस का बयान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक समर्थन है। यह भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में मजबूती देता है और वैश्विक स्तर पर उसकी स्थिति को सुदृढ़ करता है। हालांकि, अमेरिका की संतुलित कूटनीति और क्षेत्रीय संघर्ष से दूरी बनाए रखने की नीति भारत की पूरी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती। फिर भी, इस बयान ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया है और भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन दिलाने में मदद की है। भविष्य में, भारत को इस समर्थन का लाभ उठाते हुए अपनी कूटनीतिक रणनीति को और मजबूत करना होगा, ताकि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और प्रभावी ढंग से लड़ सके।